जयपुर. राज्य में 660 मेगावाट की छबड़ा सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युतगृह (Chhabra Super Critical Thermal Power House) में विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है. एसीएस माइंस, पेट्रोलियम और एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि नवंबर माह में 5 नवंबर को पहली बार कोल इंडिया और विद्युत विभाग की कोल माइंस दोनों से मिलाकर कोयले की 21 रैक डिस्पेच कराने में सफलता मिली है.
इससे पहले पिछले कुछ दिनों से कोयले की औसतन प्रतिदिन 16-17 रैक डिस्पेच हो पा रही थी. यहां तक कि 30 अक्टूबर को तो सब मिलाकर 13 रैक ही कोयले की डिस्पेच हो पाई थी. इसके बावजूद प्रदेश में कहीं भी बिजली की आपूर्ति व्यवस्था को सुचारु बनाए रखा गया. प्रदेश में कहीं भी बिजली की कमी के कारण कटौती नहीं होने दी गई.
उन्होंने बताया कि 5 नवंबर को देर रात तक राज्य सरकार के कोल ब्लॉक पीकेसीएल से कोयले की 11 रैक डिस्पेच हुई है. वहीं कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई एनसीएल से 4 और एसईसीएल से कोयले की 6 रैक डिस्पेच कराने में सफलता मिली है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि देशव्यापी कोयला संकट के दौरान प्रदेश में 2600 मेगावाट से अधिक की बंद इकाइयों में बिजली का उत्पादन शुरू किया गया.
शटडाउन के चलते विद्युत उत्पादन नहीं हो रहा था
उन्होंने बताया कि छबड़ा की 660 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल इकाई संख्या 6 में विद्युत उत्पादन आरंभ हो गया है. इस इकाई में सालाना शटडाउन के चलते विद्युत उत्पादन नहीं हो रहा था. उन्होंने बताया कि इससे पहले अक्टूबर माह में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की सूरतगढ़, कालीसिंध और कोटा तापीयगृह की 2000 से अधिक मेगावाट की 6 इकाइयों में विद्युत उत्पादन शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से प्रदेश में बिजली की कमी के कारण शहरी और ग्रामीण किसी भी इलाके में विद्युत कटौती नहीं की जा रही है.