जयपुर. राज्य स्तरीय सहकार सम्मेलन (Rajasthan Co Operation Department Conference) को संबोधित करते हुए शुक्रवार को विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा समेत अन्य अधिकारियों ने नैनो यूरिया के इस्तेमाल पर जोर देने की बात कही. प्रदेश में सहकारी समितियों को अगले वर्ष से खेती के लिए नैनो डीएपी भी उपलब्ध किया जाएगा.
सहकार भवन में आयोजित इस सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि नैनो यूरिया उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी बहुत उपयोगी है. गुहा ने कहा कि सहकारी समितियां नैनो यूरिया के इस्तेमाल और इससे होने वाले फायदों के बारे में किसानों को जागरूक करें. उन्होंने कहा कि कृषि और सहकारिता विभाग को नैनो यूरिया की जानकारी पहुंचाने के लिए जिला और ब्लॉक लेवल पर सम्मेलन करने चाहिए.
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कम पानी में भी अच्छे परिणाम : कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि अगले वर्ष नैनो डीएपी को भी किसानों के हित में उपयोग के लिए लाया जाएगा. भारत सरकार ने इफको के नैनो यूरिया को स्वीकृति दे दी है. उन्होंने कहा कि यूरिया का उपयोग कृषि के साथ वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. राजस्थान में पानी की कमी को देखते हुए नैनो यूरिया का उपयोग अच्छे परिणाम दे रहा है.
उन्होंने कहा आज विज्ञान के क्षेत्र में नैनो तकनीक का उपयेाग तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में कृषि क्षेत्र में भी नैनो तकनीक के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल और उतम स्वास्थ्य के लिए कृषि तकनीक का उपयोग शुरू हुआ है. डॉ. अवस्थी ने कहा कि यूरिया के उपयोग से उत्पादन मे कमी के साथ जमीन को भी नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि सहकार जन किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग के बारे में बताए. नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है. जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. उन्होंने कहा कि सहकारिता की मदद से कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक, जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है.
रासायनिक की जगह जैव उर्वरक का करें प्रयोग : कार्यक्रम में रजिस्ट्रार सहकारिता मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि किसानों को रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरक का उपयोग करना चाहिए. नैनो यूरिया सुगम तरीके से खेती के कार्यो में अपनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सहकारिता ने कृषि के क्षेत्र में कई परिवर्तन किए हैं. इसमें नैनो यूरिया के साथ आने वाले समय में नैनो तकनीक के कृषि कार्य में उपयोग बढ़ेगा. इसमें सहकारिता अपनी भूमिका से किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
अग्रवाल ने कहा कि सहकारिता 7 हजार से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों और 250 केवीएसएस के माध्यम से उर्वरकों, खाद, बीज और विपणन का कार्य करती है. आम किसान तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत पर नई जीएसएस बनाई जा रही है. अल्पकालीन फसली ऋण का लक्ष्य दो वर्षों में 16 हजार करोड़ से बढ़ाकर 20 हजार करोड़ रुपए किया गया है.
एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट पर ऋण और अनुदान देकर सहकारी समितियों के व्यवसाय को बढ़ाया जा रहा है. 400 से अधिक जीएसएस और केवीएसएस पर कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की गई है. ताकि किसान भी जागरूक होकर सरकार योजना का लाभ लें. कार्यक्रम में प्रबंध निदेशक राजफैड उर्मिला राजोरिया, राजफैड के पूर्व अध्यक्ष मांगीलाल डागा, इफको के क्षेत्रीय निदेशक किशन सिंह सहित विभिन्न सहकारी समितियों के अध्यक्ष, व्यवस्थापक उपस्थित थे.