जयपुर. राजस्थान भाजपा में पोस्टर पॉलिटिक्स (Poster Politics in Rajasthan BJP) जारी है. हालांकि, प्रदेश भाजपा ने कार्यसमिति बैठक के पहले दिन जो भूल की थी उसमें दूसरे दिन कुछ सुधार कर लिया है. कार्यसमिति बैठक और जनप्रतिनिधि सम्मेलन स्थल परिसर में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ के फोटो को स्थान मिल गया है. हालांकि, दोनों ही बैठक के मंचों पर लगे होर्डिंग और पोस्टर में इन दोनों नेताओं को आज भी स्थान नहीं मिला.
जेईसीसी परिसर में लगाए चौधरी व राठौड़ के पोस्टर
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ के पोस्टर भले ही जेआईसीसी परिसर में पहले दिन न हो, लेकिन दूसरे दिन प्रदेश भाजपा ने अपनी भूल सुधार करते हुए कई स्थानों पर इन नेताओं के पोस्टर लगाए. इसमें अन्य नेताओं के साथ राजेंद्र राठौड़ और कैलाश चौधरी के फोटो को भी जगह मिली. वहीं, वरिष्ठ नेता और सांसद ओम प्रकाश माथुर और राजस्थान से ही पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर के फोटो भी परिसर में कई स्थानों पर लगाए गए.
मुख्य मंच के होर्डिंग में फिर भी नहीं मिली जगह
खास बात यह है कि परिसर के आसपास लगे होर्डिंग्स में तो पार्टी ने इन दोनों नेताओं को जगह दे दी, लेकिन जनप्रतिनिधि संकल्प महासम्मेलन के मुख्य मंच पर लगाए गए विशाल हार्डिंग में और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति बैठक के मंच के होर्डिंग में इन दोनों ही नेताओं को स्थान नहीं मिल पाया. वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा राज्यसभा सांसद ओम प्रकाश माथुर और पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर को भी इन दोनों ही स्थानों के मुख्य मंच पर लगे होर्डिंग में जगह नहीं मिल पाई.
मौजूदा तीन में से दो केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया मंच पर बने होर्डिंग्स में मौजूद हैं. साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जिनका इस कार्यक्रम में संबोधन होगा उनके विशालकाय चित्र इस होर्डिंग में शामिल किए गए हैं.
मतलब पार्टी संगठन की ओर से ही इन नेताओं को एक प्रकार से सियासी संदेश है कि मुख्य मंच के होर्डिंग्स में शामिल किए गए नेता बड़ा सियासी कद और रुतबा रखते हैं. इनकी तुलना में होर्डिंग से बाहर नेताओं का सियासी कद और रुतबा मौजूदा दौर में कम ही है.