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कोरोना के चलते मार्च 2021 तक टला जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण

कोरोना वायरस के कहर के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते जयपुर एयरपोर्ट का होने वाला निजीकरण एक बार फिर मार्च तक के लिए टाल दिया गया है. वहीं एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अब मार्च 2021 के बाद ही जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण हो सकेगा.

जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण, Privatization of Jaipur Airport
इस साल नहीं होगा जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण
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Published : Jun 27, 2020, 12:50 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस के कहर के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते जयपुर एयरपोर्ट का होने वाला निजीकरण एक बार फिर मार्च तक के लिए टल गया है. जयपुर एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जयपुर एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया पर फिलहाल विराम लग गया है. निजीकरण को मार्च 2021 तक के लिए टाल दिया गया है. इससे एयरपोर्ट पर बनने वाली नई बिल्डिंग का काम भी बीच में ही अटक गया है.

दरअसल जयपुर एयरपोर्ट समेत छह एयरपोर्ट पीपीपी मोड पर अडानी ग्रुप को सौंपने हैं. हालांकि जयपुर एयरपोर्ट को अभी केंद्र से मंजूरी नहीं मिली है. इसके साथ गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के निजीकरण का काम भी अभी बाकी है.

इस साल नहीं होगा जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण

यह भी पढ़ें - Corona Update : राजस्थान में कोरोना के 127 नए मामले, आंकड़ा पहुंचा 16787

बता दें कि इन तीन एयरपोर्ट के अलावा लखनऊ, अहमदाबाद और मंगलुरू एयरपोर्ट का एमओयू हो चुका है, लेकिन अडानी ग्रुप में कोरोना वायरस के चलते 6 महीने तक इन पर कब्जा नहीं लेने को लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को एक पत्र भी लिखा है. अडानी ग्रुप ने इन तीनों एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए जो ऐसेट ट्रांसफर फीस दिए जाना है, उसको जमा कराने की डेड लाइन भी अब अगस्त से आगे बढ़ाकर दिसंबर करने की डिमांड की है.

मार्च 2021 से पहले नहीं हो सकता निजीकरण

इस मामले को लेकर एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस वजह से अडानी ग्रुप पहले से एमओयू हो चुके 3 एयरपोर्ट को लेने में भी पीछे हो रहा है. ऐसे में मार्च से पहले किसी भी स्थिति में जयपुर एयरपोर्ट का निजी कारण नहीं हो सकता. इससे जयपुर एयरपोर्ट पर बनने वाली नई बिल्डिंग का काम भी अटक गया है, क्योंकि यह कार्य निजी कंपनी को शुरू करना था.

यह भी पढ़ें - अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरीः राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की 14 भर्तियों का कैलेंडर जारी

एयरपोर्ट के विकास संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी अब निजी कंपनी की थी, लेकिन अब कोरोना की वजह से यह सभी काम भी अटक गए हैं और अडानी ग्रुप निजीकरण को लेकर भी कोई इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा है.

राज्य सरकार ने भी जताई थी नाराजगी

वहीं एयरपोर्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एयरपोर्ट की निजीकरण का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार के द्वारा आपत्ति जताई गई थी. इसको लेकर राज्य सरकार का कहना था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को जयपुर एयरपोर्ट की भूमि जन सुविधा के लिए राज्य सरकार के द्वारा निशुल्क दी गई थी. लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा बिना पूछे जयपुर एयरपोर्ट का एमओयू किया गया.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दिसंबर 2018 में देश के छह एयरपोर्ट लखनऊ, अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी, जयपुर और त्रिवेंद्रम के निजीकरण पर सहमति बनाई थी. वहीं गत वर्ष फरवरी में अडानी ग्रुप में इन सभी छह एयरपोर्ट के लिए ज्यादा बोली लगाई थी और अडानी ग्रुप बोली में विजेता रहा था.

जयपुर. कोरोना वायरस के कहर के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते जयपुर एयरपोर्ट का होने वाला निजीकरण एक बार फिर मार्च तक के लिए टल गया है. जयपुर एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जयपुर एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया पर फिलहाल विराम लग गया है. निजीकरण को मार्च 2021 तक के लिए टाल दिया गया है. इससे एयरपोर्ट पर बनने वाली नई बिल्डिंग का काम भी बीच में ही अटक गया है.

दरअसल जयपुर एयरपोर्ट समेत छह एयरपोर्ट पीपीपी मोड पर अडानी ग्रुप को सौंपने हैं. हालांकि जयपुर एयरपोर्ट को अभी केंद्र से मंजूरी नहीं मिली है. इसके साथ गुवाहाटी और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट के निजीकरण का काम भी अभी बाकी है.

इस साल नहीं होगा जयपुर एयरपोर्ट का निजीकरण

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बता दें कि इन तीन एयरपोर्ट के अलावा लखनऊ, अहमदाबाद और मंगलुरू एयरपोर्ट का एमओयू हो चुका है, लेकिन अडानी ग्रुप में कोरोना वायरस के चलते 6 महीने तक इन पर कब्जा नहीं लेने को लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को एक पत्र भी लिखा है. अडानी ग्रुप ने इन तीनों एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए जो ऐसेट ट्रांसफर फीस दिए जाना है, उसको जमा कराने की डेड लाइन भी अब अगस्त से आगे बढ़ाकर दिसंबर करने की डिमांड की है.

मार्च 2021 से पहले नहीं हो सकता निजीकरण

इस मामले को लेकर एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस वजह से अडानी ग्रुप पहले से एमओयू हो चुके 3 एयरपोर्ट को लेने में भी पीछे हो रहा है. ऐसे में मार्च से पहले किसी भी स्थिति में जयपुर एयरपोर्ट का निजी कारण नहीं हो सकता. इससे जयपुर एयरपोर्ट पर बनने वाली नई बिल्डिंग का काम भी अटक गया है, क्योंकि यह कार्य निजी कंपनी को शुरू करना था.

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एयरपोर्ट के विकास संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी अब निजी कंपनी की थी, लेकिन अब कोरोना की वजह से यह सभी काम भी अटक गए हैं और अडानी ग्रुप निजीकरण को लेकर भी कोई इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा है.

राज्य सरकार ने भी जताई थी नाराजगी

वहीं एयरपोर्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एयरपोर्ट की निजीकरण का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार के द्वारा आपत्ति जताई गई थी. इसको लेकर राज्य सरकार का कहना था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को जयपुर एयरपोर्ट की भूमि जन सुविधा के लिए राज्य सरकार के द्वारा निशुल्क दी गई थी. लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा बिना पूछे जयपुर एयरपोर्ट का एमओयू किया गया.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दिसंबर 2018 में देश के छह एयरपोर्ट लखनऊ, अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी, जयपुर और त्रिवेंद्रम के निजीकरण पर सहमति बनाई थी. वहीं गत वर्ष फरवरी में अडानी ग्रुप में इन सभी छह एयरपोर्ट के लिए ज्यादा बोली लगाई थी और अडानी ग्रुप बोली में विजेता रहा था.

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