जयपुर. राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly Budget Session) में एक ओर आज भाजपा के हंगामे के बीच प्रश्नकाल शुरू हुआ तो दूसरी और एक सवाल ऐसा भी रहा जिसमें सरकार अपनों से ही घिरती दिखाई दी. घिरने वाले मंत्री बीडी कल्ला रहे तो इन्हें घेरने वाले सीएम के सलाहाकार संयम लोढ़ा.
दरअसल शिक्षा कर्मियों एवं पैरा टीचर्स को संविदा कर्मी का दर्जा देने संबंधित सवाल के जवाब में जब कल्ला ने कहा की शिक्षाकर्मी और पैरा टीचर पहले की तरह कार्यरत हैं इन्हें संविदा कर्मी का दर्जा देने की परंपरा नहीं है. इसी पर मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने मंत्री बीडी कल्ला (Sanyam Lodha Vs BD Kalla) और अपनी समर्थक सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया.
संयम लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में पेज नंबर 36 के पॉइंट नंबर 25 में लिखा गया था कि सरकार में एनआरएचएम, एनयूएचएम कर्मियों, पैरा टीचर्स, लोक जुंबिश कर्मियों, आंगनवाड़ी कर्मियों, शिक्षाकर्मियों, विद्यार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों आदि के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं का यथोचित समाधान कर उन्हें नियमित कर लिया जाएगा. अब आप सदन में यह कह रहे हैं की ऐसी कोई परंपरा नहीं है.
जब आप ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था तो आप सदन में यह जवाब कैसे दे सकते हैं कि इसकी परंपरा नहीं है. क्या लोगों के साथ जन घोषणा पत्र के जरिए आप धोखा कर रहे थे? आप तो खुद कैबिनेट सब कमेटी के चेयरमैन हैं और आपको पता नहीं है कि जन घोषणा पत्र में यह वादा किया गया था.
इस पर बीडी कल्ला ने कहा कि यह लोग पहले से ही संविदा कर्मी है तो उन्हें दर्जा देने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि पैरा टीचर और शिक्षाकर्मियों का समय-समय पर सरकार ने वेतन बढ़ाया है. 2017 में 10%, 2018 में 10% , 2020 में 15% और 2021 में 10% मानदेय की वृद्धि की गई है. उन्होंने कहा कि जहां तक इनके नियमितीकरण को लेकर मेरी अध्यक्षता में सब कमेटी बनी है उसकी रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है. रिपोर्ट पहले कैबिनेट में जाएगी उसके बाद ही उन्हें लेकर कुछ कहा जा सकता है.
हंगामे के बीच आधे घण्टे में 2 सवाल: राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly Budget Session day 5) में आज प्रश्नकाल के दौरान पर हंगामे के हालात बने रहे. इस दौरान स्पीकर ने जब बार-बार प्रतिपक्ष के नेताओं से अपील की कि वह प्रश्नकाल को होने दें, लेकिन इसका कोई असर विपक्ष के नेताओं पर नहीं पड़ा और उन्होंने हंगामा और नारेबाजी जारी रखी. यही कारण हुआ कि स्पीकर सीपी जोशी ने प्रश्नकाल तो करवाया ही बल्कि 2 सवालों के जवाब तो उन्होंने 15-15 मिनट के करवा दिए.
हेमाराम चौधरी ने एक सवाल का जवाब 11:14 पर शुरू किया जो 11:31 तक चला. वहीं अशोक चांदना ने सवाल का जवाब 11:33 पर शुरू किया जो 11:48 तक चला. इस तरह से इन 2 सवालों में ही सदन में आधे घंटे का समय लग गया. इस पर जब प्रतिपक्ष ने कहा तो स्पीकर ने भी कहा कि जब आप लोग अपने विरोध करने का तरीका नहीं बदल रहे हैं तो सवालों के जवाब का तरीका भी बदल सकता है.