जयपुर. प्रदेश में पहले बिजली संकट और अब कर्मचारियों की नाराजगी प्रदेश की बिजली कंपनियों पर भारी पड़ रही है. हाल ही में बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से आहत राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ ने मंगलवार को जयपुर में विद्युत भवन का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया.
बिजली निजीकरण के विरोध सहित कुल 28 मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू हुआ है. इससे पहले भी श्रमिक संघ ने दो बार आंदोलन कर सरकार को चेतावनी दी थी. लेकिन जब सरकार ने उनकी मांगों की सुनवाई नहीं कि, तब राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ ने अनिश्चितकालीन धरना और पड़ाव का ऐलान कर दिया.
अनिश्चितकालीन धरने में पांच बिजली कंपनियों के श्रमिक महासंघ से जुड़े कर्मचारी अपना समर्थन दे रहे हैं. अब प्रतिदिन हर जिले से जुड़े कर्मचारी नेता इस धरने में बैठेंगे. श्रमिक महासंघ से जुड़े पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार तुरंत प्रभाव से निजीकरण पर रोक लगाकर बिजली कंपनियों में नई भर्तियां करे. वहीं कर्मचारियों की इंटरकंपनी स्थानांतरण की सुविधा को भी शुरू करे. कर्मचारी संगठन इस बात से भी नाराज थे कि जो कर्मचारी कोविड-19 से मारे गए उनके परिवार को भी अब तक बिजली कंपनियों की तरफ से 50 लाख की सहायता राशि नहीं दी गई है. यहीं कारण है कि इन तमाम मांगों को लेकर कर्मचारी अब अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.