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जयपुर में असहायों पर छाया भोजन का संकट, दो जून की रोटी के लिए करना पड़ रहा संघर्ष - Rajasthan news

जयपुर में लॉकडाउन के चलते असहाय लोगों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है. इस संकट के समय में दाने-दाने को तरस रहे हैं. सरकार की तरफ से दिए जा रहे खाने के पैकेट कभी मिल जाते है, तो कभी नहीं मिल पाते. ऐसी स्थिति उन्हें रोजाना संघर्ष करना पड़ रहा है.

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असहायों को पर छाया खाने का संकट
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Published : May 16, 2020, 3:53 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में कामकाज नहीं होने के कारण सभी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रोज कमा कर खाने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर दिखाई दे रहा है, हालांकि सरकार की ओर से ऐसे लोगों तक सहायता पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. वहीं इस बीच असहाय लोगों के सामने खाना न मिलने का संकट खड़ा हो गया है.

असहायों को पर छाया खाने का संकट

लॉकडाउन से पहले दरगाह के सामने बैठकर मांग कर खाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण दरगाह पर ताले लगे हैं. जिसके चलते उनके खाने पीने को लेकर काफी समस्या हो रही है. वहीं जायरीनों ने भी आना बंद कर दिया है. दरगाह के आस-पास ही रहकर सरकारी सहायता का इंतजार करते हैं. उसके बाद ही उनका पेट भरता है. कई बार सहायता पहुंचती और कई बार नहीं पहुंच पाती.

पढ़ेंः डगमगा रहा घरेलू उत्पादनः हस्तशिल्प कारोबारियों ने सरकार से मांगी राहत, लॉकडाउन से चौपट हुआ धंधा

असहाय लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती थी. दरगाह में जायरीन आते थे और वे कुछ ना कुछ दे जाते थे. जिससे उनका गुजारा चलता था, लेकिन अब लॉकडाउन में दरगाह पर भी ताला लग गया है और जायरीन भी नहीं आते.

जयपुर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में कामकाज नहीं होने के कारण सभी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रोज कमा कर खाने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर दिखाई दे रहा है, हालांकि सरकार की ओर से ऐसे लोगों तक सहायता पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. वहीं इस बीच असहाय लोगों के सामने खाना न मिलने का संकट खड़ा हो गया है.

असहायों को पर छाया खाने का संकट

लॉकडाउन से पहले दरगाह के सामने बैठकर मांग कर खाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण दरगाह पर ताले लगे हैं. जिसके चलते उनके खाने पीने को लेकर काफी समस्या हो रही है. वहीं जायरीनों ने भी आना बंद कर दिया है. दरगाह के आस-पास ही रहकर सरकारी सहायता का इंतजार करते हैं. उसके बाद ही उनका पेट भरता है. कई बार सहायता पहुंचती और कई बार नहीं पहुंच पाती.

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असहाय लोगों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती थी. दरगाह में जायरीन आते थे और वे कुछ ना कुछ दे जाते थे. जिससे उनका गुजारा चलता था, लेकिन अब लॉकडाउन में दरगाह पर भी ताला लग गया है और जायरीन भी नहीं आते.

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