जयपुर. प्रदेश में चल रहे बिजली संकट (Power Crisis in Rajasthan) के बीच मई के पहले पखवाड़े से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. विद्युत उत्पादन निगम की बंद पड़ी 5 में से 3 इकाइयों में 10 मई तक फिर से उत्पादन शुरू हो जाएगा. वहीं, छत्तीसगढ़ की परसा ईस्ट और एक अन्य कॉल ब्लॉक से मई के अंत तक कोयला राजस्थान को मिलने (Rajasthan will get coal from Chhattisgarh) लगेगा. कोयले की कमी और बिजली के संकट के बीच ईटीवी भारत ने राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (Rajasthan Rajya Vidyut Utpadan Nigam) सीएमडी आरके शर्मा से खास बातचीत की.
बंद इकाइयां इस तरह होगी शुरू: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की राजस्थान में कुल 23 उत्पादन इकाइयां हैं, जिनमें से वर्तमान में 1970 मेगावाट क्षमता वाली 5 इकाइयां बंद है. उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा के अनुसार इनमें 2 इकाई कालीसिंध की 600 मेगावाट और सूरतगढ़ थर्मल की 250 मेगावाट की इकाई मेंटेनेंस के लिए शटडाउन पर है. इन दोनों ही इकाइयों में पिछले 3 साल से रखरखाव के लिए शटडाउन नहीं लिया गया था. वहीं, छबड़ा थर्मल 250 मेगावाट की इकाई में 1 साल पहले ईएसपी का फैलियर के साथ एक बड़ा हादसा हुआ था, उसमें भी उत्पादन बंद है जिसे जून महीने तक शुरू करने का प्रयास है.
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सूरतगढ़ थर्मल सुपरक्रिटिकल 660 मेगावाट की इकाई भी बुशिंग पार्ट फाल्ट होने के कारण बंद है, जिसे दुरुस्त करने के लिए बीएचएल भोपाल भेजा गया है. इसी तरह कोटा थर्मल 210 मेगावाट की इकाई भी तकनीकी कारणों से बंद है. उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा के अनुसार सूरतगढ़ 250 मेगावाट की इकाई से बिजली उत्पादन आगामी 1 मई तक शुरू कर दिया जाएगा तो वहीं 210 मेगावाट कोटा थर्मल इकाई से 2 मई तक उत्पादन शुरू हो जाएगा. इसी तरह मेंटेनेंस में ली गई 660 मेगावाट की कालीसिंध उत्पादन इकाई भी 10 मई तक वापस शुरू हो जाएगी. मतलब 1120 मेगावाट विद्युत उत्पादन का इजाफा आगामी महीने के पहले पखवाड़े तक हो जाएगा.
कोयला नहीं, रेलवे रैक की भी अनुपलब्धता- ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा ने कहा कि हमारे पास 7580 मेगावाट क्षमता की इकाइयां हैं, लेकिन इन्हें पूर्ण क्षमता से चलाने के लिए जितने कोयले की आवश्यकता है उतना कोयला फिलहाल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ सालों से कोयले की कमी के चलते यह स्थिति बनी हुई है. ऐसे में हमें पावर मैनेजमेंट के अनुसार ही अपनी इकाइयों से उत्पादन करना होगा. शर्मा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमने अपनी उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ाई और कोल इंडिया भी लगातार प्रयासरत है. लेकिन कोयला लाने के लिए रेलवे में रैक की भी फिलहाल अनुपलब्धता है. ऐसे में आम बिजली उपभोक्ताओं को भी मौजूदा समय राजस्थान और देश हित में बिजली की फिजूलखर्ची से बचना चाहिए.
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मई के अंत तक मिलेगा अतिरिक्त कोयला- तपती गर्मी के बीच लगातार बढ़ रही बिजली की डिमांड से परेशान राजस्थान ऊर्जा विभाग को मई महीने के अंत तक राहत मिलने के आसार हैं. छत्तीसगढ़ कोयला ब्लॉक आवंटन विवाद (Chhattisgarh coal block allocation controversy) सुलझने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि मई के अंत तक राजस्थान, छत्तीसगढ़ में परसा ईस्ट और एक अन्य कॉल ब्लॉक से कोयला खनन कर अपने हिस्से का कोयला लाया जा सकेगा. उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा के अनुसार इस संबंध में प्रक्रिया काफी तेजी से चल रही है जिसके सकारात्मक परिणाम मई के अंत तक दिखने शुरू होंगे. शर्मा ने कहा कि मई के अंत तक छत्तीसगढ़ से अतिरिक्त कोयले की रैक मिलनी शुरू हो जाएगी. बता दें, परसा ईस्ट और छत्तीसगढ़ के एक अन्य कॉल ब्लॉक में केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार से कोयला खनन की अनुमति नहीं मिल पा रही थी. लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी के प्रयासों से यह विवाद सुलझ गया जिसके सकारात्मक परिणाम मई अंत तक सामने आने के आसार हैं.
12 रुपए प्रति यूनिट तक नहीं मिल रही बिजली- प्रदेश में इस बार बिजली की डिमांड का 38 साल का रिकॉर्ड स टूट गया. बिजली की डिमांड और उत्पादन में लगातार आ रहे अंतर का एक बड़ा कारण राजस्थान में स्थापित निजी कंपनी राज वेस्ट के पावर प्लांट की 8 में से 6 इकाइयों में बिजली उत्पादन ठप होना भी है. इन इकाइयों से करीब 700 मेगावाट बिजली राजस्थान को कम मिल रही है. वहीं, विंड एनर्जी भी अपेक्षा से काफी कम मिल रही है. सामान्य परिस्थितियों में 2500 मेगावाट तक बिजली मिलती है लेकिन वर्तमान में केवल 367 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. एक्सचेंज के जरिए बिजली खरीद 12 रुपए प्रति यूनिट तक बिड लगाई लेकिन फिर भी बिजली नहीं मिल पाई. यही कारण है कि डिस्कॉम ने जिला मुख्यालय को छोड़कर अन्य स्थानों पर सुबह 6 से 10 और शाम 6 से 9 के बीच एक से डेढ़ घंटे तक की कटौती शुरू कर दी है.