जयपुर. देश हो या प्रदेश, दल-बदलू नेता हर जगह मिलते हैं. इन दल-बदलू नेताओं को लेकर सभी पार्टियां भी व्यंग करती रहती है, लेकिन हालात यह है कि दल बदलने वाले नेताओं को दूसरी पार्टियां गले लगाने से परहेज नहीं करती है. यही हालात जयपुर में भी बने जब नगर निगम हेरिटेज और नगर निगम ग्रेटर में बीते चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले और बाद में भाजपा से विद्रोह कर कांग्रेस की सहायता से बोर्ड बनाने में कामयाब रहे पार्षदों को इस बार जयपुर की जनता ने चुनावों में नकार दिया.
दलबदल करने वाले ये पूर्व भाजपा पार्षद कांग्रेस की टिकट पाने में तो कामयाब हो गए, लेकिन जनता की अदालत में वह फेल हो गए. दरअसल, पूर्व महापौर विष्णु लाटा को महापौर बनाने के लिए इन पार्षदों ने उस समय भाजपा से बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने भी वादे के अनुसार उन्हें इन चुनाव में कांग्रेस का टिकट दिया, लेकिन इन नेताओं को चुनाव में जनता ने पूरी तरीके से नकार दिया.
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इन पार्षदों में भगवत सिंह देवल, प्रकाश गुप्ता, गोपाल कृष्ण शर्मा और राजेश बिंवाल शामिल हैं, जो अपना चुनाव हार गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने गोपाल कृष्ण शर्मा को नगर निगम ग्रेटर के वार्ड 3 से प्रत्याशी बनाया था, तो वहीं भगवत सिंह देवल को वार्ड 18 से प्रत्याशी बनाया. इसी तरीके से नगर निगम हेरिटेज के वार्ड 55 से प्रकाश चंद गुप्ता और वार्ड 62 से राजेश बिंवाल को कांग्रेस ने टिकट दिया था. यह सभी भाजपा से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे, लेकिन सत्ताधारी दल का टिकट भी इनकी हार नहीं बचा पाया.
हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नतीजे कई बार ऐसे आ जाते हैं. बता दें कि ना केवल भाजपा से कांग्रेस में आए नेताओं को जनता ने रिजेक्ट किया है बल्कि पिछले चुनाव में जो पार्षद निर्दलीय चुनाव जीते थे, उनको भी कांग्रेस का दामन थामना महंगा पड़ा है. पिछले चुनाव में निर्दलीय पार्षद बने इम्तियाज गौरी को नगर निगम हेरिटेज में वार्ड 15 से, नाजमीन को वार्ड 23 से तो वहीं किशन अजमेरा को नगर निगम ग्रेटर के वार्ड 9 से कांग्रेस ने इस बार अपना प्रत्याशी बनाया था. लेकिन निर्दलीय चुनाव जीतने वाले यह प्रत्याशी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हार गए.