जयपुर. आज आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना का विधान है. जिले के विभिन्न विष्णु मंदिरों में विशेष पूजा-आराधना की जा रही है. जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने तक योग निद्रा में रहेंगे (Devshayani Ekadashi 2022 Celebration In Jaipur). आज से लेकर देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चातुर्मास में पाताल लोक में निवास करते हैं.
विशेष महत्व: साल में 24 एकादशी पड़ती हैं और जब अधिक मास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इन सभी में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. इन चार महीनों में पूजा पाठ के लिए तो विशेष माना जाता है, लेकिन इस बीच किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित रहता है. कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी पर जब भगवान नारायण योग निद्रा से जागते हैं, उसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.
4 महीने तक शुभ काम बंद: आज से 4 नवंबर तक मांगलिक कार्यों रोक लग जाएगी. चार महीने न तो विवाह होंगे, न यज्ञोपवीत संस्कार, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश होंगे. इन चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं. चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार चातुर्मास शुरू होते ही प्रकृति, सूर्य, चंद्रमा का तेजस कम हो जाता है. इसके कारण इस दौरान शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. इन 4 महीनों में शुभ शक्तियों का फल नहीं मिलता है.
पढ़ें-Panchang 10 July : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और ग्रह नक्षत्र की चाल, आज बन रहा ये संयोग
देवशयनी एकादशी कथा: पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बली की सारी संपदा को दो पैरों में ही नाप लिया था और तीसरे पैर के लिए जब उन्होंने भूमि मांगी तो राजा बली ने अपना मस्तक आगे कर दिया. इससे प्रसन्न होकर भगवान ने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा. तब बली ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में चलने की इच्छा प्रकट की. ऐसे में भगवान उनके साथ पाताल लोक चले गए. लेकिन लक्ष्मी जी ने रक्षा सूत्र बांधकर बली से भगवान श्री हरि को वापस मांगा. तब भगवान विष्णु ने बलि को वरदान दिया कि वो 4 महीने देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में उनके साथ निवास करेंगे. इन 4 महीनों में भगवान योग निद्रा में वहां निवास करते हैं.
आपको बता दें कि देवउठनी एकादशी ( Devshayani Ekadashi 2022) 4 नवंबर को है यानी 4 नवंबर तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे. हालांकि देवउठनी एकादशी से इस साल दिसंबर तक महज 11 ही शुभ मुहूर्त है. नवंबर में चार और दिसंबर में सात ही शुभ मुहूर्त बताए जा रहे हैं.