जयपुर. देशभर में कोरोना महामारी चल रही है. ऐसे में राजस्थान में उत्तर पश्चिम रेलवे की ओर से कई जगह इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने और अन्य कार्यों के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की भी आवश्यकता है. ऐसे में रेलवे में पदों को खत्म करने से कर्मचारियों की कमी और ज्यादा बढ़ जाएगी. रेलवे बोर्ड की ओर से हाल ही में डब्ल्यूएससी को उत्तर पश्चिम रेलवे के साथ देश के सभी 16 जोनल रेलवे से 13450 पदों को खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं. रेलवे अधिकारियों की मानें तो रेलवे बोर्ड ने उत्तर पश्चिम रेलवे को 600 पद खत्म करने के निर्देश दे दिए हैं.
पढ़ें: कोरोना से मौतों की ऑडिट के लिए गहलोत सरकार ने बनाई 3 टीमें, राजस्थान ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य
रेलवे यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार रेलवे में पहले ही 15 हजार पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में रेलवे बोर्ड की ओर से पदों को खत्म करना गलत है. रेलवे बोर्ड की ओर से कमेटी को समीक्षा करने की बजाय पदों को खत्म करने का आदेश देना सही नहीं है. ये कार्य रेलवे का निजीकरण करने की ओर बढ़ने का संकेत है. बताय जा रहा है कि वर्क्स स्टडी कमेटी एसडीजीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी जयपुर, जोधपुर, अजमेर और बीकानेर मंडल में उन सभी पदों को चिन्हित करने का काम करेगी, जहां पर कार्य नहीं होने के बाद भी पद सृजित हैं.
पढ़ें: उपमहापौर का सरकार पर आरोप: कोरोना से मौत के आंंकड़ों को छिपाने वाले जादूगर बन गए हैं गहलोत
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्यालय और चारों मंडलों समेत कारखानों में 60 हजार पद स्वीकृत हैं. लेकिन अभी सिर्फ 45 हजार कर्मचारी ही हैं. सबसे ज्यादा कमी ट्रैकमैन और गैंगमैन की है. करीब 4 हजार से अधिक पद ट्रैक मैन और गैंगमैन के खाली बताया जा रहे हैं. उत्तर पश्चिम रेलवे के चारों मंडलों और कारखानों में जूनियर इंजीनियर टेक्नीशियन और हेल्पर के भी करीब 2 हजार से अधिक पद खाली हैं. लेखा विभाग समेत मंडल कार्यालय में मिनिस्ट्रल स्टाफ की कमी चल रही है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार और रेल मंत्री की ओर से रेलवे के निजीकरण के लिए कई बार इंकार किया गया, लेकिन देशभर में रेलवे के 13450 पद और राजस्थान में 600 पद खत्म करने के आदेश जारी होने के बाद साफ जाहिर हो रहा है कि रेलवे के कदम निजीकरण की ओर बढ़ रहे हैं.