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प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति और एमएसएमई नीति 2022 जारी, जानिए क्या मिलेगा फायदा

प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति और (Rajasthan First Handicraft Policy) राजस्थान एमएसएमई नीति 2022 शनिवार को जारी की गई. इन नीतियों से औद्योगिक विकास के साथ शिल्पकार-दस्तकारों के रोजगार सृजन के अवसर बढ़ेंगे.

Rajasthan MSME Policy 2022
हस्तशिल्प नीति और एमएसएमई नीति 2022 जारी
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Published : Sep 17, 2022, 8:52 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 9:15 PM IST

जयपुर. प्रदेश में राजस्थान एमएसएमई नीति 2022 और हस्तशिल्प नीति जारी हो गई. इस नीति के लागू होने से न केवल औद्योगिक विकास होगा बल्कि दस्तकारों के रोजगार का भी सृजन होगा. एमएसएमई दिवस के अवसर पर प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति और राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 जारी किया गया. साथ ही उद्यमियों और निर्यातकों को उद्योग रत्न और निर्यात प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए गए.

उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति लागू होने से (Rajasthan MSME Policy 2022) टेक्सटाइल, मेटल एंड वुड, कारपेट, दरी, नमदा, सेरेमिक एवं क्लेआर्ट, पेंटिग, लेदर क्राफ्ट, ज्वैलरी आदि के दस्तकारों को लाभ होगा. साथ ही हस्तशिल्प के क्षेत्र में आगामी 5 वर्षों में 50 हजार से अधिक नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि राजस्थान हस्तशिल्प नीति-2022 का उद्देश्य हस्तशिल्पियों के उत्थान के लिए बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था, परंपरागत कलाओं एवं विलुप्त होती कलाओं को पुनर्जिवित करना और रोजगार के नए अवसर सृजित करना है.

हस्तशिल्प नीति और एमएसएमई नीति 2022 जारी

रावत ने राजस्थान की हस्तकलाओं पर तैयार की गई कॉफी टेबल बुक ‘राजस्थानी कारीगरी’ का विमोचन भी किया. जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में इसका आयोजन हुआ. रावत ने कहा कि कृषि के बाद, एमएसएमई क्षेत्र देश में रोजगार सृजन के क्षेत्र में दूसरे पायदान पर है. संख्या में भी अधिक होने से एमएसएमई उद्यम औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ के रूप में कार्य करके देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी बहुत बड़ा योगदान देते हैं. एमएसएमई की क्षमता का दोहन करने के लिए आज नई राज्य की ‘राजस्थान माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज नीति 2022‘ भी जारी की गई.

पढ़ें. राजस्थान एमएसएमई समिटः 90 फीसदी एमएसएमई उद्योगों से प्रदेश में बढ़ रहे रोजगार के अवसर- राजीव अरोड़ा

हैंडीक्राफ्ट पॉलिसी से ये होगा लाभ : प्रदेश की पहली हैंडीक्राफ्ट पॉलिसी में वित्तीय सहयोग (Rajasthan Handicraft Policy 2022) के लिए कलाकारों को लोन के ब्याज पर 100% सब्सिडी मिलेगी. उत्पादों का निर्यात योग्य बनाने पर फोकस किया जाएगा. उद्योग विभाग के अधीन हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय का गठन होगा. नई पॉलिसी अप्रैल 2026 तक प्रभावी रहेगी. इसके बाद रिव्यू कर संशोधन या फिर नई पॉलिसी लाने पर निर्णय होगा. पॉलिसी में यह प्रावधान भी है कि राज्य में सभी सरकारी समारोहों में स्मृति चिह्न के रूप में अब केवल प्रदेश के हैंडीक्राफ्ट उत्पाद शामिल होंगे.

प्रदेश के हस्तशिल्पियों का डेटाबेस तैयार होगा : सेलिब्रिटी को हस्तशिल्प का ब्रांड एंबेसडर बनाया जाएगा. प्रदेश की प्रमुख कलाओं का विशेषज्ञों से डॉक्यूमेंटेशन कराया जाएगा. साथ ही टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, निर्यात बढ़ाने और रोजगार के लिए हैंडीक्राफ्ट डिजाइन सेंटर बनेगा. रीको हैंडीक्राफ्ट पार्क भी विकसित किया जाएगा. जयपुर में हस्तशिल्प म्यूजियम बनाया जाएगा. डिजाइन एवं क्राफ्ट सेंटर बनाने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहन दिया जाएगा. सीएसआर फंड का उपयोग भी हस्तशिल्प विकास के लिए किया जा सकेगा.

पढ़ें. Swayam Siddha Handicrafts Exhibition : महिला उद्यमियों ने महामारी को बनाया अवसर, शुरू किए नए स्टार्टअप

हर दिसंबर में हस्तशिल्प सप्ताह: राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के (Handicrafts Week in December) लिए हर साल दिसंबर में हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन किया जाएगा. साथ ही उत्पादों का प्रदर्शन भी किया जाएगा. टैक्सटाइल, सिरेमिक व क्ले आर्ट, पेंटिंग लेदर, क्राफ्ट आर्ट, ज्वेलरी, वुड कारपेट, दरी-नमदा आदि सेक्टर में सर्वश्रेष्ठ युवा हस्तशिल्प, महिला हस्तशिल्प, विलुप्त होती कलाओं को जिंदा रखने वाले दस्तकारों को पुरस्कार और सम्मान दिया जाएगा.

उत्पादों की ई प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग : देश-प्रदेश में लगने वाले मेलों का वार्षिक कैलेंडर बनेगा. हाट आदि से शिल्पकारों को जोड़ा जाएगा. साथ ही वेस्ट मेटेरियल के उपयोग के लिए इको फ्रेंडली पैकेजिंग प्रशिक्षण संस्थानों से समन्वय किया जाएगा. 9 जिलों की जेलों में कैदियों के बनाए शिल्प उत्पादों के लिए भी उद्योग विभाग बाजार तैयार करेगा. इको क्राफ्ट उत्पादों को प्रोत्साहन देकर रोजगार का नया फील्ड विकसित किया जाएगा.

पढ़ें. National Handloom Day: मरुधरा की एक पहचान हैंडलूम उत्पाद भी, दिक्कतें भी कम नहीं जरूरत तालमेल की!

विक्रय केंद्र के लिए 1 लाख रुपए तक राशि : हथकरघा-बुनकर, हस्तशिल्प संस्थान-समिति आदि के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए विक्रय केंद्र स्थापित करने पर कुल लागत की 50% के साथ 1 लाख रुपए तक जो भी काम होगा, इसके लिए सहायता राशि दी जाएगी. हेरिटेज होटल, पर्यटन स्थल, दुकान को लीज पर लेने में सहायता मिलेगी.

वेबसाइट बनाने के लिए समिति : संस्थान को 25 हजार की सहायता मिलेगी. पंजीकृत शिल्पियों के उत्पादों की ई-बाजार के माध्यम से राजकीय विभाग 10 लाख रुपए तक की खरीद बिना टेंडर के कर सकेंगे.

जयपुर. प्रदेश में राजस्थान एमएसएमई नीति 2022 और हस्तशिल्प नीति जारी हो गई. इस नीति के लागू होने से न केवल औद्योगिक विकास होगा बल्कि दस्तकारों के रोजगार का भी सृजन होगा. एमएसएमई दिवस के अवसर पर प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति और राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 जारी किया गया. साथ ही उद्यमियों और निर्यातकों को उद्योग रत्न और निर्यात प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए गए.

उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति लागू होने से (Rajasthan MSME Policy 2022) टेक्सटाइल, मेटल एंड वुड, कारपेट, दरी, नमदा, सेरेमिक एवं क्लेआर्ट, पेंटिग, लेदर क्राफ्ट, ज्वैलरी आदि के दस्तकारों को लाभ होगा. साथ ही हस्तशिल्प के क्षेत्र में आगामी 5 वर्षों में 50 हजार से अधिक नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि राजस्थान हस्तशिल्प नीति-2022 का उद्देश्य हस्तशिल्पियों के उत्थान के लिए बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था, परंपरागत कलाओं एवं विलुप्त होती कलाओं को पुनर्जिवित करना और रोजगार के नए अवसर सृजित करना है.

हस्तशिल्प नीति और एमएसएमई नीति 2022 जारी

रावत ने राजस्थान की हस्तकलाओं पर तैयार की गई कॉफी टेबल बुक ‘राजस्थानी कारीगरी’ का विमोचन भी किया. जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में इसका आयोजन हुआ. रावत ने कहा कि कृषि के बाद, एमएसएमई क्षेत्र देश में रोजगार सृजन के क्षेत्र में दूसरे पायदान पर है. संख्या में भी अधिक होने से एमएसएमई उद्यम औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ के रूप में कार्य करके देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी बहुत बड़ा योगदान देते हैं. एमएसएमई की क्षमता का दोहन करने के लिए आज नई राज्य की ‘राजस्थान माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज नीति 2022‘ भी जारी की गई.

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हैंडीक्राफ्ट पॉलिसी से ये होगा लाभ : प्रदेश की पहली हैंडीक्राफ्ट पॉलिसी में वित्तीय सहयोग (Rajasthan Handicraft Policy 2022) के लिए कलाकारों को लोन के ब्याज पर 100% सब्सिडी मिलेगी. उत्पादों का निर्यात योग्य बनाने पर फोकस किया जाएगा. उद्योग विभाग के अधीन हस्तशिल्प एवं हथकरघा निदेशालय का गठन होगा. नई पॉलिसी अप्रैल 2026 तक प्रभावी रहेगी. इसके बाद रिव्यू कर संशोधन या फिर नई पॉलिसी लाने पर निर्णय होगा. पॉलिसी में यह प्रावधान भी है कि राज्य में सभी सरकारी समारोहों में स्मृति चिह्न के रूप में अब केवल प्रदेश के हैंडीक्राफ्ट उत्पाद शामिल होंगे.

प्रदेश के हस्तशिल्पियों का डेटाबेस तैयार होगा : सेलिब्रिटी को हस्तशिल्प का ब्रांड एंबेसडर बनाया जाएगा. प्रदेश की प्रमुख कलाओं का विशेषज्ञों से डॉक्यूमेंटेशन कराया जाएगा. साथ ही टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, निर्यात बढ़ाने और रोजगार के लिए हैंडीक्राफ्ट डिजाइन सेंटर बनेगा. रीको हैंडीक्राफ्ट पार्क भी विकसित किया जाएगा. जयपुर में हस्तशिल्प म्यूजियम बनाया जाएगा. डिजाइन एवं क्राफ्ट सेंटर बनाने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहन दिया जाएगा. सीएसआर फंड का उपयोग भी हस्तशिल्प विकास के लिए किया जा सकेगा.

पढ़ें. Swayam Siddha Handicrafts Exhibition : महिला उद्यमियों ने महामारी को बनाया अवसर, शुरू किए नए स्टार्टअप

हर दिसंबर में हस्तशिल्प सप्ताह: राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के (Handicrafts Week in December) लिए हर साल दिसंबर में हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन किया जाएगा. साथ ही उत्पादों का प्रदर्शन भी किया जाएगा. टैक्सटाइल, सिरेमिक व क्ले आर्ट, पेंटिंग लेदर, क्राफ्ट आर्ट, ज्वेलरी, वुड कारपेट, दरी-नमदा आदि सेक्टर में सर्वश्रेष्ठ युवा हस्तशिल्प, महिला हस्तशिल्प, विलुप्त होती कलाओं को जिंदा रखने वाले दस्तकारों को पुरस्कार और सम्मान दिया जाएगा.

उत्पादों की ई प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग : देश-प्रदेश में लगने वाले मेलों का वार्षिक कैलेंडर बनेगा. हाट आदि से शिल्पकारों को जोड़ा जाएगा. साथ ही वेस्ट मेटेरियल के उपयोग के लिए इको फ्रेंडली पैकेजिंग प्रशिक्षण संस्थानों से समन्वय किया जाएगा. 9 जिलों की जेलों में कैदियों के बनाए शिल्प उत्पादों के लिए भी उद्योग विभाग बाजार तैयार करेगा. इको क्राफ्ट उत्पादों को प्रोत्साहन देकर रोजगार का नया फील्ड विकसित किया जाएगा.

पढ़ें. National Handloom Day: मरुधरा की एक पहचान हैंडलूम उत्पाद भी, दिक्कतें भी कम नहीं जरूरत तालमेल की!

विक्रय केंद्र के लिए 1 लाख रुपए तक राशि : हथकरघा-बुनकर, हस्तशिल्प संस्थान-समिति आदि के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए विक्रय केंद्र स्थापित करने पर कुल लागत की 50% के साथ 1 लाख रुपए तक जो भी काम होगा, इसके लिए सहायता राशि दी जाएगी. हेरिटेज होटल, पर्यटन स्थल, दुकान को लीज पर लेने में सहायता मिलेगी.

वेबसाइट बनाने के लिए समिति : संस्थान को 25 हजार की सहायता मिलेगी. पंजीकृत शिल्पियों के उत्पादों की ई-बाजार के माध्यम से राजकीय विभाग 10 लाख रुपए तक की खरीद बिना टेंडर के कर सकेंगे.

Last Updated : Sep 17, 2022, 9:15 PM IST
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