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शारीरिक शिक्षक भर्ती- 2018: पुन: जिला आवंटन को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - Rajasthan News

शारीरिक शिक्षक भर्ती-2018 में चयनित होकर काम कर रहे अभ्यर्थियों का पुनः जिला आवंटन करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित नहीं करने को कहा है.

शारीरिक शिक्षक भर्ती- 2018,Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Jun 23, 2021, 10:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शारीरिक शिक्षक भर्ती-2018 में चयनित होकर काम कर रहे अभ्यर्थियों का पुनः जिला आवंटन करने पर शिक्षा सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित नहीं करने को कहा है. न्यायाधीश एमके गोयल ने यह आदेश गीता बाई और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता भर्ती में चयनित होकर करीब डेढ़ साल से धौलपुर के एक स्कूल में काम कर रहा है. वहीं, अब उसकी बिना सहमति से उसे झालावाड़ जिला आवंटित किया गया है, जबकि इससे पूर्व ना तो याचिकाकर्ता का पक्ष सुना गया और ना ही उसे नोटिस दिया गया.

यह भी पढ़ेंः सीडी और विभिन्न केसों में फंसाने की गहलोत की आदतः भूपेंद्र यादव

ऐसे में राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर पूर्व में किए गए जिला आवंटन को ही बरकरार रखा जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करने को कहा है. Conclusion:

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शारीरिक शिक्षक भर्ती-2018 में चयनित होकर काम कर रहे अभ्यर्थियों का पुनः जिला आवंटन करने पर शिक्षा सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित नहीं करने को कहा है. न्यायाधीश एमके गोयल ने यह आदेश गीता बाई और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता भर्ती में चयनित होकर करीब डेढ़ साल से धौलपुर के एक स्कूल में काम कर रहा है. वहीं, अब उसकी बिना सहमति से उसे झालावाड़ जिला आवंटित किया गया है, जबकि इससे पूर्व ना तो याचिकाकर्ता का पक्ष सुना गया और ना ही उसे नोटिस दिया गया.

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ऐसे में राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर पूर्व में किए गए जिला आवंटन को ही बरकरार रखा जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करने को कहा है. Conclusion:

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