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30 साल पहले मिली चार साल की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदला

साल 1988 में चुनावी रंजिश के चलते हुई तीन लोगों की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने एक अभियुक्त की चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है. मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को हत्या के प्रयास में चार साल की सजा सुनाई थी.

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट
Rajasthan High Court commuted the sentence of four years to life imprisonment
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Published : Jan 13, 2020, 7:38 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 30 साल पहले तीन लोगों की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. वहीं अदालत ने अभियुक्त प्रेमसिंह को मिली चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिए.

शिकायतकर्ता के वकील

मामले के शिकायतकर्ता श्योराण की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि चुनावी रंजिश के चलते 10 जून 1988 को कोमल, करतार सिंह और प्रेमसिंह हथियारों से लैस होकर अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता के भरतपुर स्थित घर आए. यहां उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाई. जिससे तीन लोगों की मौत और दस लोग घायल हो गए.

पढ़ेंः पुलिस के हत्थे चढ़े 4 हत्यारे, एक फरार

ट्रायल कोर्ट ने तीस अगस्त 1989 को हत्या के आरोप में अभियुक्त कोमल और करतार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जबकि हत्या के प्रयास के आरोप में प्रेमसिंह को चार साल की सजा दी गई.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में निजी विवि की डिग्री नहीं मानने पर मांगा जवाब

शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि शकुंतला ने मरने से पहले पुलिस को बयान दिया था कि उसे प्रेमसिंह ने गोली मारी है. इसके बावजूद भी ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी नहीं माना. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए प्रेमसिंह की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 30 साल पहले तीन लोगों की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. वहीं अदालत ने अभियुक्त प्रेमसिंह को मिली चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिए.

शिकायतकर्ता के वकील

मामले के शिकायतकर्ता श्योराण की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि चुनावी रंजिश के चलते 10 जून 1988 को कोमल, करतार सिंह और प्रेमसिंह हथियारों से लैस होकर अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता के भरतपुर स्थित घर आए. यहां उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाई. जिससे तीन लोगों की मौत और दस लोग घायल हो गए.

पढ़ेंः पुलिस के हत्थे चढ़े 4 हत्यारे, एक फरार

ट्रायल कोर्ट ने तीस अगस्त 1989 को हत्या के आरोप में अभियुक्त कोमल और करतार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जबकि हत्या के प्रयास के आरोप में प्रेमसिंह को चार साल की सजा दी गई.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में निजी विवि की डिग्री नहीं मानने पर मांगा जवाब

शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि शकुंतला ने मरने से पहले पुलिस को बयान दिया था कि उसे प्रेमसिंह ने गोली मारी है. इसके बावजूद भी ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी नहीं माना. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए प्रेमसिंह की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है.

Intro:बाईट - शिकायतकर्ता के वकील मोहित बलवदा


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 30 साल पहले तीन लोगों की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। वहीं अदालत ने अभियुक्त प्रेमसिंह को मिली चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल किया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिए।Body:मामले के शिकायतकर्ता श्योराण की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि चुनावी रंजिश के चलते 10 जून 1988 को कोमल, करतार सिंह और प्रेमसिंह हथियारों से लैस होकर अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता के भरतपुर स्थित घर आए। यहां उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाई। जिससे तीन लोगों की मौत और दस लोग घायल हो गए। ट्रायल कोर्ट ने तीस अगस्त 1989 को हत्या के आरोप में अभियुक्त कोमल और करतार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जबकि हत्या के प्रयास के आरोप में प्रेमसिंह को चार साल की सजा दी गई। शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि शकुंतला ने मरने से पहले पुलिस को बयान दिया था कि उसे प्रेमसिंह ने गोली मारी है। इसके बावजूद भी ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी नहीं माना। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए प्रेमसिंह की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है।Conclusion:
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