जयपुर. प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट बदस्तूर जारी है. मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई और जुर्माना भी लगाया जाता है लेकिन अभी तक इस अपराध के लिए कोई कठोर सजा का प्रावधान नहीं है. ऐसे में मिलावट करने वाले आसानी से बच जाते हैं लेकिन अब राज्य सरकार इन मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. प्रदेश सरकार जल्द ही नया कानून लाने जा रही है जिसके बाद मिलावट को गंभीर अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाएगा. इसके बाद मिलावट करना गैर जमानती अपराध होगा.
मामले को लेकर निदेशक जनस्वास्थ्य विभाग डॉ. केके शर्मा का कहना है कि चिकित्सा विभाग की ओर से समय-समय पर 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जाता है जिसमें विभाग ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग का सहयोग भी लिया जाता है. खाद्य पदार्थों में मिलावट मिलने पर मिलावटखोरों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन मौजूदा समय में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से बनाए गए कानून के तहत ही मिलावटखोरों पर कार्रवाई हो रही है. ऐसे में मिलावट खोर जुर्माने की राशि जमा करा कर बरी हो जाता है लेकिन अब सरकार की ओर से नया कानून तैयार किया गया है जिसके बाद मिलावट करना एक गंभीर अपराध की श्रेणी में शामिल होगा.
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राष्ट्रपति के पास भेजा गया बिल
डॉ. केके शर्मा ने बताया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए आईपीसी की धारा 272 और 273 में बदलाव की तैयारी की जा रही है जिसके बाद मिलावट करना एक गैर जमानती अपराध होगा और इसमें अपराधी को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा. हाल ही में विधानसभा में भी इससे संबंधित एक बिल प्रस्तावित किया गया है जिसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है. बिल पर मुहर लगते ही मिलावट को लेकर जारी किया गया यह कानून प्रदेश भर में लागू हो जाएगा. वहीं मिलावटी दवाओं को भी इस एक्ट में शामिल किया गया है. दवा में मिलावट करने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.
आजीवन कारावास तक की सजा
चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यदि किसी पदार्थ में सब्सटेंडर्ड पाया जाता है तो 1 से 7 साल की सजा और 10000 हजार तक का जुर्माना लगेगा. वहीं खाने-पीने की चीज यदि असुरक्षित पाई जाती है तो उसमें 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जाएगी और साथ ही 50000 रुपये तक जुर्माना भी लगाया जाएगा.