जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली जिले में पीड़िता के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपी पक्ष की ओर से पेश पीड़िता के शपथ पत्र की सत्यता जांचने के लिए पीड़िता और मामले में अनुसंधान अधिकारी को 22 जून को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश कैलाश चंद्र अग्रवाल और दो अन्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पीड़िता का शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि पीड़िता मामले में आरोपी कैलाश के खिलाफ केस को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है. इसके अलावा वह अपने पति आरोपी मोहन लाल के साथ खुशी से रह रही है. वहीं उसका बच्चा भी उसे मिल गया है. जबकि पीड़िता की ओर से पेश वकील ने कहा कि पीड़िता की ओर से पूर्व में एक अन्य वकील को जमानत अर्जी का विरोध करने के लिए खाली कागज पर हस्ताक्षर कर दिए गए थे.
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जिस पर मिलीभगत का शपथ पत्र तैयार कर लिया गया. पीड़िता की ओर से कहा गया कि शपथ पत्र फर्जी है और उसका वकालतनामा भी गलत पेश हुआ है. उसकी ओर से आरोपियों से कोई समझौता नहीं किया गया है और ना ही उसे अब तक उसका बच्चा लौटाया गया है. इस पर अदालत ने पीड़िता और जांच अधिकारी को 22 जून को पेश होने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है की पीड़िता ने गत वर्ष करौली थाना पुलिस में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म होने और उसका बच्चा डेढ़ लाख रुपए में बेचने को लेकर मामला दर्ज कराया था.