जयपुर. राजधानी से दिल्ली के बीकानेर हाउस के लिए शुरू होने वाली इलेक्ट्रिक बसों के तार अभी भी सड़क से नहीं जुड़ पा रहे हैं. पहले तत्कालीन चेयरमैन की ओर से इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी और अब ऑडिट ऑब्जेक्शन का रोड़ा खड़ा किया गया है.
वहीं, अधिकारियों की गलती के कारण जब तक ऑडिट से क्लीयरेंस नहीं मिलेगी तब तक यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाएगी. जिसपर जनता को इलेक्ट्रिक बसों के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. बता दें कि एक वर्ष पूर्व भी टेंडर प्रक्रिया पर निगम के चेयरमैन ने सवाल खड़े करते हुए उस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद नए सिरे से प्रक्रिया को दोबारा शुरू की गई थी.
पढ़ें: 'प्रदेश सरकार पर BJP के आरोप झूठे, केंद्र सरकार ने भी कोरोना के कारण बजट में 30 फीसदी कटौती की'
जिसके अनुसार फरवरी में इलेक्ट्रिक बस का एक प्रोटोटाइप आने वाला था. वहीं मार्च महीने में 22 बसें आनी है. जिसे जयपुर दिल्ली मार्ग पर चलाया जाना है. मगर फरवरी में प्रोटोटाइप नहीं आई, बल्कि बसों की टेंडर प्रक्रिया पर ही सवाल दोबारा से खड़े होने लग गए हैं. दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया रुकने पर परिवहन मंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए रोडवेज के अधिकारियों को तलब भी किया है.
मंत्री के कई बार की घोषणा
बता दें कांग्रेस सरकार के पहले बजट में लगते बसें चलाने की घोषणा की गई थी. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि इलेक्ट्रिक बस के संचालन पर कोई भी अवसर रोक नहीं लगा सकता है. खुद मुख्यमंत्री की ओर से बसों को मंजूरी मिली हुई है. अगर सरकार की बजट घोषणाओं को रोकने के लिए कोई अफसर प्रयास भी करेगा तो उसके ऊपर भी कार्रवाई की जाएगी.
जानिए ऑडिट में लगाए गए ऑब्जेक्शन
- निविदा प्रकिया का विज्ञापन ऐसे अखबारों में दिया गया है, जिससे सही प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया
- रोडवेज का रेवेन्यू प्रति किलोमीटर पहले ही कम है, ऐसे में बस रेवेन्यू कैसे लाया जाएगा
- बसों की संख्या अधिक है, इतनी सारी बसें कौन से मार्गों पर चलाई जाएगी
- सूरज की तरफ से चलाई जा रही लग्जरी बसों में यात्री भाग कम हैं, रेवेन्यू और भी काम हैं, ऐसे में इन बसों से कैसे रेवेन्यू आएगा