जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बूंदी के तालेड़ा थाना इलाके में ऑनर किलिंग से जुड़े मामले में बूंदी (directed to get the investigation of honor killing ) एसपी को निर्देश दिए हैं कि वह मामले में सीआरपीसी की धारा 173 की उपधारा आठ के तहत लंबित जांच एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी से कराएं. साथ ही अदालत ने मामले की जांच साठ दिन में पूरी करने को कहा है. जस्टिस फरजंद अली की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश प्रकरण के आरोपी भीमा सैनी व गोलू की जमानत याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए.
जमानत याचिका में कहा गया कि 23 सितंबर 2021 को मृतक आजाद के पिता रामदेव ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एक दिन पहले उसके बेटे की जंजीरों से बंधी लाश पानी में मिली है. याचिका में कहा गया कि एफआईआर में याचिकाकर्ताओं के नाम नहीं हैं. इसके अलावा कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य भी नहीं है. जिससे यह साबित हो की उन्होंने उसकी हत्या की है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए एएजी ने कहा कि भीमा की बहन जिया के आजाद से प्रेम विवाह करने को लेकर परिजन राजी नहीं थे. इसके चलते आजाद की हत्या की गई है. ऐसे में ऑनर किलिंग के मामले को देखते हुए आरोपियों को जमानत नहीं दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस अधीक्षक को निर्देश देते हुए जमानत याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है.
पढ़ेंः Rajasthan Highcourt: ऑनर किलिंग मामले में सह आरोपी की जमानत याचिका खारिज