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चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण स्वास्थ्य बीमा योजना के बढ़े राशि के लिए करना पड़ेगा इंतजार

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Published : Dec 12, 2019, 11:28 PM IST

आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से मरीजों को 3 लाख की बजाय 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलने वाला था, लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में बीमा योजना में लापरवाही बरती. ऐसे में बढ़े हुए बीमा राशि को लेकर प्रदेश के मरीजों को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.

राजस्थान चिकित्सा विभाग न्यूज,  Rajasthan Medical Department News
राजस्थान चिकित्सा विभाग न्यूज

जयपुर. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के मरीजों को उठाना पड़ेगा. दरअसल, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से मरीजों को 3 लाख की बजाय 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलने वाला था, लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में बीमा योजना में लापरवाही बरती. ऐसे में बढ़े हुए बीमा राशि को लेकर प्रदेश के मरीजों को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लेटलतीफी

दरअसल, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से नई सेवा प्रदाता कंपनी को बीमा का काम दिया जाना था. लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने लेटलतीफी दिखाई तो ऐसे में समय से निविदा की प्रक्रिया नहीं हो पाई, जिसके कारण तय समय पर नई बीमा कंपनी का चयन नहीं हो पाया है.

ऐसे में आनन-फानन में सरकार ने मरीजों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आए इसके लिए पुरानी बीमा कंपनी की अवधि को 3 से 4 महीने और बढ़ा दिया है. लेकिन जब तक नई बीमा कंपनी का चयन नहीं होता तब तक मरीजों को 3 लाख तक के बीमा का फायदा मिल सकेगा.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्थान में कैसा रहा चिकित्सा विभाग का ये साल, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस सरकार ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना और आयुष्मान भारत योजना को एक साथ जोड़ दिया था. जिसके बाद इसे आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से लागू किया गया.

जयपुर. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के मरीजों को उठाना पड़ेगा. दरअसल, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से मरीजों को 3 लाख की बजाय 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलने वाला था, लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में बीमा योजना में लापरवाही बरती. ऐसे में बढ़े हुए बीमा राशि को लेकर प्रदेश के मरीजों को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लेटलतीफी

दरअसल, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से नई सेवा प्रदाता कंपनी को बीमा का काम दिया जाना था. लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने लेटलतीफी दिखाई तो ऐसे में समय से निविदा की प्रक्रिया नहीं हो पाई, जिसके कारण तय समय पर नई बीमा कंपनी का चयन नहीं हो पाया है.

ऐसे में आनन-फानन में सरकार ने मरीजों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आए इसके लिए पुरानी बीमा कंपनी की अवधि को 3 से 4 महीने और बढ़ा दिया है. लेकिन जब तक नई बीमा कंपनी का चयन नहीं होता तब तक मरीजों को 3 लाख तक के बीमा का फायदा मिल सकेगा.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्थान में कैसा रहा चिकित्सा विभाग का ये साल, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस सरकार ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना और आयुष्मान भारत योजना को एक साथ जोड़ दिया था. जिसके बाद इसे आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से लागू किया गया.

Intro:जयपुर- चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के मरीजों को उठाना पड़ेगा दरअसल आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से मरीजों को तीन लाख की बजाय पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलने वाला था लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में बीमा योजना में लापरवाही बरती ऐसे में बढ़े हुए बीमा राशि को लेकर प्रदेश के मरीजों को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा


Body:दरअसल आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 13 दिसंबर से नई सेवा प्रदाता कंपनी को बीमा का काम दिया जाना था लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने लेटलतीफी दिखाई तो ऐसे में समय से निविदा की प्रक्रिया नहीं हो पाई जिसके चलते तय समय पर नई बीमा कंपनी का चयन नहीं हो पाया है. ऐसे में आनन-फानन में सरकार ने मरीजों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आए इसके लिए पुरानी बीमा कंपनी की अवधि को 3 से 4 महीने और बढ़ा दिया है लेकिन जब तक नई बीमा कंपनी का चयन नहीं होता तब तक मरीजों को तीन लाख तक का ही बीमे का फायदा मिल सकेगा. गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस सरकार ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना और आयुष्मान भारत योजना को एक साथ जोड़ दिया था जिसके बाद इसे आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से लागू किया गया.


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