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Special : लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट रहे 'लॉक', विभागों को नुकसान के साथ कामगार और नौकरी पेशा भी रहे परेशान - people face problem in corona era

कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहे. अनलॉक के बाद भी राजधानी में बसें और मेट्रो सेवाएं काफी दिन बंद रहीं जिससे कामगारों और नौकरी पेशा लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से लोगों का निजी वाहनों से अधिक किराया देकर काम पर जाना पड़ता था. वाहन न मिलने पर देर से पहुंचने पर डांट भी सुननी पड़ती थी. कई लोगों को तो नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा वहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन कर रहे विभागों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

People upset due to public transport shutdown in lockdown
लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से परेशान रहे लोग
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Published : Nov 24, 2020, 10:18 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 9:50 AM IST

जयपुर. राजधानी में लॉकडाउन के बाद सब कुछ खुला, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट लो फ्लोर बस और मेट्रो ट्रेन के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा. इसकी वजह से स्टूडेंट, मध्यमवर्गीय नौकरी पेशा और कामगारों को आवागमन में काफी समस्या का सामना करना पड़ा. निजी वाहन से काम पर पहुंचने के लिए उन्हें अधिक पैसे खर्च करने पड़े. देर से दफ्तर पहुंचने पर कुछ फटकार झेलनी पड़ी तो कुछ को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ गया. संक्रमण काल में जिंदगी से दोहरी जंग लड़ते हुए कुछ ने खुद को संभाल लिया और कुछ हिम्मत हार बैठे.

लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से परेशान रहे लोग

आम जनता ने लॉकडाउन खुलने के बाद भी सफर किया. अनलॉक का शुरुआती दौर कुछ ऐसा था कि लोग अपने घरों को लौटने के लिए साधन के अभाव में पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे. पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद थे ऐसे में परिवार के साथ यूं ही मीलों का सफर तय करने लोग निकल पड़े थे. वहीं कामगार और नौकरी पेशा लोग रोजाना समय से घंटों पहले ड्यूटी जाने के लिए घरों से निकल लेते थे ताकि कोई निजी वाहन भी न मिलने पर पैदल ही घंटे भर में काम पर पहुंच जाएं.

यह भी पढ़ें: Special: कोरोना के कारण प्रिंटिंग और फ्लैक्स होर्डिंग व्यवसाय में भारी गिरावट, संकट में व्यवसायी

राज्य सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन के बाद शहर तो अनलॉक हुआ लेकिन जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बस, प्राइवेट मिनी बस, टेंपो-टैक्सी और मेट्रो ट्रेन काफी समय तक बंद ही रहीं. इसकी वजह से आम जनता को अपने गंतव्य तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. लो फ्लोर बसों की बात की जाए तो शहर के डेढ़ लाख यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करती थीं.

करीब 50 हजार किलोमीटर का रोजाना का औसत संचालन रहता था. जिसमें मध्यमवर्गीय और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगार बड़ी संख्या नियमित सफर किया करते थे. लेकिन सिटी ट्रांसपोर्ट बस सेवा बंद रहने की वजह से इन लोगों को अनलॉक होने के बाद भी जीविकोपार्जन के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. कुछ को काम पर देरी से पहुंचने पर फटकार लगी तो कुछ की तो नौकरी पर ही बन आई.

यह भी पढ़ें: Special : स्मार्ट सिटी जयपुर की पेयजल व्यवस्था की तस्वीर...साईकिल से पानी ढोने को मजबूर लोग

4 महीने बंद रहने के बाद बस संचालन शुरू किया गया. लेकिन शुरुआत में रेवेन्यू 2 लाख आया. वे अब जाकर करीब 9 लाख आने लगा है. वहीं पहले लो फ्लोर बसों का प्रति माह टर्नओवर 18 लाख के आसपास रहता था. हालांकि अब बसों की संख्या बढ़ाकर 149 कर दी गई है. जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र शर्मा के अनुसार लो फ्लोर बस का इस्तेमाल मध्यमवर्गीय, श्रमिक वर्ग और स्टूडेंट ज्यादा करते हैं. ऐसे में बसों का संचालन उन्हीं रूट पर किया जाता है, जहां लोगों को बस की ज्यादा जरूरत होती है.

Metro Rail service also stalled
मेट्रो रेल सेव भी रही ठप

वहीं जयपुर मेट्रो में तकरीबन 20 से 22 हजार यात्री प्रतिदिन सवारी किया करते थे. लेकिन इस पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए थमने से लोगों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गया. हालांकि सरकार के निर्देश पर 30 सितंबर से दोबारा मेट्रो का संचालन शुरू हुआ. शुरुआत में यात्रियों की संख्या काफी कम रही लेकिन अब धीरे-धीरे यह बढ़ने लगी है.

यह भी पढ़ें: Kota Special: इस बार युवाओं के हाथ में शहर के विकास की डोर, इन चेहरों पर रहेंगी सबकी नजर

जेएमआरसी निदेशक मुकेश सिंघल की माने तो ये समस्या देश की दूसरे जगह चलने वाली मेट्रो में भी रहा. फिलहाल लॉकडाउन से पहले का महज 25% फुटफॉल है, पहले जो यात्री भार 20 से 25 हजार रहा करता था. वह अब त्योहारी सीजन और शादियों के दौर में 6 से 10 हजार पहुंचा है. हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट किया कि उनका यात्री भार पहले भी मजदूर या श्रमिक वर्ग नहीं रहा है.

बहरहाल, राज्य सरकार के निर्देश पर शर्तों के साथ राजधानी में जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बस और मेट्रो ट्रेन दोबारा दौड़ने लगी हैं. इससे यात्री भार भी बढ़ने लगा है, लेकिन अब राज्य सरकार की ओर से रात 8:00 बजे से कर्फ्यू लगाए जाने के कारण एक बार फिर इसपर असर पड़ेगा.

जयपुर. राजधानी में लॉकडाउन के बाद सब कुछ खुला, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट लो फ्लोर बस और मेट्रो ट्रेन के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा. इसकी वजह से स्टूडेंट, मध्यमवर्गीय नौकरी पेशा और कामगारों को आवागमन में काफी समस्या का सामना करना पड़ा. निजी वाहन से काम पर पहुंचने के लिए उन्हें अधिक पैसे खर्च करने पड़े. देर से दफ्तर पहुंचने पर कुछ फटकार झेलनी पड़ी तो कुछ को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ गया. संक्रमण काल में जिंदगी से दोहरी जंग लड़ते हुए कुछ ने खुद को संभाल लिया और कुछ हिम्मत हार बैठे.

लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से परेशान रहे लोग

आम जनता ने लॉकडाउन खुलने के बाद भी सफर किया. अनलॉक का शुरुआती दौर कुछ ऐसा था कि लोग अपने घरों को लौटने के लिए साधन के अभाव में पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे. पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद थे ऐसे में परिवार के साथ यूं ही मीलों का सफर तय करने लोग निकल पड़े थे. वहीं कामगार और नौकरी पेशा लोग रोजाना समय से घंटों पहले ड्यूटी जाने के लिए घरों से निकल लेते थे ताकि कोई निजी वाहन भी न मिलने पर पैदल ही घंटे भर में काम पर पहुंच जाएं.

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राज्य सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन के बाद शहर तो अनलॉक हुआ लेकिन जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बस, प्राइवेट मिनी बस, टेंपो-टैक्सी और मेट्रो ट्रेन काफी समय तक बंद ही रहीं. इसकी वजह से आम जनता को अपने गंतव्य तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. लो फ्लोर बसों की बात की जाए तो शहर के डेढ़ लाख यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करती थीं.

करीब 50 हजार किलोमीटर का रोजाना का औसत संचालन रहता था. जिसमें मध्यमवर्गीय और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगार बड़ी संख्या नियमित सफर किया करते थे. लेकिन सिटी ट्रांसपोर्ट बस सेवा बंद रहने की वजह से इन लोगों को अनलॉक होने के बाद भी जीविकोपार्जन के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. कुछ को काम पर देरी से पहुंचने पर फटकार लगी तो कुछ की तो नौकरी पर ही बन आई.

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4 महीने बंद रहने के बाद बस संचालन शुरू किया गया. लेकिन शुरुआत में रेवेन्यू 2 लाख आया. वे अब जाकर करीब 9 लाख आने लगा है. वहीं पहले लो फ्लोर बसों का प्रति माह टर्नओवर 18 लाख के आसपास रहता था. हालांकि अब बसों की संख्या बढ़ाकर 149 कर दी गई है. जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र शर्मा के अनुसार लो फ्लोर बस का इस्तेमाल मध्यमवर्गीय, श्रमिक वर्ग और स्टूडेंट ज्यादा करते हैं. ऐसे में बसों का संचालन उन्हीं रूट पर किया जाता है, जहां लोगों को बस की ज्यादा जरूरत होती है.

Metro Rail service also stalled
मेट्रो रेल सेव भी रही ठप

वहीं जयपुर मेट्रो में तकरीबन 20 से 22 हजार यात्री प्रतिदिन सवारी किया करते थे. लेकिन इस पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए थमने से लोगों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गया. हालांकि सरकार के निर्देश पर 30 सितंबर से दोबारा मेट्रो का संचालन शुरू हुआ. शुरुआत में यात्रियों की संख्या काफी कम रही लेकिन अब धीरे-धीरे यह बढ़ने लगी है.

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जेएमआरसी निदेशक मुकेश सिंघल की माने तो ये समस्या देश की दूसरे जगह चलने वाली मेट्रो में भी रहा. फिलहाल लॉकडाउन से पहले का महज 25% फुटफॉल है, पहले जो यात्री भार 20 से 25 हजार रहा करता था. वह अब त्योहारी सीजन और शादियों के दौर में 6 से 10 हजार पहुंचा है. हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट किया कि उनका यात्री भार पहले भी मजदूर या श्रमिक वर्ग नहीं रहा है.

बहरहाल, राज्य सरकार के निर्देश पर शर्तों के साथ राजधानी में जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बस और मेट्रो ट्रेन दोबारा दौड़ने लगी हैं. इससे यात्री भार भी बढ़ने लगा है, लेकिन अब राज्य सरकार की ओर से रात 8:00 बजे से कर्फ्यू लगाए जाने के कारण एक बार फिर इसपर असर पड़ेगा.

Last Updated : Nov 25, 2020, 9:50 AM IST
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