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राजभवन में रामकथा पर आपत्ति, पीयूसीएल ने उठाए सवाल

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Published : Aug 27, 2022, 6:51 PM IST

राजभवन में शनिवार से भक्ति कला प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ. राज्यपाल कलराज मिश्र ने इसकी शुरुआत की, लेकिन यह प्रदर्शनी शुरू होने के साथ ही विवादों में घिर गई है. समाजिक संगठन पीयूसीएल ने राजभवन में रामकथा पर आपत्ति जताई है.

राजभवन में रामकथा पर आपत्ति
राजभवन में रामकथा पर आपत्ति

जयपुर. सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में भक्ति कला प्रदर्शनी का शुभारंभ शनिवार (Bhakti art exhibition in Raj Bhawan) से हुआ है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने संत विजय कौशिक महाराज के साथ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ ही सामाजिक संगठनों ने राजभवन में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सामाजिक संगठन पीयूसीएल ने रामकथा के (Ram katha in Raj Bhawan Rajasthan) आयोजन पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि राजभवन में इस तरह के धार्मिक आयोजन संवैधानिक पद और मूल्यों की मर्यादा से परे हैं. सरकार को तत्काल प्रभाव से इसे रोकना चाहिए.

पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का संत विजय कौशल महाराज से राजभवन परिसर में 27 से 31 अगस्त 2022 तक रामकथा करवाना संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध है. पीयूसीएल राजस्थान न रामकथा के विरुद्ध है और न ही भगवान राम के और न ही संत विजय कौशल महाराज के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारा विरोध राज्यपाल जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 157 के तहत शपथ ली है, के संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध जाते हुए राजभवन में धार्मिक आयोजन करवाने को लेकर है. एक संवेधानिक संस्था की ओर से एक धार्मिक कार्यक्रम को राजभवन में आयोजित करवाना भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निरूपित धर्मनिरपेक्ष मूल्य के ठीक विपरीत है.

पढ़ें. राम नाम से गूंजेगा राजभवन, हनुमान कथा के बाद अब होगी श्रीराम कथा

आमंत्रण पर शासकीय मुहरः कविता श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम का भेजा गया आमंत्रण बाकायदा शासकीय मुहर के साथ गया है. इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार राजस्थान सरकार के सूचना प्रसारण निदेशालय की ओर से भी किया जा रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि यह राज्यपाल का निजी कार्यक्रम नहीं हैं. इस सम्बन्ध में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में आयोजित किए जा रहे भक्ति कला प्रदर्शनी जिसमें देवी-देवताओं और भगवान की लीलाओं की कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है, भी सवाल के घेरे में है.

उन्होंने कहा कि भक्ति कला के नाम पर हो रही यह प्रदर्शनी राजभवन में किसी धार्मिक त्योहार पर होने वाले मिलन उत्सव कार्यक्रम से बिलकुल अलग है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को सभी धर्मों के प्रति निरपेक्ष और समानता का भाव रखना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि राजभवन में हो रहे कला प्रदर्शन और रामकथा का आयोजन राजभवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर महज़ एक धर्म के रीती-रिवाजों को प्रमुखता से स्थापित करने का प्रयास है. ये संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को कमजोर कर देगा. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल इसी प्रकार इस्लाम, ईसाइ, पारसी, जैन, बौद्ध, सरना- आदिवासी आदि धर्मों की धार्मिक आयोजन और कला प्रदर्शनी भी साथ-साथ आयोजित करेंगे.

पीयूसीएल ने राज्यपाल से अपील की कि वे अपने पद की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करते हुए इस आयोजन को किसी और सार्वजनिक स्थल पर लेकर जायेंगे. साथ ही इस आयोजन को राजभवन या राज्य सरकार ना प्रायोजित करे.

जयपुर. सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में भक्ति कला प्रदर्शनी का शुभारंभ शनिवार (Bhakti art exhibition in Raj Bhawan) से हुआ है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने संत विजय कौशिक महाराज के साथ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ ही सामाजिक संगठनों ने राजभवन में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सामाजिक संगठन पीयूसीएल ने रामकथा के (Ram katha in Raj Bhawan Rajasthan) आयोजन पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि राजभवन में इस तरह के धार्मिक आयोजन संवैधानिक पद और मूल्यों की मर्यादा से परे हैं. सरकार को तत्काल प्रभाव से इसे रोकना चाहिए.

पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का संत विजय कौशल महाराज से राजभवन परिसर में 27 से 31 अगस्त 2022 तक रामकथा करवाना संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध है. पीयूसीएल राजस्थान न रामकथा के विरुद्ध है और न ही भगवान राम के और न ही संत विजय कौशल महाराज के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारा विरोध राज्यपाल जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 157 के तहत शपथ ली है, के संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध जाते हुए राजभवन में धार्मिक आयोजन करवाने को लेकर है. एक संवेधानिक संस्था की ओर से एक धार्मिक कार्यक्रम को राजभवन में आयोजित करवाना भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निरूपित धर्मनिरपेक्ष मूल्य के ठीक विपरीत है.

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आमंत्रण पर शासकीय मुहरः कविता श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम का भेजा गया आमंत्रण बाकायदा शासकीय मुहर के साथ गया है. इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार राजस्थान सरकार के सूचना प्रसारण निदेशालय की ओर से भी किया जा रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि यह राज्यपाल का निजी कार्यक्रम नहीं हैं. इस सम्बन्ध में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में आयोजित किए जा रहे भक्ति कला प्रदर्शनी जिसमें देवी-देवताओं और भगवान की लीलाओं की कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है, भी सवाल के घेरे में है.

उन्होंने कहा कि भक्ति कला के नाम पर हो रही यह प्रदर्शनी राजभवन में किसी धार्मिक त्योहार पर होने वाले मिलन उत्सव कार्यक्रम से बिलकुल अलग है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को सभी धर्मों के प्रति निरपेक्ष और समानता का भाव रखना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि राजभवन में हो रहे कला प्रदर्शन और रामकथा का आयोजन राजभवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर महज़ एक धर्म के रीती-रिवाजों को प्रमुखता से स्थापित करने का प्रयास है. ये संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को कमजोर कर देगा. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल इसी प्रकार इस्लाम, ईसाइ, पारसी, जैन, बौद्ध, सरना- आदिवासी आदि धर्मों की धार्मिक आयोजन और कला प्रदर्शनी भी साथ-साथ आयोजित करेंगे.

पीयूसीएल ने राज्यपाल से अपील की कि वे अपने पद की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करते हुए इस आयोजन को किसी और सार्वजनिक स्थल पर लेकर जायेंगे. साथ ही इस आयोजन को राजभवन या राज्य सरकार ना प्रायोजित करे.

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