जयपुर. कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. देशभर में हजारों केस रोजाना कोरोना के सामने आ रहे हैं. जिसके चलते अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. हवाई मार्ग से लेकर रेल और सड़क यातायात भी सामान्य नहीं हो पाया है. लाखों लोग कोरोना में बेरोजगार हो गए हैं. लेकिन इस बीच रेलवे में अधिकारी और कर्मचारियों को बोनस देने का मामला गर्मा गया है.
भारत सरकार ने रेल कर्मचारियों को प्रतिवर्ष दुर्गा पूजा से पहले दिए जाने वाले बोनस की अभी तक घोषणा नहीं की है. जबकि रेल मंत्रालय की तरफ से 78 दिनों के बोनस भुगतान का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को कई दिनों पहले ही भेजा जा चुका है. ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन की स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि यदि 21 अक्टूबर तक केंद्र सरकार ने बोनस भुगतान के संबंध में फैसला नहीं लिया तो रेल कर्मचारी हड़ताल करेंगे.
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रेल कर्मचारियों का कहना है कि या तो सरकार उनके बोनस को स्वीकृति दे नहीं तो हड़ताल की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी. नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के महामंत्री मुकेश माथुर ने बताया कि 2019 -20 में रेल कर्मचारियों ने कड़ी मेहनत की जिसका नतीजा ये रहा कि भारतीय रेल प्रोफिट में रही. लगभग 2 लाख खाली पदों के बावजूद रिकॉर्ड माल ढुलाई भारतीय रेल ने की है. ऐसे में इस अवधि का उत्पादकता आधारित बोनस रेल कर्मचारियों का अधिकार है.
माथुर ने कहा कि उत्तर पश्चिम रेलवे पर 20 से 21 अक्टूबर के मध्य विभिन्न स्टेशन यूनिट पर रेलवे कर्मचारी सभा का आयोजन कर प्रदर्शन करेंगे. अगर फिर भी सरकार 21 अक्टूबर तक बोनस भुगतान का निर्णय नहीं लेती है तो रेल कर्मचारी कोरोना की विकट परिस्थितियों में भी घर से बाहर निकलकर प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे.