जयपुर. पिछले दिनों पार्टी के संगठनात्मक चुनाव के दौरान जयपुर शहर से आने वाले वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ और सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी के साथ ही पूर्व विधायक सुरेंद्र पारीक ने भी जयपुर से भाजपा को दो इकाइयों में विभक्त करने की मांग की थी. इस दौरान तर्क दिया था कि जयपुर शहर में दो नगर निगम किए जा रहे हैं, लिहाजा उस दृष्टि से जयपुर शहर भाजपा को भी दो भागों में विभक्त किया जाए. लेकिन प्रस्ताव पर काम शुरू होने के साथ ही विरोध के स्वर भी सुनाई देने लगे.
बताया जा रहा है पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जयपुर से आने वाले अशोक परनामी और अरुण चतुर्वेदी ने हाल ही में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से चर्चा के दौरान इस पर अपनी असहमति जता दी थी. दोनों ही नेताओं का तर्क था कि जयपुर जिला संगठनात्मक दृष्टि से पहले ही तीन भागों में विभक्त किया जा चुका है. ऐसे में यदि जयपुर शहर को भी दो भागों में विभक्त किया गया तो पार्टी को इसका फायदा कम और नुकसान अधिक हो सकता है.
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खासतौर पर राजधानी जयपुर में विपक्ष के रूप में भाजपा को कई बड़े आंदोलन करने पड़ते. लेकिन शहर इकाई को दो भागों में विभक्त करने पर भीड़ इकट्ठी करने और जिम्मेदारी के नाम पर टालमटोल की स्थिति बनेगी. कुछ ऐसा ही तर्क जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने भी दिया है. यहां आप को बता दें कि जयपुर जिले को वर्तमान में तीन जिला इकाईयों में विभक्त किया गया है, जिसमें जयपुर शहर, जयपुर देहात दक्षिण और जयपुर देहात उत्तर शामिल है. वहीं, गुरुवार शाम जयपुर शहर भाजपा को सुनील कोठारी के रूप में नया शहर अध्यक्ष मिल गया है.
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