जयपुर. बीते कुछ वर्षों से प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों से जुड़े मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए जयपुर के जेके लोन अस्पताल में एक अलग से सेंटर भी चलाया जा रहा है, लेकिन केंद्र की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता अभी भी दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों को नहीं मिल पा रही है. इसका कारण है सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (Center of Excellence) का नहीं होना.
जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों में करीब 1300 से अधिक मामले दुर्लभ बीमारियों से जुड़े हुए सामने आए हैं. आमतौर पर चिकित्सकों का कहना है कि दुर्लभ बीमारियों से जुड़ा इलाज काफी महंगा होता है. ऐसे में जेके लोन अस्पताल में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने की तैयारी (Center of Excellence in Rajasthan) की जा रही है. जेके लोन अस्पताल के पूर्व अधीक्षक और रेयर डिजीज सेंटर के प्रभारी डॉक्टर अशोक गुप्ता का कहना है कि जयपुर के जेके लोन अस्पताल में एक अलग से रेयर डिजीज सेंटर चलाया जा रहा है. जहां विभिन्न दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाता है.
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डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया कि अब तक करीब 1300 से अधिक दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मामले अस्पताल में सामने आ चुके हैं. लेकिन अब जयपुर के जेके लोन अस्पताल में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने से जुड़ा एक पत्र केंद्र को लिखा गया है. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में दुर्लभ बीमारियों से जुड़ी एक पॉलिसी तैयार की गई है, जिसके तहत देश के अलग-अलग स्थानों पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जा रहे हैं. इस पॉलिसी के तहत दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों को केंद्र की ओर से आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है, लेकिन फिलहाल प्रदेश में कोई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नहीं होने के कारण आर्थिक सहायता मरीजों को नहीं मिल पा रही है.
पत्र में कहा गया है कि केंद्र की ओर से विभिन्न राज्यों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जा रहे हैं. ऐसे में जयपुर के जेके लोन अस्पताल को भी इसमें शामिल किया जाए ताकि दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके.
देश में आठ सेंटर- पूरे देश की बात करें तो केंद्र की ओर से विभिन्न राज्यों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जा रहे हैं. मौजूदा समय में विभिन्न राज्यों में करीब आठ सेंटर खोले जा चुके हैं, जिसके बाद जयपुर के जेके लोन अस्पताल की ओर से भी एक पत्र लिखा गया है. यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले कुछ महीनों में जयपुर के जेके लोन में प्रदेश का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोला जाएगा, जहां फंड से लेकर हर तरह की मशीनरी इलाज के लिए उपलब्ध होगी.
हालांकि, मौजूदा समय में भी जयपुर के जेके लोन अस्पताल में रेयर डिजीज सेंटर चलाया जा रहा है. जहां विभिन्न दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जाता है. फिलहाल, क्राउडफंडिंग के माध्यम से ही इलाज के लिए पैसा इकट्ठा किया जाता है, लेकिन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने के बाद केंद्र की ओर से भी मरीज को आर्थिक सहायता उपलब्ध हो सकेगी. आंकड़ों की बात करें तो नेशनल रजिस्ट्री ऑफ रेयर एंड अदर इन्हेरीटेड डिसऑर्डर के अनुसार देशभर में पिछले 5 सालों में करीब 5 हजार से अधिक दुर्लभ बीमारियों के मामले सामने आए हैं. इनमें से करीब 200 से अधिक मरीजों की मौत हुई है.
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जेनेटिक जांच की सुविधा नहीं- इसके अलावा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में फिलहाल जेनेटिक जांच की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण बच्चों में होने वाली दुर्लभ बीमारियों का पता लगाना मुश्किल होता है. आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में हर साल हजारों बच्चे जन्मजात बीमारियों और विकृतियों के साथ पैदा हो रहे हैं. चिकित्सकों की मानें तो हर साल एक हजार की आबादी पर 22 बच्चे कैसे जन्म लेते हैं जो किसी न किसी दुर्लभ या जेनेटिक बीमारी से पीड़ित होते हैं.
चिकित्सकों का मानना है कि यदि प्रदेश के बड़े डिलीवरी सेंटर पर जेनेटिक जांच की सुविधा उपलब्ध हो तो इस तरह के बच्चों को दुनिया में आने से रोका जा सकता है. राजधानी जयपुर की बात करें तो जयपुर के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में हर साल हजारों की संख्या में बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन जेनेटिक जांच की सुविधा इन बड़े अस्पतालों में भी नहीं है.