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BVG कंपनी रिश्वत मामलाः राजाराम गुर्जर ने हाईकोर्ट से मांगी जमानत, कुछ दिनों में होगी सुनवाई

रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में आरोपी राजाराम गुर्जर ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका पेश की है. इस संबंध में हाई कोर्ट की एकलपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी

BVG कंपनी रिश्वत मामला, BVG Company Bribery Case
राजाराम गुर्जर ने हाईकोर्ट से मांगी जमानत
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Published : Sep 14, 2021, 8:08 PM IST

जयपुर. बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में आरोपी राजाराम गुर्जर ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका पेश की है. जिस पर हाई कोर्ट की एकलपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी. एसीबी कोर्ट ने गत 13 सितंबर को राजाराम की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट: बीवीजी रिश्वत मामले में स्टेट्स रिपोर्ट और केस डायरी तलब

जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है. इसलिए प्रकरण भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत बनता ही नहीं है.

याचिका में कहा गया कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में क्यों भड़की भाजपा, सदन से किया वॉकआउट...जानें

गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है. याचिका में कहा गया कि एसीबी कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 मामले लंबित होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज की है. जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार मामले ही लंबित हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को भी जमानत दी जाए.

जयपुर. बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में आरोपी राजाराम गुर्जर ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका पेश की है. जिस पर हाई कोर्ट की एकलपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी. एसीबी कोर्ट ने गत 13 सितंबर को राजाराम की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.

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जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है. इसलिए प्रकरण भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत बनता ही नहीं है.

याचिका में कहा गया कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है.

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गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है. याचिका में कहा गया कि एसीबी कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 मामले लंबित होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज की है. जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार मामले ही लंबित हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को भी जमानत दी जाए.

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