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आधी क्षमता से काम कर रहा है हाइकोर्ट, 5 लाख से अधिक मामले लंबित

राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी के कारण लंबित मामलों की संख्या 5 लाख से अधिक हो गई है. राजस्थान हाईकोर्ट में 50 न्यायाधीशों के पद नियुक्त हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 24 न्यायाधीश की नियुक्त हैं.

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हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी
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Published : Oct 23, 2020, 4:11 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट अपनी क्षमता के मुकाबले आधा काम कर रहा है. जिसके चलते यहां मुकदमों की संख्या भी बढ़कर 5 लाख 17 हजार के पार हो गई है.

बता दें कि राजस्थान हाइकोर्ट में न्यायाधीशों के 50 पद निर्धारित किए गए हैं, लेकिन आज तक पूरे 50 पद भरे ही नहीं गए हैं. हाइकोर्ट में फिलहाल 50 पदों के मुकाबले 24 न्यायाधीश की नियुक्त हैं. वहीं इनमे से भी एक न्यायाधीश अगले माह सेवानिवृत्त हो रहीं हैं.

5 लाख से अधिक मामले लंबित

यदि लंबित मुकदमों की बात करें तो बीते सवा साल में मुकदमों जी संख्या करीब 90 हजार से अधिक बढ़ चुकी है. बीते साल जून माह में हाइकोर्ट ने मुकदमों की संख्या 4 लाख 24 हजार से अधिक थी. वहीं वर्तमान में लंबित मुकदमों की संख्या 5 लाख 17 हजार को पार कर गई है.

ये पढ़ें: वृद्धा को पेंशन दिलाने के नाम पर संपत्ति हड़पने का मामला, प्रभावी कार्रवाई नहीं होने पर नोटिस जारी

ऐसे होती है न्यायाधीशों की नियुक्ति

हाइकोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया काफी लंबी है. हाइकोर्ट में डीजे कैडर के अफसरों को पदोन्नति के साथ ही वकील कोटे से सीधे भी न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं. शुरुआत में हाइकोर्ट के तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की कॉलेजियम नियुक्ति के लिए नामों पर विचार कर उन पर अपनी सहमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट भेजती है. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम इन नामों पर अपने स्तर पर विचार करती है.

साथ ही संबंधित के नामों पर अपनी सिफारिश देते हुए मामले को केंद्र सरकार को भेज देती है. इसी दौरान इंटेलिजेंस की रिपोर्ट मंगवाने और अन्य प्रशासनिक औपचरिकताओं को पूरा कर मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. आखिर ने राष्ट्रपति की ओर से इनका नियुक्ति वारंट जारी किया जाता है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट अपनी क्षमता के मुकाबले आधा काम कर रहा है. जिसके चलते यहां मुकदमों की संख्या भी बढ़कर 5 लाख 17 हजार के पार हो गई है.

बता दें कि राजस्थान हाइकोर्ट में न्यायाधीशों के 50 पद निर्धारित किए गए हैं, लेकिन आज तक पूरे 50 पद भरे ही नहीं गए हैं. हाइकोर्ट में फिलहाल 50 पदों के मुकाबले 24 न्यायाधीश की नियुक्त हैं. वहीं इनमे से भी एक न्यायाधीश अगले माह सेवानिवृत्त हो रहीं हैं.

5 लाख से अधिक मामले लंबित

यदि लंबित मुकदमों की बात करें तो बीते सवा साल में मुकदमों जी संख्या करीब 90 हजार से अधिक बढ़ चुकी है. बीते साल जून माह में हाइकोर्ट ने मुकदमों की संख्या 4 लाख 24 हजार से अधिक थी. वहीं वर्तमान में लंबित मुकदमों की संख्या 5 लाख 17 हजार को पार कर गई है.

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ऐसे होती है न्यायाधीशों की नियुक्ति

हाइकोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया काफी लंबी है. हाइकोर्ट में डीजे कैडर के अफसरों को पदोन्नति के साथ ही वकील कोटे से सीधे भी न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं. शुरुआत में हाइकोर्ट के तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की कॉलेजियम नियुक्ति के लिए नामों पर विचार कर उन पर अपनी सहमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट भेजती है. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम इन नामों पर अपने स्तर पर विचार करती है.

साथ ही संबंधित के नामों पर अपनी सिफारिश देते हुए मामले को केंद्र सरकार को भेज देती है. इसी दौरान इंटेलिजेंस की रिपोर्ट मंगवाने और अन्य प्रशासनिक औपचरिकताओं को पूरा कर मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. आखिर ने राष्ट्रपति की ओर से इनका नियुक्ति वारंट जारी किया जाता है.

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