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गौशालाओं के लिए अनुदान प्रक्रिया को और ज्यादा आसान और सरल बनाएं: मुख्य सचिव निरंजन आर्य

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गौ-संरक्षण एवं संवर्धन निधि की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक की. इस दौरान उन्होंने गौशालाओं के लिए अनुदान प्रक्रिया को और ज्यादा आसान और सरल बनाने के निर्देश दिए हैं.

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मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि गौशालाओं के लिए अनुदान प्रक्रिया सरल बनाएं
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Published : Jan 29, 2021, 6:08 PM IST

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने गौशालाओं के लिए अनुदान प्रक्रिया को और ज्यादा आसान और सरल बनाने के निर्देश दिए हैं. सीएस ने सभी जिला एवं ब्लॉक स्तर पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र उपयुक्त स्थानों का चयन कर नन्दी शालाएं स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और गौशाला संचालकों के सहयोग से व्यावहारिक योजना बनाकर कार्य करें.

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गौ-संरक्षण एवं संवर्धन निधि की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक की. मुख्य सचिव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए गौशाला स्थापना से लेकर अनुदान प्राप्त करने तक की पूरी प्रक्रिया को अधिकतम आसान एवं पारदर्शी बनाएं. उन्होंने अनुदान राशि का भुगतान तय समय पर डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से करने के निर्देश दिए, ताकि गौशाला संचालकों को त्वरित लाभ मिल सके.

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उन्होंने चरागाह भूमि पर चल रही गौशालाओं का पंजीकरण करने में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय करने के निर्देश भी दिए हैं. आर्य ने सभी जिला एवं ब्लॉक स्तर पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र उपयुक्त स्थानों का चयन कर नन्दी शालाएं स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और गौशाला संचालकों के सहयोग से व्यावहारिक योजना बनाकर कार्य करें. इस दौरान पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीना ने बताया कि स्टांप ड्यूटी पर 10 प्रतिशत एवं मदिरा बिक्री के वेट पर 20 फीसदी अधिभार लगाकर निधि का सृजन किया गया है.

उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में 31 दिसम्बर तक इस निधि में 638 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस अवसर पर पशुपालन विभाग की शासन सचिव डॉ. आरूषि मलिक ने बताया कि अनुदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बीकानेर, जोधपुर, झुंझुनूं, टोंक, बारां, उदयपुर, दौसा एवं सवाई माधोपुर जिलों में अनुदान भुगतान प्रक्रिया को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया गया है. इस दौरान गोपालन विभाग के निदेशक खजान सिंह ने बताया कि राज्य में 2018 गौशालाओं को साल में दो चरणों में 180 दिन का अनुदान दिया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि गौशालाओं को प्रतिदिन बड़े पशु के लिए 40 रुपए एवं छोटे पशु के लिए 20 रुपए का अनुदान मिलता है. इस वित्तीय वर्ष के माह अप्रेल-मई-जून के अनुदान के रूप में 243 करोड़ रुपए का भुगतान अक्टूबर तक कर दिया गया है. बैठक में विशिष्ट वित्त सचिव (व्यय) सुधीर कुमार शर्मा एवं गोपालन विभाग के उच्च अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने गौशालाओं के लिए अनुदान प्रक्रिया को और ज्यादा आसान और सरल बनाने के निर्देश दिए हैं. सीएस ने सभी जिला एवं ब्लॉक स्तर पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र उपयुक्त स्थानों का चयन कर नन्दी शालाएं स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और गौशाला संचालकों के सहयोग से व्यावहारिक योजना बनाकर कार्य करें.

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गौ-संरक्षण एवं संवर्धन निधि की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक की. मुख्य सचिव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए गौशाला स्थापना से लेकर अनुदान प्राप्त करने तक की पूरी प्रक्रिया को अधिकतम आसान एवं पारदर्शी बनाएं. उन्होंने अनुदान राशि का भुगतान तय समय पर डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से करने के निर्देश दिए, ताकि गौशाला संचालकों को त्वरित लाभ मिल सके.

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उन्होंने चरागाह भूमि पर चल रही गौशालाओं का पंजीकरण करने में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय करने के निर्देश भी दिए हैं. आर्य ने सभी जिला एवं ब्लॉक स्तर पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र उपयुक्त स्थानों का चयन कर नन्दी शालाएं स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और गौशाला संचालकों के सहयोग से व्यावहारिक योजना बनाकर कार्य करें. इस दौरान पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीना ने बताया कि स्टांप ड्यूटी पर 10 प्रतिशत एवं मदिरा बिक्री के वेट पर 20 फीसदी अधिभार लगाकर निधि का सृजन किया गया है.

उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में 31 दिसम्बर तक इस निधि में 638 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस अवसर पर पशुपालन विभाग की शासन सचिव डॉ. आरूषि मलिक ने बताया कि अनुदान प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बीकानेर, जोधपुर, झुंझुनूं, टोंक, बारां, उदयपुर, दौसा एवं सवाई माधोपुर जिलों में अनुदान भुगतान प्रक्रिया को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया गया है. इस दौरान गोपालन विभाग के निदेशक खजान सिंह ने बताया कि राज्य में 2018 गौशालाओं को साल में दो चरणों में 180 दिन का अनुदान दिया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि गौशालाओं को प्रतिदिन बड़े पशु के लिए 40 रुपए एवं छोटे पशु के लिए 20 रुपए का अनुदान मिलता है. इस वित्तीय वर्ष के माह अप्रेल-मई-जून के अनुदान के रूप में 243 करोड़ रुपए का भुगतान अक्टूबर तक कर दिया गया है. बैठक में विशिष्ट वित्त सचिव (व्यय) सुधीर कुमार शर्मा एवं गोपालन विभाग के उच्च अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.

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