जयपुर. अब तक देखा जाता है कि चाहे कोई भी राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम हो, उसमें कलाकार प्लास्टिक के बने राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल करते हैं. इन चरणों में भले ही एकबारगी प्रोग्राम तो रंगारंग हो जाता है, लेकिन उसके बाद झंडों के क्या हाल होते हैं यह किसी से छिपी नहीं है.
ऐसे में अब केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव, आदर और वफादारी होती है. लेकिन राष्ट्रीय ध्वज को लेकर बनाए गए कानूनों और परंपराओं को लेकर जनता के साथ सरकारी एजेंसियों में भी जागरूकता का अभाव दिखाई पड़ती है.
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वहीं, अब यह तय किया गया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर कागज के बने राष्ट्रीय झंडे की जगह प्लास्टिक के झंडे का इस्तेमाल किया जाता है. प्लास्टिक से बने यह झंडे कागज की तरह समाप्त नहीं होते हैं और लंबे समय तक इन झंडों का निपटान करना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में प्लास्टिक से बने झंडे पर रोक लगाई जाए.
ऐसे में अब साफ है कि आगे आने वाले समय में चाहे कोई राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम क्यों ना हो, कहीं पर भी प्लास्टिक के झंडों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. सड़कों पर बिकने वाले प्लास्टिक के झंडों पर भी रोक रहेगी.