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फोन टैपिंग केस : CM गहलोत के OSD लोकेश शर्मा को राहत, केन्द्रीय मंत्री की FIR पर कार्रवाई नहीं करने के आदेश

राजस्थान के फोन टैपिंग विवाद (Rajasthan Phone tapping case) के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के ओएसडी लोकेश शर्मा (OSD Lokesh Sharma) ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) की एफआईआर को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राहत प्रदान की है.

फोन टैपिंग केस
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Published : Jun 3, 2021, 2:13 PM IST

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने राजस्थान फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को राहत दी है. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने लोकेश शर्मा के खिलाफ अगले आदेश तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

फोन टैपिंग केस
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दरअसल पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवाद के बाद 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था. केन्द्रीय मंत्री की इस FIR में सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच अभी जांच कर रही है.

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सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका मेंं एफआईआर के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया है कि फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में पहले से ही एफआईआर दर्ज है, जिस पर जांच चल रही है, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का औचित्य नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अगर एफआईआर को रद्द नहीं भी की जाती है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.

गजेंद्र सिंह शेखावत ने दर्ज कराई है एफआईआर
लोकेश शर्मा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है. लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले 26 मार्च को फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई थी.

क्या है फोन टैपिंग विवाद (Phone Tapping Case)

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

पढे़ंः बड़ा फैसला : राजस्थान में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द...शिक्षा राज्य मंत्री ने की घोषणा

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी.

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने राजस्थान फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को राहत दी है. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने लोकेश शर्मा के खिलाफ अगले आदेश तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

फोन टैपिंग केस
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दरअसल पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवाद के बाद 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था. केन्द्रीय मंत्री की इस FIR में सीएम गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच अभी जांच कर रही है.

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सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका मेंं एफआईआर के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया है कि फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में पहले से ही एफआईआर दर्ज है, जिस पर जांच चल रही है, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का औचित्य नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अगर एफआईआर को रद्द नहीं भी की जाती है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.

गजेंद्र सिंह शेखावत ने दर्ज कराई है एफआईआर
लोकेश शर्मा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है. लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले 26 मार्च को फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई थी.

क्या है फोन टैपिंग विवाद (Phone Tapping Case)

राजस्थान में भूचाल ला देने वाला फोन टैपिंग विवाद बीते साल सुर्खियों में रहा था. इस बीच सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट के चलते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों को लेकर बगावत पर उतर आए थे. पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दोनों पद गंवाने पड़े थे. इस बगावत के बाद अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र में कालीचरण सराफ के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी. इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.

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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले को लेकर हमलावर हुए और बाद में उन्होंने निजता के हनन सहित कई आरोप लगाते हुए लेकर राज्य सरकार, सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर में उन्होंने विधानसभा में शांति धारीवाल के जवाब को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे.

क्या था ऑडियो में

दरअसल, इस ऑडियो में किसी संजय जैन नाम के शख्स की कथित कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी. इस बातचीत में कई बार कथित तौर पर गजेंद्र सिंह नाम का भी लिया गया था. इसी रिकॉर्डिंग को लेकर विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी और एसओजी में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी.

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