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स्टाफ की कमी से जूझ रहा राजस्थान वन विभाग, खतरे में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा

राजस्थान वन विभाग में स्टाफ की कमी वर्षों से चली आ रही है. वन विभाग में नई भर्ती और पदोन्नति नहीं होने की वजह से लगातार वन क्षेत्रों में शिकार की घटनाएं बढ़ रही हैं.

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स्टाफ की कमी के चलते वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ी...
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Published : Dec 15, 2020, 4:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान में वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. वन विभाग शिकारियों पर शिकंजा कसने में भी फेल होता नजर आ रहा है. वन विभाग के पास ना तो संसाधन है और ना ही पूरा स्टाफ है. राजस्थान वन विभाग में स्टाफ की कमी वर्षों से चली आ रही है. वन विभाग में नई भर्ती और पदोन्नति नहीं होने की वजह से लगातार वन क्षेत्रों में शिकार की घटनाएं बढ़ रही है. इसके साथ ही वनों की कटाई और तस्करी भी बढ़ती जा रही है. वन विभाग में आरएफएस से डीएफओ पद पर 78 पदों पर पदोन्नति होनी है. वहीं, एसीएफ के 180 पद खाली पड़े हुए हैं. जिनमें 90 पद सीधी भर्ती के माध्यम से भरने होंगे और 90 पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे, लेकिन तकनीकी अड़ंगा लगाकर पदोन्नति को भी रोक दिया गया है.

राजस्थान वन विभाग में स्टाफ की कमी वर्षों से चली आ रही है...

वन विभाग में ही अड़ंगा क्यों...

वन विभाग यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि आईएएस, आरएएस और तहसीलदार भर्ती में सब्जेक्ट का अड़ंगा नहीं लगा हुआ. वन विभाग में ही अड़ंगा क्यों लगा रखा है. वन विभाग में अड़ंगा लगाकर पदोन्नति को रोका जा रहा है. वनपाल की भर्ती टेन प्लस टू से की जाती है, लेकिन विज्ञान वर्ग नहीं होने से पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है. वन विभाग में पहले एसीएफ के पदोन्नति के लिए अनुभव आधार होता था. लेकिन, अब एसीएफ पदोन्नति के लिए साइंस वर्ग आवश्यक करके पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है.

पढ़ें: जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बढ़ेगी वन्यजीवों की संख्या, सफेद-गोल्डेन टाइगर लाने की तैयारी

शिकार और तस्करी की घटना बढ़ी...

वन विभाग में वनपाल और रेंजर वन क्षेत्रों की सबसे मजबूत कड़ी होती है. जिनके भरोसे वनों की सुरक्षा के साथ अपराध और शिकार रोकने में अहम भूमिका होती है. लेकिन, आज वन विभाग में रेंजर और वनपाल के पद खाली पड़े हुए हैं. जिसकी वजह से वन क्षेत्रों में शिकार और तस्करी की घटनाएं हो रही है. वन विभाग यूनियन का कहना है कि वनों में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए समय रहते भर्ती और पदोन्नति करना जरूरी है.

फर्स्ट ग्रेड रेंजर के 258 पद खाली...

वन विभाग में फर्स्ट ग्रेड रेंजर के करीब 258 पद खाली पड़े हैं. जिनमें 129 पद सीधी भर्ती से भरने हैं, तो 129 पद पदोन्नति के हैं. अभी वन विभाग में सीधी भर्ती से केवल 11 पद रेंजर के काम कर रहे हैं. जिनके भरोसे ही वन क्षेत्रों की देखभाल नहीं हो पा रही है. 118 पद फर्स्ट ग्रेड रेंजर के खाली है. सरकार ने करीब 90 पदों की भर्ती निकाली हुई है. जिनको भर्ती करते-करते 4 साल निकल जाएंगे. ऐसे में सरकार को जल्द 90 पदों की भर्ती कर वनो को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

पढ़ें: वन विभाग की लापरवाही से करोड़ों का प्रोजेक्ट फेल, अब फिर 15 करोड़ खर्च कर लगेंगे टावर

490 पद पर होनी है पदोन्नति...

इसी तरह वनपाल के 989 पद है जिनमें 490 पद पदोन्नति के हैं, लेकिन वन विभाग ने केवल 70 पदों की भर्ती निकाली है, और यह भर्ती कब पूरी होगी. अगर 220 पदों पर पदोन्नति दे तो नफरी बढ़ सकती है. राजस्थान वन अधीनस्थ संघ की ओर से कई बार वन विभाग और वन मंत्री को भी समस्याओं से अवगत कराया गया. लेकिन, अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया. समय रहते वनों में भर्ती और पदोन्नति करना आवश्यक है.

जयपुर. राजस्थान में वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. वन विभाग शिकारियों पर शिकंजा कसने में भी फेल होता नजर आ रहा है. वन विभाग के पास ना तो संसाधन है और ना ही पूरा स्टाफ है. राजस्थान वन विभाग में स्टाफ की कमी वर्षों से चली आ रही है. वन विभाग में नई भर्ती और पदोन्नति नहीं होने की वजह से लगातार वन क्षेत्रों में शिकार की घटनाएं बढ़ रही है. इसके साथ ही वनों की कटाई और तस्करी भी बढ़ती जा रही है. वन विभाग में आरएफएस से डीएफओ पद पर 78 पदों पर पदोन्नति होनी है. वहीं, एसीएफ के 180 पद खाली पड़े हुए हैं. जिनमें 90 पद सीधी भर्ती के माध्यम से भरने होंगे और 90 पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे, लेकिन तकनीकी अड़ंगा लगाकर पदोन्नति को भी रोक दिया गया है.

राजस्थान वन विभाग में स्टाफ की कमी वर्षों से चली आ रही है...

वन विभाग में ही अड़ंगा क्यों...

वन विभाग यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि आईएएस, आरएएस और तहसीलदार भर्ती में सब्जेक्ट का अड़ंगा नहीं लगा हुआ. वन विभाग में ही अड़ंगा क्यों लगा रखा है. वन विभाग में अड़ंगा लगाकर पदोन्नति को रोका जा रहा है. वनपाल की भर्ती टेन प्लस टू से की जाती है, लेकिन विज्ञान वर्ग नहीं होने से पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है. वन विभाग में पहले एसीएफ के पदोन्नति के लिए अनुभव आधार होता था. लेकिन, अब एसीएफ पदोन्नति के लिए साइंस वर्ग आवश्यक करके पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है.

पढ़ें: जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बढ़ेगी वन्यजीवों की संख्या, सफेद-गोल्डेन टाइगर लाने की तैयारी

शिकार और तस्करी की घटना बढ़ी...

वन विभाग में वनपाल और रेंजर वन क्षेत्रों की सबसे मजबूत कड़ी होती है. जिनके भरोसे वनों की सुरक्षा के साथ अपराध और शिकार रोकने में अहम भूमिका होती है. लेकिन, आज वन विभाग में रेंजर और वनपाल के पद खाली पड़े हुए हैं. जिसकी वजह से वन क्षेत्रों में शिकार और तस्करी की घटनाएं हो रही है. वन विभाग यूनियन का कहना है कि वनों में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए समय रहते भर्ती और पदोन्नति करना जरूरी है.

फर्स्ट ग्रेड रेंजर के 258 पद खाली...

वन विभाग में फर्स्ट ग्रेड रेंजर के करीब 258 पद खाली पड़े हैं. जिनमें 129 पद सीधी भर्ती से भरने हैं, तो 129 पद पदोन्नति के हैं. अभी वन विभाग में सीधी भर्ती से केवल 11 पद रेंजर के काम कर रहे हैं. जिनके भरोसे ही वन क्षेत्रों की देखभाल नहीं हो पा रही है. 118 पद फर्स्ट ग्रेड रेंजर के खाली है. सरकार ने करीब 90 पदों की भर्ती निकाली हुई है. जिनको भर्ती करते-करते 4 साल निकल जाएंगे. ऐसे में सरकार को जल्द 90 पदों की भर्ती कर वनो को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

पढ़ें: वन विभाग की लापरवाही से करोड़ों का प्रोजेक्ट फेल, अब फिर 15 करोड़ खर्च कर लगेंगे टावर

490 पद पर होनी है पदोन्नति...

इसी तरह वनपाल के 989 पद है जिनमें 490 पद पदोन्नति के हैं, लेकिन वन विभाग ने केवल 70 पदों की भर्ती निकाली है, और यह भर्ती कब पूरी होगी. अगर 220 पदों पर पदोन्नति दे तो नफरी बढ़ सकती है. राजस्थान वन अधीनस्थ संघ की ओर से कई बार वन विभाग और वन मंत्री को भी समस्याओं से अवगत कराया गया. लेकिन, अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया. समय रहते वनों में भर्ती और पदोन्नति करना आवश्यक है.

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