जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट की ड्यूटी है कि वह जल्दी से जल्दी पीड़िता के बयान दर्ज करे. इसके अलावा डीएनए जांच की रिपोर्ट के इंतजार में मुकदमे के ट्रायल में भी देरी नहीं होनी चाहिए. अदालत ने मामले में आरोपी की ओर से दायर जमानत अपील को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को पीड़िता के बयान दर्ज करने को कहा है.
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न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश प्रदीप यादव की याचिका पर दिए. याचिका में कहा गया कि प्रकरण में उस पर नाबालिग से दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज किया गया है. वहीं, अदालत की ओर से बार-बार निर्देश देने के बावजूद डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं हुई है. जिसके चलते याचिकाकर्ता एक साल से न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ झुंझुनू के सिंघाना थाने में गत वर्ष अगस्त माह में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था.
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पीड़िता अपने 164 के बयान में याचिकाकर्ता पर दुष्कर्म करने और उससे गर्भवती होने का स्पष्ट आरोप लगा चुकी है. ऐसे में डीएनए रिपोर्ट नहीं आने के आधार पर आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपील खारिज करते हुए कहा कि डीएनए जांच रिपोर्ट के अभाव में ट्रायल में देरी नहीं होनी चाहिए.