जयपुर. प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के बाद 12 से ज्यादा आईएएस अफसर सेंट्रल डेपुटेशन जा चुके हैं और करीब 6 अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली जाने की कतार में हैं. फिलहाल, 18 आईएएस अफसर केंद्र में तैनात हैं. आईएएस प्रवीण गुप्ता के बाद अब आईएएस रोहित कुमार सिंह का केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने का रास्ता साफ हो गया है. रोहित कुमार सिंह को केंद्र में अतिरिक्त सचिव के लिए इम्पैनलमेंट हो गया है. ऐसे में गहलोत सरकार की NOC मिलने के साथ वो दिल्ली चले जाएंगे. रोहित कुमार सिंह से पहले एक दर्जन अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली जा चुके हैं और करीब 6 अफसर सेंट्रल डेपुटेशन की कतार में हैं.
आईएएस प्रवीण गुप्ता को केंद्र में डेपुटेशन पर जाने की अनुमति गहलोत सरकार ने दे दी है, लेकिन वो अभी रिलीव नहीं हुए हैं. प्रवीण गुप्ता वर्तामान में राज्य निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हैं. प्रवीण गुप्ता के साथ अब आईएएस रोहित कुमार सिंह का केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने का रास्ता साफ हो गया है. रोहित कुमार सिंह को केंद्र में अतिरिक्त सचिव के लिए इम्पैनलमेंट हो गया है. ऐसे में गहलोत सरकार की NOC मिलने के साथ ही वो दिल्ली चले जाएंगे.
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केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय ने 1988 से 1990 बैच के 10 आईएएस अफसरों का इम्पैनलमेंट किया है. DOPT की ओर से जारी सूची में रोहित कुमार सिंह का नाम पहले नंबर पर है. रोहित कुमार सिंह से पहले एक दर्जन अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली जा चुके हैं और करीब 6 अफसर दिल्ली जाने की कतार में हैं. फिलहाल, 18 आईएएस अफसर केंद्र में तैनात हैं. खास बात यह है कि प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने की संख्या में तेजी आई है. गहलोत सरकार के दो साल के कार्यकाल में अब तक 12 अफसर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं.
आखिर डेपुटेशन पर क्यों जाते हैं अफसर ?
जानकारों के मुताबिक सरकार बदलते ही कई अफसर प्रतिनियुक्ति की अनुमति मांगते हैं और जाते भी हैं. ऐसा वे इसलिए करते हैं, जिनका सरकार से तालमेल नहीं बैठता. ऐसे में पद रिक्त हो जाते हैं और विभाग अतिरिक्त प्रभार से चलते हैं. दूसरी वजह कैडर स्ट्रेंथ है. कैडर स्ट्रेंथ के हिसाब से अधिकारी केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाते हैं. राजस्थान कैडर के करीब 12 अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं और इसके अतिरिक्त और 2 अफसरों का जाना तय है, जिसमें रोहित कुमार सिंह और प्रवीण गुप्ता शामिल हैं. ज्यादातर अफसर स्टेट में 13- 15 साल के अनुभव के बाद ही दिल्ली डेपुटेशन पर जाते हैं. इससे इन अफसरों को कार्य अनुभव में बढ़ोत्तरी होती है और काम करने का दायरा बढ़ता है.
डेपुटेशन पर जाने से बढ़ जाता है अतिरिक्त प्रभार का दबाव
अफसरों के दिल्ली जाने के बाद अतिरिक्त चार्ज का भार अफसरों पर बढ़ जाता है. अतिरिक्त चार्ज वाले विभाग को अफसर से वह इनपुट नहीं मिल पाता है, जो मिलना चाहिए. अधिकारी उस विभाग को सिर्फ रुटीन कामकाज के हिसाब से देखते हैं. शीर्ष स्तर पर अफसरों की कमी हो तो सरकार की योजनाएं पूरी होने की रफ्तार भी धीमी हो जाती है.
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वो अफसर जो सेट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली गए
- नीलकमल दरबारी
- रजत कुमार मिश्र
- तन्मय कुमार
- रोहित सिंह
- नरेश पाल गंगवार
- संजय मल्होत्रा
- आलोक
- राजीव सिंह ठाकुर
- अंबरीश कुमार
- आनंदी
- बिष्णु चरण मल्लिक
- सुधांशु पंथ (दो दिन पहले ही दिल्ली से वापस लौटे हैं)
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वो अफसर जो सेट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली जाने की कतार में हैं
- शिखर अग्रवाल
- गौरव गोयल
- सिद्धार्थ महाजन
- भास्कर ए सावंत
- प्रवीण गुप्ता (NOC मिल चुकी है कभी भी दिल्ली जा सकते हैं)
- कृष्ण कुणाल
- रोहित कुमार सिंह (केंद्र में इम्पैनलमेंट, गहलोत सरकार से NOC मिलते ही चले जाएंगे दिल्ली)
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कैडर के हिसाब से राज्य को नहीं मिल पा रहे अफसर
राज्य में आईएएस अधिकारियों का कैडर 313 का है, लेकिन वर्तमान में प्रदेश में 247 अफसर ही हैं. कैडर के हिसाब से राज्य को जो अफसर मिलने चाहिए नहीं मिल पा रहे हैं. पहले ही राज्य में आईएएस अफसरों की कमी है, जिसके चलते अफसरों को अतिरिक्त चार्ज का भार दिया गया है, जिसकी वजह से अधिकारी अपने मूल विभाग को भी पूरा समय नहीं दे पाते हैं. वहीं, अफसरों की कमी से झूझ रहे राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा अफसर प्रतिनियुक्ति जाने का आवेदन कर चुके हैं.