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राजस्थान में कांग्रेस का 'फोकस' उपचुनाव से ज्यादा निकाय चुनावों पर

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Published : Oct 9, 2019, 8:37 PM IST

राजस्थान एक बार फिर चुनावी दौर से गुजरेगा. दो विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को मतदान हैं जबकि नवंबर में निकाय चुनाव होंगे. विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजस्थान में एक मिथक है कि सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है. लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस का फोकस फिलहाल इन दोनों सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव पर नजर नहीं आ रहा.

Rajasthan Congress, Rajasthan by-elections 2019

जयपुर. प्रदेश में मंडावा और खींवसर सीटों पर उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है. नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे. ऐसे में पार्टियों के पास प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं. लेकिन प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इन दिनों निकाय चुनावों ज्यादा फोकस नजर आ रही है.

दरअसल, नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव की रणभेरी बजने वाली है. ऐसे में कांग्रेस के कई बड़े नेता निकाय चुनावों में रूची दिखा रहे हैं. लेकिन राज्य की दो सीटों पर उपचुनाव के अलावा अभी इस बात का फैसला होना बाकि है कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष होंगे यां अप्रत्यक्ष. कांग्रेस सरकार की धारीवाल कमेटी इस पर फैसला करेगी. हालांकि ये तय माना जा रहा है कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष कराए जाएंगे.

राजस्थान कांग्रेस का फोकस उपचुनाव से ज्यादा निकाय चुनावों पर!

ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से सीदे महापौर और पालिकाध्यक्ष नवाजे जाने की चाह रखने वाले कई बड़े नेता इस दौड़ से बाहर होते दिख रहे हैं. क्योंकि अगर महापौर के लिए वह अपना दावेदारी दिखाते भी हैं तो इसके लिए उन्हें पहले पार्षद का चुनाव लड़ना पड़ेगा. ऐसे में उनके सामने हार का संकट बना रहेगा. अकेले जयपुर के चुनावों पर नजर डालें तो करीब 3500 कांग्रेस नेता पार्टी के समक्ष पार्षद के लिए आवेदन कर चुके हैं.

पढ़ेंः बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने इशारों में सीएम गहलोत पर कसा तंज...कहा- बेटा क्रिकेट का बन गया...वो फुटबॉल का बन जाएं

उधर राजस्थान में उपचुनाव को लेकर कांग्रेस में कोई शोर दिखाई नहीं दे रहा. पार्टी के प्रदेश कार्यालय से लेकर सरकार तक विधानसभा उपचुनाव के बजाय निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश चल रही है. प्रदेश के प्रभारी से लेकर सभी नेता निकाय चुनाव के मंथन में ज्यादा उलझे नजर आ रहे हैं. जिला कार्यालयों में भी निकाय चुनावों का ही शोर नजर आ रहा है. कई नेताओं ने अपने-अपने चहेतों के लिए पार्षद के टिकट की लॉबिंग भी शुरू कर दी है.

हालात यह है कि विधानसभा उपचुनाव में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं, कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि स्टार प्रचारकों के दौरे कहां-कहां होंगे. हालांकि कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. लेकिन कौनसा प्रचारक कहां जाएगा, इस बारे में अभी तय नहीं हो पाया है.

पढ़ेंः शराबबंदी पर बोले गहलोत- गुजरात में शराब न मिले तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा या रूपाणी छोड़ दें

स्टार प्रचारकों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, सरकार में सभी मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल है. चुनावी सभाओं के लिए अब महज 10 दिन का समय शेष है. 19 अक्टूबर की शाम प्रसार का शोर थम जाएगा. जिस तरीके से कांग्रेस नेता निकाय चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की लॉबिंग और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष चुनाव के फैसले पर उलझे हैं, इससे यह लगता नहीं है कि पार्टी का फोकस उपचुनाव पर भी है.

जयपुर. प्रदेश में मंडावा और खींवसर सीटों पर उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है. नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे. ऐसे में पार्टियों के पास प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं. लेकिन प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इन दिनों निकाय चुनावों ज्यादा फोकस नजर आ रही है.

दरअसल, नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव की रणभेरी बजने वाली है. ऐसे में कांग्रेस के कई बड़े नेता निकाय चुनावों में रूची दिखा रहे हैं. लेकिन राज्य की दो सीटों पर उपचुनाव के अलावा अभी इस बात का फैसला होना बाकि है कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष होंगे यां अप्रत्यक्ष. कांग्रेस सरकार की धारीवाल कमेटी इस पर फैसला करेगी. हालांकि ये तय माना जा रहा है कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष कराए जाएंगे.

राजस्थान कांग्रेस का फोकस उपचुनाव से ज्यादा निकाय चुनावों पर!

ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से सीदे महापौर और पालिकाध्यक्ष नवाजे जाने की चाह रखने वाले कई बड़े नेता इस दौड़ से बाहर होते दिख रहे हैं. क्योंकि अगर महापौर के लिए वह अपना दावेदारी दिखाते भी हैं तो इसके लिए उन्हें पहले पार्षद का चुनाव लड़ना पड़ेगा. ऐसे में उनके सामने हार का संकट बना रहेगा. अकेले जयपुर के चुनावों पर नजर डालें तो करीब 3500 कांग्रेस नेता पार्टी के समक्ष पार्षद के लिए आवेदन कर चुके हैं.

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उधर राजस्थान में उपचुनाव को लेकर कांग्रेस में कोई शोर दिखाई नहीं दे रहा. पार्टी के प्रदेश कार्यालय से लेकर सरकार तक विधानसभा उपचुनाव के बजाय निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश चल रही है. प्रदेश के प्रभारी से लेकर सभी नेता निकाय चुनाव के मंथन में ज्यादा उलझे नजर आ रहे हैं. जिला कार्यालयों में भी निकाय चुनावों का ही शोर नजर आ रहा है. कई नेताओं ने अपने-अपने चहेतों के लिए पार्षद के टिकट की लॉबिंग भी शुरू कर दी है.

हालात यह है कि विधानसभा उपचुनाव में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं, कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि स्टार प्रचारकों के दौरे कहां-कहां होंगे. हालांकि कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. लेकिन कौनसा प्रचारक कहां जाएगा, इस बारे में अभी तय नहीं हो पाया है.

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स्टार प्रचारकों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, सरकार में सभी मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल है. चुनावी सभाओं के लिए अब महज 10 दिन का समय शेष है. 19 अक्टूबर की शाम प्रसार का शोर थम जाएगा. जिस तरीके से कांग्रेस नेता निकाय चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की लॉबिंग और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष चुनाव के फैसले पर उलझे हैं, इससे यह लगता नहीं है कि पार्टी का फोकस उपचुनाव पर भी है.

Intro:कांग्रेसमें उपचुनाव से ज्यादा फोकस निकाय के चुनाव में अकेले जयपुर से आए करीब 3:30 हजार से ज्यादा नेताओं के टिकट के लिए आवेदन अप्रत्यक्ष चुनाव के चक्कर में बड़े नेता हटे पीछे तो वही इन चुनाव के चक्कर में उपचुनाव के लिए घोषित किए गए स्टार प्रचारकों का भी नहीं बन सका है कार्यक्रम जबकि अब बचे केवल 10 दिन प्रचार के क्योंकि 2 दिन पहले हो जाता है प्रचार बंद


Body:प्रदेश में मंडावा और खींवसर सीटों पर उपचुनाव पुणे जा रहे हैं लेकिन इन 2 सीटों पर उपचुनाव की जगह कांग्रेस पार्टी में अभी निकाय चुनाव को लेकर चर्चा ज्यादा है और इसके साथ तैयारियां भी पहले तो इंतजार हो रहा था कि नवंबर में निकाय चुनाव प्रत्यक्ष होंगे ऐसे में बड़े नेता तैयारी में जुट गए थे लेकिन जैसे ही अब यह लगभग साफ हो चुका है कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर होंगे ऐसे में दौड़ से 10 नेता बाहर होते नजर आ रहे हैं क्योंकि अगर महापौर के लिए वह अपना दावेदारी दिखाते भी हैं तो इसके लिए उन्हें पहले पार्षद का चुनाव लड़ना पड़ेगा ऐसे में उनके सामने मुसीबत होगी अब तक अकेले जयपुर की बात की जाए तो करीब 3500 कांग्रेस के नेताओं के पार्षद के लिए आवेदन आ चुके हैं उधर राजस्थान में निकाय से पहले 21 अक्टूबर को विधानसभा उप चुनाव भी होने हैं और 21 अक्टूबर को इसके लिए मतदान भी होगा लेकिन पार्टी के प्रदेश कार्यालय से लेकर सरकार तक विधानसभा उपचुनाव के बजाय निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश में लगी है प्रदेश के प्रभारी हो सह प्रभारी हो या कोई भी नेता सभी निकाय चुनाव के मंथन में ज्यादा उलझे नजर आ रहे हैं वहीं जिलों में तो निकाय चुनाव में उम्मीदवारी के लिए दावेदारों ने जिला अध्यक्षों के आवेदन जमा करना भी शुरू कर दिया है तो बड़े नेताओं ने अपने-अपने चहेतों के लिए पार्षद के टिकट की लॉबिंग भी शुरू कर दी है राजधानी जयपुर में ही 150 वार्डों के लिए करीब 3500 से ज्यादा नेताओं ने टिकट की दावेदारी जताई है हालात यह है कि विधानसभा के उपचुनाव में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अब तक यहां के चुनाव केवल प्रत्याशियों के भरोसे ही चल रहे हैं पार्टी की ओर से 40 स्टार प्रचारकों की सूची तो जारी की जा चुकी है लेकिन अब तक किसी भी स्टाफ चारक का प्रचार कहां होगा और कब होगा यह तय नहीं किया गया है इस सूची में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री सचिन पायलट सभी मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का नाम इस सूची में शामिल है लेकिन अभी इनमें से किसी नेता का दौरा उपचुनाव के लिए नहीं बचा है जबकि चुनावी सभाओं के लिए अब महज 10 दिन का समय ही बचा है क्योंकि 48 घंटे पहले प्रचार बंद हो जाता है और प्रचार बंद होने से पहले महज 10 दिन ही कांग्रेस के पास है लेकिन जिस तरीके से निकाय चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने और प्रत्येक चुनाव होंगे या अप्रत्यक्ष चुनाव इसमें कांग्रेस के नेता जुटे हुए हैं ऐसे में उपचुनाव केवल प्रत्याशियों के बरे से लड़े जा रहे हैं
पीटीसी अजीत


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