जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर बिजली संकट के चलते बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदने की मजबूरी हो गई है. अब तक कोयले की कमी के चलते प्रदेश में बिजली की कमी सामने आ रही थी, लेकिन अब प्रदेश की 5 थर्मल उत्पादन इकाइयों में तकनीकी कारणों से बिजली उत्पादन ठप पड़ा (Power crisis in Rajasthan) है. ऐसे में बिजली की मांग और आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर को थामने के लिए बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदना मजबूरी बन गई है.
ये इकाइयां हैं बंद, उत्पादन निगम अधिकारी परेशान: प्रदेश में बिजली का संकट पहले कोयले की कमी के कारण था, लेकिन अब राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ठप पड़ी विद्युत इकाइयों के कारण यह संकट और गहरा गया है. वर्तमान में उत्पादन निगम की सूरतगढ़ सब क्रिटिकल थर्मल की 250-250 मेगावाट की 2 इकाइयां बंद हैं. वही छबड़ा की 250 मेगावाट क्षमता वाली थर्मल इकाई भी पिछले कुछ महीने से बंद पड़ी है. इसी तरह सूरतगढ़ की 664 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल उत्पादन इकाई पिछले कई महीनों से बंद है. यही स्थिति कालीसिंध की 600 मेगावाट की थर्मल इकाई की भी है. मतलब 2010 मेगावाट कुल क्षमता की पांच उत्पादन इकाइयां फिलहाल बंद पड़ी (Power production in 5 thermal units halted) हैं. इसके अलावा रविवार को सूरतगढ़ थर्मल की 5 इकाइयों में उत्पादन बंद हो गया था, लेकिन उनमें से 4 इकाइयों में बिजली का उत्पादन सोमवार दोपहर तक शुरू कर दिया गया.
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....इसलिए बाजार से खरीद कर चला रहे काम: वर्तमान में नॉर्दन रीजन में बिजली की मांग पहले की तुलना में कम हुई है. जिसके चलते बाजार में बिजली उपलब्ध है. यही राजस्थान के लिए राहत भरी बात है. क्योंकि बिजली की बढ़ती मांग की आपूर्ति के लिए फिलहाल राजस्थान ऊर्जा विकास निगम बाजार से ही बिजली खरीद कर काम चला रहा है. प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती अभी भी जारी है. हालांकि पहले की तुलना में अब कुछ ही घंटों की बिजली कटौती की जा रही है.