जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा का 'रण' अब अपने अंतिम दौर में है. राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए सभी विधायकों का गुरुवार को मॉक पोल करवाया जा रहा है. जिससे विधायकों को पता हो कि उन्हें मतदान कैसे करना है लेकिन बता दें कि राज्यसभा के चुनाव में वोट करना इतना आसान नहीं होता है. इसमें कई पेचीदगियां और नियम होते हैं, जिनका ध्यान विधायक को रखना होता है नहीं तो उनका वोट निरस्त हो सकता है.
आइए आपको बताते हैं क्या कुछ गलतियां जिन्हें विधायक अगर गलती से भी राज्यसभा के चुनाव में मतदान करते समय कर बैठे तो उसका वोट निरस्त हो सकता है:
राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए खास पेन होता है, मैसूर से आई उसकी स्याही...
राज्यसभा चुनाव में मतदान करने में सबसे महत्वपूर्ण है, वो पेन जिसे राज्यसभा चुनाव के लिए ही बनाया जाता है. इस पेन की स्याही मैसूर से तैयार होकर आती है. यह स्याही मतपत्र से लंबे समय तक नहीं मिटती है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि चुनाव के बाद भी अलग-अलग याचिकाएं लगती है.
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ऐसे में अगर स्याही मिट जाए तो परेशानी हो सकती है. मतदान के लिए पर्पल कलर की स्याही और उसी पेन का ही इस्तेमाल विधायक कर सकते हैं, जो चुनाव आयोग की ओर से दिया जाता है. अगर कोई विधायक वोट देने के लिए इस पेन के अलावा दूसरे पेन इस्तेमाल करता है तो उनका वोट खारिज हो जाएगा.
कांग्रेस की मांग, 200 विधायकों को दिए जाएं 200 पेन...
आज तक तो राज्यसभा चुनाव में यही सिस्टम रहा है कि चुनाव आयोग एक ही पेन देता है. उसी से सभी विधायक वोट देते हैं लेकिन प्रदेश की कांग्रेस पार्टी की ओर से यह मांग की गई है कि हर विधायक के लिए अलग पेन दिया जाए. क्योंकि एक पेन से कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना है. साथ ही मुख्य सचेतक का कहना है कि जिस तरीके से हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में 5 साल पहले पेन बदलकर वोट की हेराफेरी की गई थी, वैसा राजस्थान में ना हो.
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इसके लिए वोट देने के लिए हर विधायक को अलग पेन दिया जाए. हालांकि, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ लेकिन मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस बार हर विधायक को पहली बार वोट करने के लिए अलग पेन मिलेगा.
वोट अंकों की जगह शब्दों में लिखा तो होगा खारिज...
राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी के लिए उसका नंबर भी नाम के आगे अलॉट होता है. यही नंबर विधायक को लिखना होता है. अगर गलती से विधायक अंक की जगह शब्दों में लिख देता है तो फिर वह वोट खारिज हो जाता है.
पार्टी के अधिकृत पोलिंग एजेंट को दिखाकर ही दिया जाता है वोट..
राज्यसभा चुनाव में जो विधायक जिस पार्टी का है, उस पार्टी की ओर से एक अधिकृत पोलिंग एजेंट भी मतदान कक्ष में होता है. पार्टी के हर विधायक को अपनी पार्टी के पोलिंग एजेंट को वोट डालने से पहले दिखाना होता है. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो भी वोट निरस्त माना जाता है.
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वहीं, अगर अपनी पार्टी के अधिकृत पोलिंग एजेंट के अलावा दूसरी पार्टी के पोलिंग एजेंट को किसी विधायक की ओर से वोट दिखाया जाता है तो उसे भी निरस्त माना जाता है. ऐसे में विधायकों को इस बात का भी खास ख्याल रखना होता है.
बतानी होती है वोट की वरीयता...
विधायकों को राज्यसभा चुनाव में मतदान करते समय प्रत्याशी की वरीयता भी लिखनी होती है कि उसकी पहली वरीयता का कैंडिडेट कौन है. दूसरी या तीसरी वरीयता का कैंडिडेट कौन है. उदाहरण के लिए कांग्रेस और भाजपा ने दो-दो प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. ऐसे में कांग्रेस हो या भाजपा के विधायक उन्हें बताना होगा कि दो में से वह पहली वरीयता में किसे वोट देना चाहते हैं.
खास बात यह है कि हर विधायक को पहली वरीयता का वोट देना और उसे मतपत्र में लिखना आवश्यक होता है. चाहे वह दूसरी और तीसरी वरीयता के बारे में उस मत पत्र में मेंशन करें या नहीं. अगर वह पहली वरीयता के प्रत्याशी के बारे में नहीं लिखेगा तो भी वोट निरस्त माना जाएगा.