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स्पेशल: इन 5 जिला प्रभारियों की राह नहीं होगी आसान, कई कठिनाइयों और चुनौतियों को करना होगा पार

राजस्थान में सियासी उठापटक के बाद अब अधिकतर मंत्रियों के प्रभार जिलों में परिवर्तन कर दिया गया है. लेकिन इनमें 5 मंत्री ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वसनीय तो मानें ही जाते हैं, इसके साथ ही इन्हें जो टास्क मिला है, वह भी खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. क्या है इसकी वजह, देखें यह खास रिपोर्ट...

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Published : Sep 14, 2020, 6:22 PM IST

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इन 5 जिला प्रभारियों की राह नहीं होगी आसान

जयपुर. CM अशोक गहलोत ने राजस्थान में जिलों के प्रभारी मंत्रियों को बदल दिया है. रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की बर्खास्तगी के बाद खाली जिलों को जहां नए प्रभारी मंत्री मिले हैं वहीं, अन्य मंत्रियों के जिलों में भी बदलाव किया गया है. राजस्थान में जहां एक ओर पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां चल रही हैं. वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश के 22 मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतकों को जिले का प्रभार देकर नई जिम्मेदारियां सौंपी गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुमति से कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी आदेश में सरकार के सभी मंत्री, मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को प्रदेश के सभी 33 जिलों के प्रभारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

राजस्थान सरकार में मंत्रियों के प्रभार में बदलाव

लेकिन इनमें 5 मंत्री ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वश्नीय तो मानें ही जाते हैं, इसके साथ ही इन्हें जो टास्क मिला है, वह भी खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. हम बात कर रहे हैं, उन जिलों के प्रभारियों की. जहां पायलट और उनके गुट के नेताओं का खासा प्रभाव है.

प्रदेश में इन 5 जिलों में प्रभारियों की जिम्मेदारी चुनौतपूर्ण...

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इन 5 जिला प्रभारियों की राह नहीं होगी आसान
  • टोंक
  • भरतपुर
  • अजमेर
  • दौसा
  • नागौर

रघु शर्मा को मिला टोंक का कार्यभार

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टोंक में रघु शर्मा के लिए काफी मुश्किलें

खास तौर पर पूर्वी राजस्थान और अजमेर में गहलोत के नेताओं के लिए काम सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को सबसे बड़ी चुनौती मिली है. जिन्हें टोंक का प्रभारी बनाया गया है, क्योंकि टोंक से खुद सचिन पायलट विधायक हैं. जिस तरह से अजमेर में पायलट के समर्थकों और रघु शर्मा के समर्थकों में अजय माकन के फीडबैक कार्यक्रम के दौरान टकराव देखा गया. उससे आने वाली स्थितियों का खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

पढ़ें: अभी भी अधर में पायलट कैंप के नेताओं का भविष्य, माकन की रिपोर्ट में हो रही देरी

अशोक चांदना संभालेंगे दौसा-करौली

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मुरारी लाल मीणा के क्षेत्र में अशोक चांदना

इसके बाद दूसरे नंबर पर मंत्री अशोक चांदना को चुनौती मिली है जिन्हें दौसा और करौली का प्रभारी मंत्री बनाया गया है. दौसा से मुरारी लाल मीणा और करौली से रमेश मीणा आते हैं, तो वहीं इन जिलों में सचिन पायलट का असर भी किसी से छिपा नहीं है. जिस तरीके से सियासी महासंग्राम के दौरान मंत्री अशोक चांदना को सोशल मीडिया पर पायलट समर्थकों ने ट्रोल किया था, वह भी किसी से छिपा नहीं है.

भरतपुर के जिला प्रभारी महेश जोशी

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विश्वेंद्र सिंह और महेश जोशी

तीसरा अहम जिला है भरतपुर जहां का चार्ज मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिया गया है. हालांकि यह पहली बार है कि विधानसभा के मुख्य सचेतक को मंत्री की तरह किसी जिले का चार्ज मिला हो, लेकिन महेश जोशी को भरतपुर जैसे जिले का चार्ज मिला है. जहां से विश्वेंद्र सिंह आते हैं, ऐसे में महेश जोशी के सर पर एक तरीके से कांटों का ताज पहनाया गया है, क्योंकि विधायकों के खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने वाले पहले नेता महेश जोशी ही थे. वहीं एसओजी और एटीएस में शिकायत भी महेश जोशी ने ही दी थी.

अजमेर का चार्ज मंत्री लालचंद कटारिया को

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पायलट के क्षेत्र में कटारिया

अजमेर का चार्ज मंत्री लालचंद कटारिया को दिया गया है. हालांकि लालचंद कटारिया विवादों से दूर रहते हैं, लेकिन अजमेर में सचिन पायलट का सीधा प्रभाव है. वहीं मंत्री रघु शर्मा भी इस जिले में अपना प्रभाव रखते हैं. ऐसे में दोनों खेमों को साधते हुए काम करना लालचंद कटारिया के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहेगा.

हरीश चौधरी के नागौर जिला चुनौतीपूर्ण

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गावड़िया और हरीश चौधरी

नागौर जिले की चुनौती दी गई है, मंत्री हरीश चौधरी को. जहां से विधायक रामनिवास गावड़िया और विधायक मुकेश भाकर आते हैं. जो पायलट कैंप के विधायक हैं. वहीं हरीश चौधरी का पहले से सांसद हनुमान बेनीवाल से 36 का आंकड़ा चल रहा है. ऐसे में चौधरी को न केवल विपक्षी दल से, बल्कि अपनी पार्टी से भी चुनौती मिलेगी.

पढ़ें: दो दिन में 14 विभागों की समीक्षा करेंगे CM गहलोत

हालांकि जिन मंत्रियों को महत्वपूर्ण जिलों के चार्ज मिले हैं, वह सभी मंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र हैं और इन जिलों में कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना इनके लिए चुनौती का टेस्ट भी रहेगा और खुद को साबित करने का मौका भी.

जयपुर. CM अशोक गहलोत ने राजस्थान में जिलों के प्रभारी मंत्रियों को बदल दिया है. रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की बर्खास्तगी के बाद खाली जिलों को जहां नए प्रभारी मंत्री मिले हैं वहीं, अन्य मंत्रियों के जिलों में भी बदलाव किया गया है. राजस्थान में जहां एक ओर पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां चल रही हैं. वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश के 22 मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतकों को जिले का प्रभार देकर नई जिम्मेदारियां सौंपी गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुमति से कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी आदेश में सरकार के सभी मंत्री, मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को प्रदेश के सभी 33 जिलों के प्रभारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

राजस्थान सरकार में मंत्रियों के प्रभार में बदलाव

लेकिन इनमें 5 मंत्री ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वश्नीय तो मानें ही जाते हैं, इसके साथ ही इन्हें जो टास्क मिला है, वह भी खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. हम बात कर रहे हैं, उन जिलों के प्रभारियों की. जहां पायलट और उनके गुट के नेताओं का खासा प्रभाव है.

प्रदेश में इन 5 जिलों में प्रभारियों की जिम्मेदारी चुनौतपूर्ण...

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इन 5 जिला प्रभारियों की राह नहीं होगी आसान
  • टोंक
  • भरतपुर
  • अजमेर
  • दौसा
  • नागौर

रघु शर्मा को मिला टोंक का कार्यभार

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टोंक में रघु शर्मा के लिए काफी मुश्किलें

खास तौर पर पूर्वी राजस्थान और अजमेर में गहलोत के नेताओं के लिए काम सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को सबसे बड़ी चुनौती मिली है. जिन्हें टोंक का प्रभारी बनाया गया है, क्योंकि टोंक से खुद सचिन पायलट विधायक हैं. जिस तरह से अजमेर में पायलट के समर्थकों और रघु शर्मा के समर्थकों में अजय माकन के फीडबैक कार्यक्रम के दौरान टकराव देखा गया. उससे आने वाली स्थितियों का खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

पढ़ें: अभी भी अधर में पायलट कैंप के नेताओं का भविष्य, माकन की रिपोर्ट में हो रही देरी

अशोक चांदना संभालेंगे दौसा-करौली

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मुरारी लाल मीणा के क्षेत्र में अशोक चांदना

इसके बाद दूसरे नंबर पर मंत्री अशोक चांदना को चुनौती मिली है जिन्हें दौसा और करौली का प्रभारी मंत्री बनाया गया है. दौसा से मुरारी लाल मीणा और करौली से रमेश मीणा आते हैं, तो वहीं इन जिलों में सचिन पायलट का असर भी किसी से छिपा नहीं है. जिस तरीके से सियासी महासंग्राम के दौरान मंत्री अशोक चांदना को सोशल मीडिया पर पायलट समर्थकों ने ट्रोल किया था, वह भी किसी से छिपा नहीं है.

भरतपुर के जिला प्रभारी महेश जोशी

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विश्वेंद्र सिंह और महेश जोशी

तीसरा अहम जिला है भरतपुर जहां का चार्ज मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिया गया है. हालांकि यह पहली बार है कि विधानसभा के मुख्य सचेतक को मंत्री की तरह किसी जिले का चार्ज मिला हो, लेकिन महेश जोशी को भरतपुर जैसे जिले का चार्ज मिला है. जहां से विश्वेंद्र सिंह आते हैं, ऐसे में महेश जोशी के सर पर एक तरीके से कांटों का ताज पहनाया गया है, क्योंकि विधायकों के खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने वाले पहले नेता महेश जोशी ही थे. वहीं एसओजी और एटीएस में शिकायत भी महेश जोशी ने ही दी थी.

अजमेर का चार्ज मंत्री लालचंद कटारिया को

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पायलट के क्षेत्र में कटारिया

अजमेर का चार्ज मंत्री लालचंद कटारिया को दिया गया है. हालांकि लालचंद कटारिया विवादों से दूर रहते हैं, लेकिन अजमेर में सचिन पायलट का सीधा प्रभाव है. वहीं मंत्री रघु शर्मा भी इस जिले में अपना प्रभाव रखते हैं. ऐसे में दोनों खेमों को साधते हुए काम करना लालचंद कटारिया के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहेगा.

हरीश चौधरी के नागौर जिला चुनौतीपूर्ण

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गावड़िया और हरीश चौधरी

नागौर जिले की चुनौती दी गई है, मंत्री हरीश चौधरी को. जहां से विधायक रामनिवास गावड़िया और विधायक मुकेश भाकर आते हैं. जो पायलट कैंप के विधायक हैं. वहीं हरीश चौधरी का पहले से सांसद हनुमान बेनीवाल से 36 का आंकड़ा चल रहा है. ऐसे में चौधरी को न केवल विपक्षी दल से, बल्कि अपनी पार्टी से भी चुनौती मिलेगी.

पढ़ें: दो दिन में 14 विभागों की समीक्षा करेंगे CM गहलोत

हालांकि जिन मंत्रियों को महत्वपूर्ण जिलों के चार्ज मिले हैं, वह सभी मंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र हैं और इन जिलों में कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना इनके लिए चुनौती का टेस्ट भी रहेगा और खुद को साबित करने का मौका भी.

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