जयपुर. कैबिनेट की ओर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुशंसा के बावजूद भी राज्यपाल की ओर से सत्र नहीं बुलाने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है. याचिका में गुहार लगाई गई है कि, केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह राज्यपाल को पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति से आग्रह करें.
अधिवक्ता शांतनु पारीक की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि कैबिनेट ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को अपनी सिफारिश भेजी थी, लेकिन राज्यपाल की ओर से संवैधानिक बाध्यता होने के बावजूद भी सत्र नहीं बुलाया गया. याचिका में कहा गया कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 163 सपठित 174 के तहत अपने कर्तव्य निर्वहन में फेल हो गए हैं और उन्होंने संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. न्यायपालिका संविधान का सर्वोच्च रक्षक है. ऐसे में वह इस संबंध में केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश जारी करे.
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याचिका में कहा गया है कि वर्तमान हालातों में अदालत केवल एक मूकदर्शक की तरह नहीं रह सकता. जबकि प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग का भी प्रयास किया जा रहा है, जो कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था और लोकतंत्र के खिलाफ है. याचिका में कहा गया कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत गवर्नर कैबिनेट का निर्णय मानने के लिए बाध्य हैं, ऐसे में हाई कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह राष्ट्रपति के समक्ष गवर्नर को हटाने की सलाह दें.
एडवोकेट शांतनु पारीक की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट आने वाले दिनों में सुनवाई करेगा. एडवोकेट शांतनु पारीक का कहना है कि जिस तरीके से राजस्थान की सरकार कैबिनेट अनुमोदन के जरिए विधानसभा सत्र बुलाना चाहती है और उसके लिए राज्यपाल से अनुमति मांगी जा रही है. कैबिनेट के अनुमोदन के बावजूद राज्यपाल सैद्धांतिक नियमों का उल्लंघन करते हुए अनुमति नहीं दे रहे हैं.
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इसी को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि इस याचिका में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाया गया है. गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के जरिए राष्ट्रपति से राज्यपाल को हटाने की बात की गई है. एडवोकेट शांतनु पारीक ने कहा कि कैबिनेट के निर्णय या प्रस्ताव को आर्टिकल संख्या 173/174 के तहत मान्य को बाध्य होता है. संविधान नियमों में 352 में राज्यपाल के अधिकारों में स्पष्ठ उल्लेख है जिसके कैबिनेट के प्रस्ताव को लौटा नहीं सकते.