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सांप्रदायिक तनाव में आरोपियों की गिरफ्तारी पर भड़की सियासत, मुख्यमंत्री का दावा- बीजेपी-आरएसएस के लोग हैं पीछे... ईटीवी भारत ने जाना तो हुआ खुलासा

राजस्थान में पिछले कुछ महीनों में सांप्रदायिक तनाव के बीच सियासत तेज है. सियासी उबाल उस समय बढ़ गया जब सीएम अशोक गहलोत ने बयान देते हुए कहा कि इन दंगों के पीछे गिरफ्तार लोग बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैकग्राउंड से है. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज है. इस बीच ईटीवी भारत ने राजस्थान में हुए सांप्रदायिक तनाव और उसमें दर्ज एफआईआर के बाद गिरफ्तारी पड़ताल की तो आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं.

communal tension in Rajasthan
सांप्रदायिक तनाव में सियासत
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Published : May 16, 2022, 10:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान में बीते कुछ महीनों से सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं ने एक तरफ प्रदेश की छवि को धूमिल कर दिया है. वहीं दूसरी ओर इस मामले में राजनीतिक दलों की बयानबाजी के बाद डर्टी पॉलिटिक्स भी सामने आने लगी है. सोमवार सुबह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बयान में कहा था कि इन साम्प्रदायिक दंगों के पीछे गिरफ्तार लोग बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैकग्राउंड से है.

इसके बाद इस मामले में पलटवार करते हुए केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को देश में बीजेपी ही दिख रही है. लेकिन सवाल यह है कि इस तरह के बयानों के बाद क्या प्रदेश के हालात सुधर सकते हैं, ईटीवी भारत ने हाल में हुई अलग-अलग घटनाओं की जमीनी पड़ताल की. इस पड़ताल के दौरान सामने आने वाली सच्चाई ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी. पड़ताल में सामने आया है कि सांप्रदायिक घटनाओं में गिरफ्तार किए गए आरोपी किसी एक पक्ष के नहीं बल्कि अलग-अलग पक्ष के हैं.

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जोधपुर में कई दिन रहा कर्फ्यू

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मुख्यमंत्री के गृहनगर में इन्होंने पोती कालिखः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में दो और तीन मई को तनाव की घटनाओं को लेकर ईटीवी भारत ने पड़ताल की. इसमें सामने आया कि यहां दर्ज कुल 39 FIR को चार अलग-अलग थानों में दर्ज किया गया था. यहां कुछ शिकायतों को दोनों पक्षों की तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ भी दर्ज करवाया गया. इन मामलों में कुल 42 गिरफ्तारियां हुई है, जिनमें से 27 आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. यहां पुलिस ने बीजेपी के मंडल अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंघवी , विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता हितेश व्यास , मयंक राकांवत को गिरफ्तार किया है, जबकि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर फिलहाल गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है.

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करौली में भी जमकर हुईं गिरफ्तारियां: करौली में धार्मिक जुलूस पर पथराव के मामले में तनाव की खबर ने राष्ट्रीय पटल पर राजस्थान की साख पर बट्टा लगा दिया था. इस मामले में पुलिस ने तनाव फैलाने के आरोप में जमकर गिरफ्तारियां की. यहां 34 लोगों को पुलिस ने पकड़ा है , उनमें से 22 आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. मतलब साफ है कि बीजेपी-कांग्रेस के लिहाज से यह तनाव धार्मिक चश्मे से देखे जा रहे हैं. जबकि शहर में अमन के दुश्मनों में सबके नाम शामिल हैं.

पढ़ें. Jodhpur Violence Case : भाजयुमो कार्यकर्ताओं को कर्फ्यू ग्रस्त इलाके में जाने से रोका, विवाद बढ़ा...

नोहर की फैक्ट फाइलः बीते हफ्ते हनुमानगढ़ जिले के नोहर में विश्व हिन्दू परिषद के नेता सतवीर सारण पर हुए हमले के मामले में तीन नामजद आरोपियों समेत पांच अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में गिरफ्तार सात आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े हुए हैं. हालांकि मामले में एक आरोपी आमीन की तरफ से भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है. जिसमें परिवादी ने सतवीर सारण समेत कुछ अन्य लोगों पर अपने बेटे के साथ मारपीट का आरोप लगाया है. वहीं इस मामले में पुलिस की ओर से भी सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने को लेकर मामला दर्ज करने की बात कही जा रही है. इस मामले में पुलिस ने 27 लोगों को शांतिभंग करने के आरोप में, चक्का जाम करने के दौरान गिरफ्तार किया, जिसमें 3 लोगों को डिटेन किया गया.

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भीलवाड़ा में हुई दो वारदातें: भीलवाड़ा में भी सांप्रदायिक तनाव की दो घटनाओं ने माहौल गर्मा दिया था. 4 मई को कर्बला के नजदीक समुदाय विशेष के दो युवकों के साथ मारपीट और बाइक जलाने की घटना सामने आई थी. उपनगर सांगानेर के इस मामले में सुभाष नगर पुलिस ने बहुसंख्यक समाज के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के बाद तनाव इस कदर फैला कि शहर में 5 मई को दिनभर इंटरनेट बंद कर दिया गया. इसी तरह शहर में 10 मई को तनाव का दूसरा वाकया पेश आया , जब आदर्श तापड़िया नाम के युवक की कुछ युवकों ने चाकू गोदकर हत्या कर दी. इस घटना के बाद हिन्दू संगठनों ने 11 मई को शहर बंद का आह्वान किया था .इस मामले में समुदाय विशेष के दो बाल अपचारियों समेत तीन लोगों को न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया है.

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अलवर में सूरत-ए-हालः प्रदेश के अलवर जिले में मंदिर तोड़े जाने के मामले में सियासी रंग ने सांप्रदायिकता की तस्वीर को हवा दे दी थी. इस मामले में जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और अतिक्रमण हटाए जाने की आड़ में मंदिर को नुकसान पहुंचाने के वाकये में सियासत ने जोर पकड़ लिया. बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार बताया, तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने स्थानीय नगर पालिका में बीजेपी की सहमति से इस कार्रवाई को अंजाम देने की बात कही. पूरे वाकये पर राजनीति जोरों से गर्मायी और सरकार पर तुष्टिकरण की नीति अपनाने के आरोप भी लगे. बाद में कुछ अफसरों और चेयरमैन के खिलाफ कार्यवाही के जरिये इस मामले को शांत करने की कोशिश की गई.

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इसके बाद इस मामले में पलटवार करते हुए केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को देश में बीजेपी ही दिख रही है. लेकिन सवाल यह है कि इस तरह के बयानों के बाद क्या प्रदेश के हालात सुधर सकते हैं, ईटीवी भारत ने हाल में हुई अलग-अलग घटनाओं की जमीनी पड़ताल की. इस पड़ताल के दौरान सामने आने वाली सच्चाई ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी. पड़ताल में सामने आया है कि सांप्रदायिक घटनाओं में गिरफ्तार किए गए आरोपी किसी एक पक्ष के नहीं बल्कि अलग-अलग पक्ष के हैं.

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