जयपुर. संशोधन विधेयक पर बहस की शुरुआत पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ ने की. राठौड़ ने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ब्यूरोकेट्स आपके नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं और अधिकारी आपको अंधेरे में रखकर यह संशोधन विधेयक भी पारित करवा रहे हैं.
भाजपा विधायक ने लगाए ये आरोप...
राठौड़ ने कहा इस विधेयक में कुलपति हटाने का तो जिक्र है, लेकिन कुलपति की क्वालिफिकेशन क्या होगी उसको लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया. वहीं, भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी ने तो सरकार पर इस संशोधन विधेयक के जरिए राज्यपाल के पावर को सीज करने तक का आरोप लगा दिया. माहेश्वरी के अनुसार संशोधन विधेयक में राज्यपाल द्वारा सरकार से परामर्श करके ही कुलपति को हटाने का प्रावधान है जो राज्यपाल के अधिकारों पर अतिक्रमण के समान है. भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था में सुधारने पर जोर देते हुए विधेयक को जनमत जानने के लिए भेजने की मांग की.
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महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में भी यही प्रावधान लागू है...
संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले भाजपा विधायकों को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अपने जवाब में कहा कि आप सदन में तो इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश जहां भाजपा की ही सरकार है वहां भी इसी तरह का प्रावधान है. रघु शर्मा के अनुसार जिन विश्वविद्यालय में कुलपतियों की स्थिति निरंकुशता और पक्षपात की बन जाती है. वहां इस तरह के प्रावधान की आवश्यकता पड़ती है.
शर्मा के अनुसार अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने वाले कुलपतियों के लिए यह विधेयक भी लाया गया है. संशोधन विधेयक पर भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य राजनीतिक दल से जुड़े विधायक और अन्य निर्दलीय विधायक भी शामिल हुए और उन्होंने संशोधन विधेयक को लेकर अपने सुझाव सदन में रखे.