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जलमहल प्रकरण: आवंटन प्रक्रिया सही, कोठारी सहित अन्य के खिलाफ लिया प्रसंज्ञान रद्द

राजस्थान हाई कोर्ट ने जलमहल से जुड़ी जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को सही मानते हुए प्रकरण में निचली अदालत की ओर से उद्योगपति नवरतन कोठारी, आरएएस हृदेश कुमार शर्मा, पूर्व आईएएस विनोद जुत्शी और राकेश सैनी के खिलाफ लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश नवरतन कोठारी और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए.

Jalmahal land allocation case, जयपुर न्यूज
जलमहल जमीन आवंटन प्रकरण में कोठारी समेत अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान रद्द
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Published : Jan 31, 2020, 6:57 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने जलमहल से जुड़ी जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को सही मानते हुए प्रकरण में निचली अदालत की ओर से उद्योगपति नवरतन कोठारी, आरएएस हृदेश कुमार शर्मा, पूर्व आईएएस विनोद जुत्शी और राकेश सैनी के खिलाफ लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश नवरतन कोठारी और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए. अदालत ने मामले में गत 29 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जलमहल जमीन आवंटन प्रकरण में कोठारी समेत अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान रद्द

याचिकाओं में कहा गया कि मामले में शिकायतकर्ता भगवंत गौड़ ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. वहीं हाई कोर्ट ने मामले में लीज डीड को रद्द कर दिया था. निचली अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था. याचिका में कहा गया कि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आवंटन प्रक्रिया को भी सही माना था.

पढ़ें- दौसाः बांदीकुई बार एसोसिएशन के चुनाव संपन्न, घनश्याम वर्मा 23 मतों से बने अध्यक्ष

सुप्रीम कोर्ट ने 99 साल की लीज को कम कर तीस साल कर दिया था. ऐसे में निचली अदालत की ओर से लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द किया जाए. याचिका में कहा गया कि आवंटन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से हुई थी. उच्च बोली दाता होने के चलते याचिकाकर्ता कोठारी की फर्म को भूमि आवंटित की गई थी. इसके अलावा मामले में पुलिस ने भी कोई आरोप प्रमाणित नहीं मानकर तीन बार एफआर पेश कर दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने जलमहल से जुड़ी जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को सही मानते हुए प्रकरण में निचली अदालत की ओर से उद्योगपति नवरतन कोठारी, आरएएस हृदेश कुमार शर्मा, पूर्व आईएएस विनोद जुत्शी और राकेश सैनी के खिलाफ लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश नवरतन कोठारी और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए. अदालत ने मामले में गत 29 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जलमहल जमीन आवंटन प्रकरण में कोठारी समेत अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान रद्द

याचिकाओं में कहा गया कि मामले में शिकायतकर्ता भगवंत गौड़ ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. वहीं हाई कोर्ट ने मामले में लीज डीड को रद्द कर दिया था. निचली अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था. याचिका में कहा गया कि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आवंटन प्रक्रिया को भी सही माना था.

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सुप्रीम कोर्ट ने 99 साल की लीज को कम कर तीस साल कर दिया था. ऐसे में निचली अदालत की ओर से लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द किया जाए. याचिका में कहा गया कि आवंटन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से हुई थी. उच्च बोली दाता होने के चलते याचिकाकर्ता कोठारी की फर्म को भूमि आवंटित की गई थी. इसके अलावा मामले में पुलिस ने भी कोई आरोप प्रमाणित नहीं मानकर तीन बार एफआर पेश कर दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है.

Intro:बाईट - याचिकाकर्ता नवरतन कोठारी


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जलमहल से जुडी जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को सही मानते हुए प्रकरण में निचली अदालत की ओर से उद्योगपति नवरतन कोठारी, आरएएस हृदेश कुमार शर्मा, पूर्व आईएएस विनोद जुत्शी और राकेश सैनी के खिलाफ लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश नवरतन कोठारी व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए। अदालत ने मामले में गत 29 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।Body:याचिकाओं में कहा गया कि मामले में शिकायतकर्ता भगवत गौड़ ने टेंडर प्रक्रिया में गडबडी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। वहीं हाईकोर्ट ने मामले में लीज डीड को रद्द कर दिया था। निचली अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था। याचिका में कहा गया कि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आवंटन प्रक्रिया को भी सही माना था। सुप्रीम कोर्ट ने 99 साल की लीज को कम कर तीस साल कर दिया था। ऐसे में निचली अदालत की ओर से लिए प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द किया जाए। याचिका में कहा गया कि आवंटन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से हुई थी। उच्च बोली दाता होने के चलते याचिकाकर्ता कोठारी की फर्म को भूमि आवंटित की गई थी।  इसके अलावा मामले में पुलिस ने भी कोई आरोप प्रमाणित नहीं मानकर तीन बार एफआर पेश कर दी थी। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया है। Conclusion:
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