ETV Bharat / city

Special : भाजपा में तेज हुई प्रवास पॉलिटिक्स, पूनिया टटोलेंगे अब पश्चिमी राजस्थान की सियासी नब्ज, लेकिन चर्चा ये भी... - Vasundhara Raje Mewar Trip

विधानसभा चुनाव में 2 साल का समय बाकि है, लेकिन उससे पहले भाजपा में प्रवास और सियासी दौरों की राजनीति (Rajasthan BJP Leaders Political Tours Intensified) तेज हो गई है. पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा का मेवाड़ दौरा और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का उदयपुर और भरतपुर संभाग का दौरा (Vasundhara Raje Satish Poonia Districts Tour) सियासी चर्चाओं में था. लेकिन अब पूनिया पश्चिमी राजस्थान में भी सियासी नब्ज टटोलने जा रहे हैं. सियासी गलियारों में पूनिया के लगातार हो रहे जिलों के दौरे चार्चा में हैं.

Rajasthan BJP Leaders Political Tours Intensified
भाजपा में तेज हुई प्रवास पॉलिटिक्स
author img

By

Published : Jan 3, 2022, 7:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान भाजपा के नेताओं में अब प्रवास पॉलिटिक्स तेज होती नजर आ रही है. पहले वसुंधरा का मेवाड़ा दौरा, उसके बाद पूनिया का उदयपुर-भरतपुर संभाग दौरे की काफी चर्चा हुई थी. अब एक बार फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पश्चिमी राजस्थान का दौरा (Satish Poonia will Visit Western Rajasthan) करने वाले हैं. ऐसे में इस सियासी यात्रा की चर्चा भी लाजिमी है कि अपने लगातार दौरों से पूनिया किसे और क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. देखिये ये रिपोर्ट...

7 से 10 जनवरी के बीच बन सकता है सियासी दौरा : बताया जा रहा है कि आगामी 7 से 10 जनवरी के बीच सतीश पूनिया का पश्चिमी राजस्थान का सियासी दौरा बन सकता है. इसके लिए संबंधित जिला इकाइयों और प्रदेश नेताओं की ओर से कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं. पूनिया बॉर्डर से जुड़े जिलों में संगठनात्मक दृष्टि से यह दौरा करेंगे. जिसमें, बाड़मेर, जैसलमेर के साथ जोधपुर का क्षेत्र भी शामिल रहेगा. हालांकि, इस दौरे की तारीख का एलान अब तक नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि जनवरी के पहले पखवाड़े में ये सियासी दौरे हो जाएंगे.

राजस्थान भाजपा में राजनीतिक दौरे...

लगातार जिला और संभागों में दोनों के पीछे क्या है सियासत : राजस्थान भाजपा में नेताओं की यात्रा और दौरे हमेशा सियासी चर्चाओं में रहे हैं. माना जाता है कि जब कोई नेता बड़ी सियासी यात्रा निकाले तो उसका मकसद अगला विधानसभा चुनाव Strategy for 2023 Rajasthan Assembly Election) ही होता है. पूर्व में राजस्थान भाजपा में ऐसे कई उदाहरण भी सामने आए हैं, लेकिन अब प्रचलन थोड़ा बदल चुका है. एक साथ लंबी सियासी यात्रा न निकालकर राजस्थान भाजपा से जुड़े नेता संभाग स्तर पर जिलों में छोटे-छोटे दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं.

पढ़ें : Arjun Meghwal Targeted Akhilesh Yadav : जिन्ना को पटेल और गांधी के बराबर कहने वाले स्वीकार्य नहीं, देश की जनता देगी जवाब

पढ़ें : वसुंधरा राजे की सक्रियता दे रही कई राजनीतिक संकेत, मेवाड़ के बाद अन्य जिलों में जुटे समर्थक

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कुछ माह पहले (Vasundhara Raje Mewar Trip) इस प्रकार के दौरे कर अपनी सक्रियता दिखा दी थी और अब प्रदेश अध्यक्ष ने हर जिले को नापना शुरू कर दिया है. हालांकि, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के नाते हर जिले में संगठन की मजबूती की जिम्मेदारी पूनिया की ही है. लिहाजा वे यदि ज्यादा दौरा करते हैं तो भी पार्टी संगठन को इससे मजबूती ही मिलेगी. लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि संगठन की मजबूती के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खुद भी इन दोनों से और मजबूत होंगे, जो साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण भी है.

Satish Poonia will Visit Western Rajasthan
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया...

फोकस 2023 विधानसभा चुनाव, लेकिन फायदा किसका ?

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दौरा चाहे वसुंधरा राजे करें या प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Vasundhara Raje Satish Poonia Districts Tour) पार्टी की मजबूती इससे होना तय है. लेकिन यह भी तय है कि जिस प्रकार राजस्थान भाजपा में नेताओं के बीच खेमेबाजी तेज हुई है, इसके बीच नेताओं के अलग-अलग दौरे राजस्थान भाजपा में अलग सियासी समीकरणों को जन्म दे रही हैं. मतलब इन दौरों के जरिए मिशन 2023 की प्राप्ति का लक्ष्य तो नेताओं का है ही, लेकिन पर्दे के पीछे आगामी विधानसभा के महासंग्राम में पार्टी के भीतर खुद का सियासी कद समर्थन के जरिए और मजबूत करना (Power Politics in Rajasthan) भी है और यही चर्चा भाजपा के सियासी गलियारों में इन दिनों आम है.

Vasundhara Raje Political Tour
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे...

चेहरा तय नहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जो लोकप्रिय उसी पर खेला जा सकता है दांव...

प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की लड़ाई (Controversy Over Rajasthan BJP CM Face) जगजाहिर है. यही कारण है कि चाहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हों या पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, दोनों का ही इस सवाल पर एक ही जवाब रहता है कि पार्टी कमल और मोदी के चेहरे पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पार्टी आलाकमान को भी इस बात की जानकारी है कि इस समय किसी का भी चेहरा आगे करने पर पार्टी में बिखराव होना तय है.

पढ़ें : 2023 में भाजपा अपनी खूबियों व संगठन की ताकत के आधार पर सत्ता में आएगीः पूनिया

यही कारण है कि हर नेता के पास अपना सियासी मैदान है और वह अगले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पिच पर जितना पसीना वह आएगा वह उसके ही काम आएगा. प्रदेश के नेता इन सियासी प्रवास और दौरों के जरिए यही पसीना बहाने का काम कर रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान भाजपा के नेताओं में अब प्रवास पॉलिटिक्स तेज होती नजर आ रही है. पहले वसुंधरा का मेवाड़ा दौरा, उसके बाद पूनिया का उदयपुर-भरतपुर संभाग दौरे की काफी चर्चा हुई थी. अब एक बार फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पश्चिमी राजस्थान का दौरा (Satish Poonia will Visit Western Rajasthan) करने वाले हैं. ऐसे में इस सियासी यात्रा की चर्चा भी लाजिमी है कि अपने लगातार दौरों से पूनिया किसे और क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. देखिये ये रिपोर्ट...

7 से 10 जनवरी के बीच बन सकता है सियासी दौरा : बताया जा रहा है कि आगामी 7 से 10 जनवरी के बीच सतीश पूनिया का पश्चिमी राजस्थान का सियासी दौरा बन सकता है. इसके लिए संबंधित जिला इकाइयों और प्रदेश नेताओं की ओर से कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं. पूनिया बॉर्डर से जुड़े जिलों में संगठनात्मक दृष्टि से यह दौरा करेंगे. जिसमें, बाड़मेर, जैसलमेर के साथ जोधपुर का क्षेत्र भी शामिल रहेगा. हालांकि, इस दौरे की तारीख का एलान अब तक नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि जनवरी के पहले पखवाड़े में ये सियासी दौरे हो जाएंगे.

राजस्थान भाजपा में राजनीतिक दौरे...

लगातार जिला और संभागों में दोनों के पीछे क्या है सियासत : राजस्थान भाजपा में नेताओं की यात्रा और दौरे हमेशा सियासी चर्चाओं में रहे हैं. माना जाता है कि जब कोई नेता बड़ी सियासी यात्रा निकाले तो उसका मकसद अगला विधानसभा चुनाव Strategy for 2023 Rajasthan Assembly Election) ही होता है. पूर्व में राजस्थान भाजपा में ऐसे कई उदाहरण भी सामने आए हैं, लेकिन अब प्रचलन थोड़ा बदल चुका है. एक साथ लंबी सियासी यात्रा न निकालकर राजस्थान भाजपा से जुड़े नेता संभाग स्तर पर जिलों में छोटे-छोटे दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं.

पढ़ें : Arjun Meghwal Targeted Akhilesh Yadav : जिन्ना को पटेल और गांधी के बराबर कहने वाले स्वीकार्य नहीं, देश की जनता देगी जवाब

पढ़ें : वसुंधरा राजे की सक्रियता दे रही कई राजनीतिक संकेत, मेवाड़ के बाद अन्य जिलों में जुटे समर्थक

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कुछ माह पहले (Vasundhara Raje Mewar Trip) इस प्रकार के दौरे कर अपनी सक्रियता दिखा दी थी और अब प्रदेश अध्यक्ष ने हर जिले को नापना शुरू कर दिया है. हालांकि, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के नाते हर जिले में संगठन की मजबूती की जिम्मेदारी पूनिया की ही है. लिहाजा वे यदि ज्यादा दौरा करते हैं तो भी पार्टी संगठन को इससे मजबूती ही मिलेगी. लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि संगठन की मजबूती के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खुद भी इन दोनों से और मजबूत होंगे, जो साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण भी है.

Satish Poonia will Visit Western Rajasthan
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया...

फोकस 2023 विधानसभा चुनाव, लेकिन फायदा किसका ?

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दौरा चाहे वसुंधरा राजे करें या प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Vasundhara Raje Satish Poonia Districts Tour) पार्टी की मजबूती इससे होना तय है. लेकिन यह भी तय है कि जिस प्रकार राजस्थान भाजपा में नेताओं के बीच खेमेबाजी तेज हुई है, इसके बीच नेताओं के अलग-अलग दौरे राजस्थान भाजपा में अलग सियासी समीकरणों को जन्म दे रही हैं. मतलब इन दौरों के जरिए मिशन 2023 की प्राप्ति का लक्ष्य तो नेताओं का है ही, लेकिन पर्दे के पीछे आगामी विधानसभा के महासंग्राम में पार्टी के भीतर खुद का सियासी कद समर्थन के जरिए और मजबूत करना (Power Politics in Rajasthan) भी है और यही चर्चा भाजपा के सियासी गलियारों में इन दिनों आम है.

Vasundhara Raje Political Tour
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे...

चेहरा तय नहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जो लोकप्रिय उसी पर खेला जा सकता है दांव...

प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की लड़ाई (Controversy Over Rajasthan BJP CM Face) जगजाहिर है. यही कारण है कि चाहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हों या पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, दोनों का ही इस सवाल पर एक ही जवाब रहता है कि पार्टी कमल और मोदी के चेहरे पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पार्टी आलाकमान को भी इस बात की जानकारी है कि इस समय किसी का भी चेहरा आगे करने पर पार्टी में बिखराव होना तय है.

पढ़ें : 2023 में भाजपा अपनी खूबियों व संगठन की ताकत के आधार पर सत्ता में आएगीः पूनिया

यही कारण है कि हर नेता के पास अपना सियासी मैदान है और वह अगले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पिच पर जितना पसीना वह आएगा वह उसके ही काम आएगा. प्रदेश के नेता इन सियासी प्रवास और दौरों के जरिए यही पसीना बहाने का काम कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.