जयपुर. राजस्थान में राजनीतिक उठापटक के बाद 14 जुलाई को गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया था. आज 14 नवंबर है और 4 महीने पूरे होने के बाद अब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अकेले ही प्रदेश कांग्रेस को चला रहे हैं. उनके साथ काम करने के लिए संगठन में कोई पदाधिकारी नहीं है.
हर किसी को उम्मीद थी कि दिवाली पर तो कम से कम प्रदेश कांग्रेस को उसके पदाधिकारी मिल ही जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और आगे भी जब तक प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश में बाकी बचे 5 संभागों का फीडबैक नहीं ले लेंगे तब तक संगठन का गठन होता दिखाई नहीं दे रहा है.
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हालात यह है कि बिना संगठन के ही कांग्रेस पार्टी पहले पंच-सरपंच के चुनाव में उतरी. हालांकि उन चुनावों में किसी पार्टी के सिंबल पर चुनाव नहीं होते, ऐसे में उस समय तो कांग्रेस का काम चल गया लेकिन उसके बाद हुए प्रदेश के 6 निगमों के चुनाव में भी प्रदेश कांग्रेस संगठन नहीं बना और अब पार्टी जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में उतरी हुई है.
निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में आचार संहिता लग चुकी है. ऐसे में ये दोनों चुनाव भी प्रदेश में अब बिना संगठन के ही होते हुए नजर आएंगे. ऐसे में कहा जा सकता है कि दिवाली पर जिन कार्यकर्ताओं को कांग्रेस संगठन में आने की उम्मीद थी, उन कार्यकर्ताओं का सपना दिवाली पर भी पूरा नहीं हो सका है.
अग्रिम संगठन को भी है कार्यकारिणी का इंतजार
राजस्थान में सियासी उठापटक के बाद ना केवल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ही अकेले काम कर रहे हैं, बल्कि उनके साथ ही अग्रिम संगठन सेवादल, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई भी अध्यक्षों के सहारे ही चल रही है. इन अग्रिम संगठनों में भी कार्यकर्ता शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि जब राजस्थान में सियासी भूचाल आया था तो प्रदेश कांग्रेस के साथ ही सेवादल, एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के भी अध्यक्ष बदल दिए गए थे.
इस दौरान महिला कांग्रेस के अध्यक्ष को नहीं हटाया गया था, लेकिन महिला कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया था. इनमें से युवा कांग्रेस की टीम तो चुनाव में जीत कर आई है, ऐसे में यूथ कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब अग्रिम संगठनों में आने की बाट जोह रहे कार्यकर्ता अब तक अपनी बारी का इंतजार ही कर रहे हैं.