जयपुर: चिकित्सा विभाग ने एक वर्चुअल राज्यस्तरीय परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया. इसमें चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम से जुड़े. इस दौरान उन्होंने बताया कि बढ़ती जनसंख्या की समस्या अब देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विकराल रूप ले चुकी है. बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रकृति का संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है. इससे खाद्यान्न, पेयजल, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की समस्याएं हो रही हैं.
रघु शर्मा (Raghu Sharma) ने कहा कि 11 से 24 जुलाई तक 'जनसंख्या स्थिरता' पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है. पखवाड़े की थीम ‘आपदा' में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी’ का संदेश गांव-गांव और ढाणी-ढाणी तक पहुंचाया जा रहा है. प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में संस्थागत प्रसव (Institutional Delivery) को शत-प्रतिशत करने के विशेष प्रयास जारी हैं.
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लेबर रुम्स को आधुनिक सुविधाओं से युक्त करने के साथ कोविड महामारी के दौरान महिला चिकित्सालयों में संस्थागत प्रसव के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं. परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में हर साल करीब 2.5 लाख नसबंदी की जाती है. पीपीआईयूसीडी (PPIUCD) निवेशन सेवाओं में राजस्थान की गिनती देश के अग्रणी राज्यों में की जाती है.
चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी कार्यक्रम में महिलाओं का योगदान करीब 99 प्रतिशत और पुरुषों का मात्र 1 प्रतिशत है, जबकि पुरुष नसबंदी बहुत आसान है. परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. अधिक भार वाले डिलेवरी पॉइन्ट्स पर प्रसवोत्तर आईयूसीडी सेवाएं दी जा रही है.
नसबंदी सेवाओं के लिए क्षतिपूर्ति और प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाया गया है. निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ. केके शर्मा ने कहा कि परिवार नियोजन व्यक्ति विशेष के साथ-साथ सामुदायिक जिम्मेदारी भी है. हम खुद परिवार कल्याण के साधनों को अपनाने के साथ औरों को भी प्रेरित करेंगे तो बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
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निदेशक आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला ने बताया कि राजस्थान में कुल प्रजजन दर साल 2000 में 4.1 प्रतिशत थी, जो साल 2018 में कम होकर 2.5 प्रतिशत हो गई है. वर्तमान में 2.3 प्रतिशत के लगभग है. उन्होंने समय के साथ प्रजनन दर को नियंत्रित करने पर जोर दिया.
मिशन परिवार विकास वाले 14 जिलों की श्रेणी में साल 2020-21 में परिवार कल्याण के क्षेत्र में बांसवाड़ा जिले को 11 लाख की राशि का प्रथम पुरस्कार दिया गया है. करौली जिले को 8 लाख राशि का दूसरा और पाली जिले को 5 लाख राशि का तृतीय पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिए गए हैं.
बांसवाड़ा जिले ने पिछले साल 7666 नसबंदी ऑपरेशन, 8400 पीपीआईयूसीडी निवेशन, 43858 संस्थागत प्रसव और 43558 बच्चों का पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया है. करौली जिले ने 6832 नसबंदी ऑपरेशन, 4030 पीपीआईयूसीडी निवेशन, 29168 संस्थागत प्रसव एवं 29188 बच्चों का पूर्ण टीकाकरण का टारगेट हासिल किया. पाली जिले ने 8106 नसबंदी ऑपरेशन, 5917 पीपीआईयूसीडी निवेशन, 42930 संस्थागत प्रसव और 38450 बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया.