जयपुर. राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में मंगलवार एक नहीं दो मंत्री जन सुनवाई करने पहुंचे. दोनों ही मंत्री राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साल 1992 में राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने प्रताप सिंह खाचरियावास और साल 1995 में महेंद्र चौधरी अध्यक्ष बने.
गौरतलब है कि अब यह दोनों ही विधायक बन चुके हैं. खाचरियावास जहां प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री है, तो वहीं महेंद्र चौधरी विधानसभा में उप मुख्य सचेतक पद पर है. जनसुनवाई के दौरान प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ब्यूरोक्रेसी पर खासे नाराज दिखाई दिए.
उन्होंने कहा कि जनता के प्रतिनिधि, मंत्री हो या विधायक, सड़क पर बैठकर या फिर गांव की चौपाल पर बैठकर जनता के हित में कोई भी निर्णय ले लें, लेकिन उसे लागू करना अधिकारियों की ही जिम्मेदारी है. कोई भी अधिकारी इससे बच नहीं सकता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में जनता ही मालिक है और हम सेवक हम रोज जनसुनवाई में जनता का जो दर्द होता है उस पर अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए लिखते हैं उस पर कार्रवाई करना अधिकारी की जिम्मेदारी है.
खाचरियावास ने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता से चुनकर आए हुए हैं, ऐसे में अगर कोई अधिकारी काम करता है, तो वह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है मंत्री विश्वेंद्र सिंह के 45 करोड़ के मामले में अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के मामले में मंत्री प्रतापसिंह ने कहा कि मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने खुद यह बात उठाई है, तो इस पर कार्रवाई भी होगी.