जयपुर. सवाई जयसिंह द्वितीय ने नगरीय व्यवस्था के तहत घरेलू शौचालय की व्यवस्था की थी. यहां लोगों को खुले में शौच जाना ही नहीं पड़ता था, लेकिन आज के जयपुर शहर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है. आलम ये है कि करीब 40 लाख की आबादी पर यहां 185 पब्लिक टॉयलेट, 580 सामुदायिक टॉयलेट और तकरीबन 700 यूरिनल ही बने हुए हैं. वो भी निर्माण गुणवत्ता के अभाव में मरम्मत की बाट जोह रहे हैं.
राजधानी के नगर निगम क्षेत्र में बने पब्लिक टॉयलेट, कम्युनिटी टॉयलेट और यूरिनल की साफ-सफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल और दो अन्य संस्थाओं के पास है, लेकिन जब इन पब्लिक टॉयलेट के निर्माण की बात आती है तो हाईकोर्ट के फैसले के बाद करीब 5 साल से टेंडर पर कंस्ट्रक्शन का काम किया जा रहा है.
इससे पहले तक ये जिम्मेदारी भी सुलभ इंटरनेशनल के पास ही थी. ऐसे में जब इन टॉयलेट्स के निर्माण की बात आती है, तो नगर निगम के साथ सुलभ इंटरनेशनल का नाम खुद ही जुड़ जाता है.
इन पब्लिक टॉयलेट कि निर्माण के बीएसआर के अनुसार मानक भी तय है, जिसके तहत -
- पत्थर और ईटों की चुनाई- चुनाई में सीमेंट और बजरी का मिश्रण 1:6- करीब 20 एमएम का प्लास्टर
- प्लास्टर में सीमेंट और बजरी का मिश्रण 1: 4
- टॉयलेट में आरसीसी की छत
- छत में सीमेंट बजरी कंकरीट का मिश्रण 1:1.5:3
- टॉयलेट में स्टोन पट्टी की छत- पट्टी की मोटाई 2.5 से 3 इंच
- टाइल्स - G शेड्यूल
इसके अलावा बजट के अनुसार डिस्टेंपर पेंट या पुताई कराई जाती है इन मानकों को समझने के बाद ईटीवी भारत जयपुर शहर के पब्लिक टॉयलेट और यूरिनल तक पहुंचा. तो ये अपने निर्माण की कहानी खुद बयां करते दिखे. जहां यूरिनल मरम्मत की मांग कर रहे थे.
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वहीं, सुलभ शौचालय के बैनर के तले पब्लिक टॉयलेट सीलन की मार झेल रहे थे. यही नहीं कुछ एक टॉयलेट के तो सीवर चैंबर ही नहीं थे. जिसकी वजह से गंदगी भी बाहर आ जाती है. मेंटेनेंस के अभाव में कुछ यूरिनल में टॉयलेट पॉट नहीं, तो कहीं टाइल्स भी उखड़ी हुई मिली. वहीं पानी और बिजली तो इन टॉयलेट में मानो आम समस्या है.
हालांकि हेरिटेज नगर निगम एक्सईएन हेड क्वार्टर किशन लाल मीणा की माने तो पब्लिक टॉयलेट और कम्युनिटी टॉयलेट से जुड़े दो मानक है. जिसके तहत संबंधित फर्म कंस्ट्रक्शन के साथ-साथ 30 साल का मेंटेनेंस भी करती है. जबकि एक अन्य मानक के तहत निगम या उससे जुड़े ठेकेदारों की ओर से कंस्ट्रक्शन करने के बाद उसके मेंटेनेंस के लिए टेंडर किये जाने का है.
वहीं, गुणवत्ता की अगर बात करें तो SOR 2017 में निहित प्रावधानों को फॉलो किया जाता है. उन्होंने दावा भी किया कि टॉयलेट के निर्माण गुणवत्ता में कोई कमी नहीं रखी जाती.
वाकई, किसी भी निर्माण की गुणवत्ता के मानक जरूर होते हैं, लेकिन इन मानकों को धरातल पर उतारना भी बड़ी जिम्मेदारी होती है. जिसमें फिलहाल नगर निगम प्रशासन और संबंधित फर्म की चूक नजर आती है.