जयपुर: लोकायुक्त संबंधित केंद्रीय कानून में लोकायुक्त को भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों पर लगे आरोपों की जांच करने के अधिकार देने का प्रावधान है. मंत्री से लेकर IAS अफसर, बाबू से लेकर चपरासी तक के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की जा सकती है. लेकिन पंच-सरपंचों के खिलाफ शिकायत नहीं की जा सकती. लोकायुक्त अब इसमें बदलाव चाहते हैं.
साल 1973 के लोकायुक्त अधिनियम (Lokayukta Act 1973) में पंच-सरपंच को जांच के दायरे से बाहर रखा गया था. लेकिन प्रदेश के नए लोकायुक्त पी के लोहरा सरपंचों को जांच के दायरे में लाना चाहते हैं. पंच-सरपंच ही नहीं बल्कि प्रस्ताव में विश्व विद्यालय, कोऑपरेटिव सोसायटी (Cooperative Society) और कोऑपरेटिव बैंक (Cooperative Bank) को दायरे में लाए जाने की शिफारिश की गई है. इस प्रस्ताव को जल्द मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा.
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फिलहाल लोकायुक्त की जांच के दायरे में राज्य के मंत्रियों से लेकर IAS अफसर, विभागों के सचिव, विभागाध्यक्षों, लोकसेवक के साथ ही जिला परिषदों के प्रमुख, उपप्रमुख, पंचायत समितियों के प्रधान और उप-प्रधान के खिलाफ शिकायतों की जांच शामिल हैं. वहीं नगर निगम के महापौर, उपमहापौर, नगर परिषद, नगर पालिका के चेयरमैन, नगर विकास न्यासों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, राजकीय कंपनियों और निगमों अथवा मंडलों के अध्यक्षों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की जाती है.
फिलहाल लोकायुक्त की जांच के दायरे में मुख्यमंत्री, महालेखाकार, आरपीएससी अध्यक्ष और सदस्य, पंच-सरपंच, विधानसभा सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी, विश्वविद्यालय, कोऑपरेटिव सोसायटी और कोऑपरेटिव बैंक, सेवानिवृत्त लोकसेवक, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश शामिल नहीं हैं.
ऐसे में सरकारी महकमों के भ्रष्ट आचरण और कार्यशैली से खिन्न प्रदेश के नवनियुक्त लोकायुक्त न्यायाधीश पी के लोहरा कुछ नया करना चाहते हैं. राज्य लोकायुक्त की ग्राम पंचायत के चुने गए जनप्रतिनिधियों को अपने जांच के दायरे में लाकर निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने की मंशा है. यही वजह है कि पंच-सरपंच के साथ ही विश्वविद्यालयों, कोऑपरेटिव सोसायटी और कोऑपरेटिव बैंक सहित सरकारी सैलरी पर काम कर रहे हर संस्था के अधिकारी-कर्मचारी को जांच के दायरे में लाना चाहते हैं.
लोकायुक्त का प्रस्ताव यदि अमल में आ जाता है तो ग्रामीण पंचायती राज विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 11 हजार 320 सरपंच और 1 लाख 7 हजार 707 वार्ड पंच लोकायुक्त की जद में आ जाएंगे.
गहलोत सरकार ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में एक अध्यादेश के जरिए तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया था. तब से 8 मार्च 2021 तक यह पद खाली रहा. सरकार ने जुलाई में देश में एक समानता के लिए राजस्थान लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2019 पारित कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 साल से घटाकर 5 साल भी कर दिया था. 9 मार्च 2021 को न्यायमूर्ति पी के लोहरा ने लोकायुक्त का पदभार ग्रहण किया.