जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत इस बार 10 लाख पट्टे बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. तय समय अवधि में ये पट्टे महज 25 फीसदी ही बंट सके हैं. ऐसे में बजट घोषणा में अभियान को एक साल के लिए एक्सटेंड किया गया और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए नई रूपरेखा के साथ 1 मई से दोबारा शिविर भी शुरू किए जा रहे हैं. इसके साथ ही अभियान अवधि में राजकीय विभागों और उनके उपक्रमों को भूमि आवंटन के प्रकरणों में मूल राशि जमा होने पर ब्याज और पेनल्टी में भी शत-प्रतिशत छूट दी जा रही है.
बता दें, 2 अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर तक चले प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron ke sang Campaign) के पहले चरण में नगरीय निकायों में करीब 1 लाख 18 हज़ार पट्टे जारी किए गए थे. वहीं बीते 3 महीने जब शिविर बंद रहे तो ये आंकड़ा 1 लाख 59 हज़ार तक पहुंचा. इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि अभियान लगातार प्रगतिरत है, लेकिन अभियान की गति सरकार की मंशा के अनुरूप नहीं है. यही वजह है कि अभियान को 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया है. अब पेंडिंग प्रकरणों को खत्म करते हुए ज्यादा से ज्यादा आवेदन लाने की रूपरेखा तैयार की जा रही है. इसमें पुरानी छूट के प्रावधानों को नया चोला पहना कर पेश किया जाएगा. साथ ही नई कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों को बड़ी छूट देने की तैयारी की जा रही है.
राज्य सरकार ने बीते साल 2 अक्टूबर से प्रशासन शहरों के संग अभियान की शुरुआत की. अभियान के तहत नगरीय निकायों में अब तक 1 लाख 59 हज़ार 719 पट्टे बांटे गए हैं. अभियान की इस धीमी गति का एक कारण शिविर स्थगित होना बताया जाता है. चूंकि अब तक अभियान में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है इसलिए इसकी रूपरेखा में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. बदलाव पुरानी छूट में आ रही बाधाओं को दूर करने की ही है. नगरीय निकायों में कच्ची बस्ती, स्टेट ग्रांट एक्ट और धारा 69ए के तहत बांटे जाने वाले पट्टों में आ रही बाधाओं को दूर करते हुए निर्देश जारी किए जा रहे हैं.
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इस संबंध में डीडीए नरेंद्र वर्मा ने बताया कि अभियान लगातार प्रगतिरत है. विभाग भी लगातार इसे रिव्यु कर रहा है. उन्होंने माना कि पेंडेंसी है लेकिन उसका कारण कोर्ट स्टे, गलत श्रेणी में आवेदन करने और लेआउट के प्रकरण हैं. जिसका निरीक्षण दलों के माध्यम से निस्तारण किया जा रहा है. जिन निकायों में प्रगति कम है उन निकायों को कठोरता से निर्देश दिए जा रहे हैं और चार्ज शीट की कार्रवाई भी की जा रही है. रिव्यू किया जा रहा है कि वृहद छूट देने के बाद भी आवेदन कम क्यों आ रहे हैं. इसके अलावा जिन क्षेत्रों में स्कोप ज्यादा है, वहां फोकस किया जाएगा. खासकर धारा 69ए पर, जिसे जादुई धारा भी कहा गया है. उन्होंने कहा कि अब सरकार ने इस अभियान को 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दिया है, तो ऐसे में निश्चित रूप से 10 लाख पट्टे बांटने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उस तक पहुंचने में कामयाब होंगे.
नगरीय निकायों में पट्टों की वर्तमान स्थिति :
पट्टे जारी | पेंडिंग | |
कृषि भूमि पर बसी आवासीय योजनाओं/ संस्थाओं की स्वयं की योजनाओं | 67505 | 12431 |
69 ए | 49314 | 23261 |
कच्ची बस्ती नियमन | 2342 | 2110 |
स्टेट ग्रांट एक्ट | 30732 | 7641 |
ईडब्ल्यूएस/एलआईजी/60 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल के भूखंड/आवासों का आवंटन | 820 | 35 |
पूर्व में जारी पट्टों के समर्पण के बाद दोबारा पट्टा जारी करने के प्रकरण | 9006 | 923 |
ये हैं प्रमुख छूट : प्रमुख छूट की बात करें तो निकायों को ज्यादा शक्ति देने से लेकर अधिसूचित कच्ची बस्तियों में पट्टे आवंटन की छूट तक शामिल है. इनमें स्टेट ग्रांट का पट्टा ₹1 में, धारा 69 ए के तहत पुराने स्वामित्व को समर्पण कर मौके अनुसार स्वामित्व का पट्टा ₹501 में (फ्री होल्ड पट्टा), सघन आबादी में मिश्रित उपयोग का पट्टा, हस्तांतरण/ उप विभाजन/ पुनर्गठन के मामलों में नया पट्टा, फ्री होल्ड पट्टों पर कोई लीज राशि नहीं, लीज वाले पट्टों पर 10 वर्ष की एकमुश्त लीज जमा कर फ्री होल्ड पट्टा, बकाया ब्याज पर शत-प्रतिशत और बकाया लीज पर 60% की छूट, 17 जून 1999 से पहले और बाद की बसी कॉलोनियों में पट्टा आवंटन, भूखंडों का ए पंजीकृत दस्तावेजों से विक्रय करने पर लगने वाले पंजीयन शुल्क पर छूट, अधिसूचित कच्ची बस्तियों में पट्टे आवंटन पर छूट, भूखंडों के पुनर्गठन/ उप विभाजन पर निकायों को ज्यादा शक्तियां जैसी छूटें शामिल हैं.
कच्ची बस्ती नियमन के अंतर्गत आए आवेदनों की संख्या 8121 है. लेकिन इनमें से 3669 तो रिजेक्ट कर दिए गए जबकि 2110 प्रकरण पेंडिंग है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अब राज्य सरकार 2021 तक बसी सभी कच्ची बस्तियों को पट्टों के लिए आवेदन करने में शामिल करने जा रही है. इससे न सिर्फ आवेदन बढ़ेंगे बल्कि ज्यादा से ज्यादा पट्टे बांटकर लक्ष्य के हवन में एक बड़ी आहुति होगी. इससे पहले 15 अगस्त 2009 से पूर्व की कच्ची बस्ती के पट्टे ही जारी किए जा रहे थे.