जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षिका की नियुक्ति से पूर्व संतान होने पर भी उसे मातृत्व अवकाश का अधिकारी माना है. इसके साथ ही अदालत ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता शिक्षिका की अवकाश की अवधि को मातृत्व अवकाश के रूप में गणना करे. न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकलपीठ ने यह आदेश रुचि खंडेलवाल की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2018 के पद पर चयन हुआ था. विभाग ने 19 जुलाई 2019 को उसका नियुक्ति पत्र जारी किया था. वहीं इससे पहले 17 जून को उसने संतान को जन्म दिया था. याचिका में कहा गया कि उसने नियुक्ति पत्र के आधार पर बाड़मेर के बायतु में पद ग्रहण कर लिया और उसके बाद मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया. वहीं विभाग ने नियुक्ति से पहले संतान होने का हवाला देते हुए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया.
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याचिका में कहा गया कि मातृत्व अवकाश से जुड़े साल 1961 के नियम और सर्विस रूल्स के तहत याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से लिए गए अवकाश की गणना मातृत्व अवकाश के तौर पर करने को कहा है.