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सेंड स्टोन परिवहन के लिए अव्यवहारिक शर्ते लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

बूंदी सेंड स्टोन माइन्स एसोसिएशन की ओर से सेंड स्टोन के परिवहन पर शर्तों के खिलाफ दायर एक याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई की. अदालत ने अव्यवहारिक शर्तें लगाने पर विभाग को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. पढे़ं विस्तृत खबर...

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impractical conditions for sand stone transport
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Published : Feb 4, 2020, 8:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सेंड स्टोन परिवहन के लिए अव्यवहारिक शर्ते लगाने पर परिवहन आयुक्त, खान सचिव और अधीक्षक खान अभियंता, कोटा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश बूंदी सेंड स्टोन माइन्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

याचिका में अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि गत 27 दिसंबर को परिवहन विभाग ने आदेश जारी कर ओवर लोड वाहन मिलने पर खनन पट्टाधारी और संबंधित धर्मकांटा संचालक के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया. वहीं इससे पहले खान विभाग ने 3 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर खनन सामग्री के वाहन को धर्मकांटा तक तथा वहां से गन्तव्य स्थल तक पहुंचने के लिए किलोमीटर के अनुपात में समय तय कर दिया.

पढ़ेंः जयपुर: पंचायतीराज चुनावों के तहत निकाली गई लॉटरी

इसके तहत परिवहन विभाग ने प्रावधान किया कि एक हजार से अधिक किलोमीटर की दूरी के लिए तीन घंटे में रवन्ना बनाने और इसकी वैद्यता पचास घंटे तक ही कर दी. यदि वाहन इस अवधि मे गन्तव्य तक नहीं पहुंचता तो उसे अवैध परिवहन की श्रेणी में माना जाएगा.

पढ़ेंः विधानसभा की कार्यवाही में Break के बावजूद भी मिलेगा दैनिक भत्ता, विश्नोई ने कहा- हम क्या करें, सरकार की है चूक

याचिका में कहा गया कि उन पर राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियम, 2017 लागू होते हैं. एक बार रवन्ना बनने के बाद अवैध परिवहन नहीं हो सकता. वहीं खनन परिवहन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता. याचिका में यह भी कहा गया कि परिवहन विभाग को याचिकाकर्ता को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सेंड स्टोन परिवहन के लिए अव्यवहारिक शर्ते लगाने पर परिवहन आयुक्त, खान सचिव और अधीक्षक खान अभियंता, कोटा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश बूंदी सेंड स्टोन माइन्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

याचिका में अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि गत 27 दिसंबर को परिवहन विभाग ने आदेश जारी कर ओवर लोड वाहन मिलने पर खनन पट्टाधारी और संबंधित धर्मकांटा संचालक के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया. वहीं इससे पहले खान विभाग ने 3 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर खनन सामग्री के वाहन को धर्मकांटा तक तथा वहां से गन्तव्य स्थल तक पहुंचने के लिए किलोमीटर के अनुपात में समय तय कर दिया.

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इसके तहत परिवहन विभाग ने प्रावधान किया कि एक हजार से अधिक किलोमीटर की दूरी के लिए तीन घंटे में रवन्ना बनाने और इसकी वैद्यता पचास घंटे तक ही कर दी. यदि वाहन इस अवधि मे गन्तव्य तक नहीं पहुंचता तो उसे अवैध परिवहन की श्रेणी में माना जाएगा.

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याचिका में कहा गया कि उन पर राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियम, 2017 लागू होते हैं. एक बार रवन्ना बनने के बाद अवैध परिवहन नहीं हो सकता. वहीं खनन परिवहन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता. याचिका में यह भी कहा गया कि परिवहन विभाग को याचिकाकर्ता को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Intro:बाईट - याचिकाकर्ता के वकील अभिनव शर्मा

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सेंड स्टोन परिवहन के लिए अव्यवहारिक शर्ते लगाने पर परिवहन आयुक्त, खान सचिव और अधीक्षक खान अभियंता, कोटा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश बूंदी सेंड स्टोन माइन्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि गत 27 दिसंबर को परिवहन विभाग ने आदेश जारी कर ओवर लोड वाहन मिलने पर खनन पट्टाधारी और संबंधित धर्मकांटा संचालक के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया। वहीं इससे पहले खान विभाग ने 3 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर खनन सामग्री के वाहन को धर्मकांटा तक तथा वहां से गन्तव्य स्थल तक पहुंचने के लिए किलोमीटर के अनुपात में समय तय कर दिया। इसके तहत परिवहन विभाग ने प्रावधान किया कि एक हजार से अधिक किलोमीटर की दूरी के लिए तीन घंटे में रवन्ना बनाने और इसकी वैघता पचास घंटे तक ही कर दी। यदि वाहन इस अवधि मे गन्तव्य तक नहीं पहुंचता तो उसे अवैध परिवहन की श्रेणी में माना जाएगा। याचिका में कहा गया कि उन पर राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियम, 2017 लागू होते हैं। एक बार रवन्ना बनने के बाद अवैध परिवहन नहीं हो सकता। वहीं खनन परिवहन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता। याचिका में यह भी कहा गया कि परिवहन विभाग को याचिकाकर्ता को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।Conclusion:
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