जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सरकार की नीति-निर्देशों की पालना नहीं की. विशेष योग्यजनों के परीक्षा केंद्र 45 से 50 किलोमीटर दूर तक निर्धारित किए गए हैं. ऐसा ही एक सफर परकोटे में रहने वाली दिव्यांग अभ्यर्थी छाया को भी तय करना है. जो अपने पैरों से लाचार है, लेकिन सपनों की उड़ान भरने के लिए रीट की परीक्षा देना चाहती है.
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छाया पंड्या को 26 सितम्बर को होने वाली रीट की परीक्षा देने के लिए करीब 50 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़ के विद्यालय में जाना पड़ेगा. छाया का रीट में ये दूसरा अटेम्प्ट है और दोनों ही बार उनकी दिव्यांगता को विभाग की ओर से नजरअंदाज किया गया. पहली बार जहां सेंटर आया, उसमें एग्जामिनेशन हॉल तीसरी मंजिल पर था और इस बार तो बोर्ड ने सरकारी निर्देशों को ताक पर रखकर उनका सेंटर ही 50 किलोमीटर दूर कर दिया.
इस संबंध में संपर्क पोर्टल पर शिकायत भी दर्ज की गई, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में छाया ये सोचने को मजबूर हो गई हैं कि वो एग्जाम दे या नहीं. वहीं, छाया के पति अतुल पंड्या ने बताया कि वो खुद दिव्यांग हैं. छोटे भाई की पत्नी भी रीट की परीक्षा दे रही हैं. उनका सेंटर बस्सी में आया है. ऐसे में एक ही समय पर अलग-अलग दिशा में छोटा भाई दोनों को परीक्षा दिलाने ले जाने में असमर्थ रहेगा.
छाया पंड्या जैसे एक नहीं, बल्कि अनेक मामले हैं. जबकि परीक्षा आवेदन के साथ अभ्यर्थी की सभी जानकारी ली जाती है. जयपुर जिले में तकरीबन 592 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. बावजूद इसके आयोजक संस्था की ओर से दिव्यांग जनों के प्रति संवेदनशीलता नहीं रखी गई.